निर्बाध टोल संग्रह के लिए प्रौद्योगिकी ढांचा होना चाहिए

निर्बाध टोल संग्रह के लिए प्रौद्योगिकी ढांचा होना चाहिए

एनएचएआई ने भारत में टोल पर आधारित ग्लोबल नेविगेशन सेटलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर एक दिवसीय हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का आयोजन जीएनएसएस आधारित टोल प्रणाली के विभिन्‍न पहलुओं पर विभिन्‍न औद्योगिक विशेषज्ञों और हितधारकों से जानकारी और सुझाव लेने के उद्देश्‍य से किया गया था। यह कार्यशाला जीएनएसएस तकनीक पर आधारित है जो भारत में फ्री-फ्लो टोल प्रणाली के लिए भविष्य के रोडमैप की रणनीति बनाने और उसे तैयार करने में मदद करेगी।

महत्‍वपूर्ण सरकारी विभागों, इसरो, एनआईसी, और उद्योगपतियों जैसे वाहन निर्माता, एआईएस-140 ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) निर्माताओं, वैश्विक जीएनएसएस सेवा प्रदाताओं, बैंकों, भुगतान एग्रीगेटर्स / गेटवे सेवा प्रदाताओं सहित विभिन्न हितधारकों को जीएनएसएस आधारित टोल प्रणाली पर विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया गया था। सलाहकारों और उद्योग के विशेषज्ञों के साथ जीएनएसएस आधारित टोल प्रणाली के लिए विश्‍व स्‍तर की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों पर सत्र और प्रस्तुतियां आयोजित की गईं, दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर पर एनएचएआई द्वारा निकाले गए आरंभिक निष्कर्षों और जीएनएसएस वास्तुकला के विभिन्न पहलुओं, निपटान भुगतान प्रक्रिया, प्रस्तावित प्रवर्तन उपायों और कानूनी ढांचे की आवश्यकताओं पर भी चर्चा की गई।

इस अवसर पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव, श्री गिरिधर अरमाने ने कहा कि "जीएनएसएस आधारित टोल प्रणाली में शामिल विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और सुझाव मांगने के लिए हितधारक परामर्श महत्वपूर्ण है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि टोल संग्रह की प्रक्रिया निर्बाध हो। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, हमारे पास एक प्रौद्योगिकी ढांचा होना चाहिए जो हमें एक कुशल तरीके से संचालन में सक्षम बनाए, जो विभिन्न हितधारकों के लिए किफायती और उन्‍हें स्वीकार्य हो। ”

अपने संबोधन में एनएचएआई की अध्यक्ष श्रीमती अलका उपाध्याय ने कहा, "हमें इस सत्र का आयोजन करने और हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करते हुए खुशी हो रही है कि भारत में जीएनएसएस आधारित टोल पर आगे क्या हो सकता है। यह सत्र दुनिया के अन्य हिस्सों से आए विशेषज्ञों से जानकारी हासिल करने और देश भर में जीएनएसएस आधारित टोल की योजना बनाने और इसे लागू करने में आने वाली विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने में हमारी मदद करेगा।”

प्रस्तावित जीएनएसएस प्रौद्योगिकी-आधारित टोल प्रणाली में, एनएच वाला क्षेत्र में बाड़ लगी होगी और इसमें वर्चुअल टोल पॉइंट शामिल होंगे। जब भी जीएनएसएस ओबीयू लगा कोई वाहन इस वर्चुअल टोल पॉइंट से गुज़रेगा, तो यात्रा की गई दूरी की जानकारी एनएवीआईसी, जीपीएस आदि जैसे अनेक समूहों से सेटलाइट सिगनल के आधार पर की जाएगी और लागू शुल्क की गणना केन्‍द्रीय जीएनएसएस सॉफ्टवेयर सिस्टम द्वारा की जाएगी और ओबीयू से जुड़े उपयोगकर्ताओं के बैंक खाते से काट ली जाएगी।

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