भारत अब विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए खुल गया है

भारत अब विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए खुल गया है

न्यूयॉर्क,25 सितंबर 2022-केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज न्यूयॉर्क में प्रवासी भारतीयों से कहा कि यह देश में निवेश करने का ‘‘सर्वश्रेष्‍ठ समय’’ है, क्योंकि भारत तेजी से वैश्विक निवेश गंतव्य बनता जा रहा है।

न्यूयॉर्क में उनके लिए आयोजित सामुदायिक स्वागत पर विख्यात भारतीय प्रवासियों के साथ परस्‍पर बातचीत करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा अनुपालन आवश्यकताओं में कमी, पूर्वव्यापी कराधान को हटाने, कंपनी कर दर संरचना का सरलीकरण, दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) जैसे व्‍यवसाय केन्द्रित सुधारों की बदौलत ‘‘व्‍यवसाय करने में सुगमता’’ में भारत की रैंक 2014 में 142 से बढ़कर 2022 में 63 हो गई है, जैसी कि विश्व बैंक की रिपोर्ट है।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने एनआरआई (अनिवासी भारतीयों) और पीआईओ (भारतीय मूल के व्यक्तियों) को आने और भारत में स्टार्ट-अप के बड़े बूम की खोज करने के लिए भी आमंत्रित किया, जिसकी सफलता वैश्विक चर्चा का विषय बन गई है। उन्होंने कहा, 77,000 से अधिक स्टार्ट-अप और 105 यूनिकॉर्न के साथ, हमारे नवोन्मेषकों, इनक्यूबेटर और उद्यमियों ने अपने लिए एक पहचान बनाई है और यह आपको भारत में उपलब्‍ध अवसरों पर गौर करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित कर सकता है। डॉ. सिंह ने कहा कि देश में 5जी, कृत्रिम आसूचना, ड्रोन, सेमीकंडक्टर्स, ब्लॉक चेन, हरित ऊर्जा और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था जैसे उभरते क्षेत्रों पर पूरा फोकस है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने हमारे विश्वविद्यालय-से-विश्वविद्यालय लिंक, संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रमों, क्रेडिट पोर्टेबिलिटी और अनुसंधान साझेदारी को बढ़ाने के लिए असंख्य मार्ग खोल दिए हैं। उन्होंने कहा, भारत अब विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए देश में परिसर स्थापित करने के लिए तैयार है और हमें उम्मीद है कि अमेरिकी विश्वविद्यालय इन अवसरों का लाभ उठाएंगे।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, साझा मूल्यों वाले दो लोकतंत्रों के रूप में, ज्ञान का खुला आदान-प्रदान हमारी मजबूत साझेदारी की कुंजी है। संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय छात्र इसके अभिन्न अंग हैं, और इसी तरह दोनों पक्षों के विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच हमारे संबंध हैं। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय शिक्षाविद और शोधार्थी भी हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि भारतीय छात्र अमेरिका में दूसरे सबसे बड़े समूह हैं और जो बात उन्हें सबसे विशिष्‍ट बनाती है वह यह है कि उनमें से अधिकांश विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं। उन्होंने कहा, वे दोनों देशों के बीच ज्ञान, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और समृद्धि के प्रवाह में योगदान करते हैं और इस विशिष्ट क्षेत्र में प्रतिभा को निखारने का विशेष महत्व डिजिटल युग में ज्ञान अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और एक हरित ग्रह के निर्माण के लिए है।

डॉ. सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त की कि आज फॉर्च्यून की 500 कंपनियों में से कई, चाहे वह गूगल और उसकी मूल कंपनी अल्फाबेट, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब, आईबीएम, अल्फाबेट, ट्विटर, फेडएक्स, नेटएप और स्टारबक्स हों, का भारतीय या तो उनका नेतृत्व कर रहे हैं या वरिष्ठ प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध 21वीं सदी की निर्धारक साझेदारी के रूप में उभरे हैं और सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान भारत से व्यापारिक निर्यात 417.81 बिलियन डॉलर के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष में दर्ज 291.18 बिलियन डॉलर की तुलना में 43.18 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब भारत ने व्यापारिक निर्यात में 400 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार करने का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल किया है और यह भी प्रदर्शित करता है कि भारत अब एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभर रहा है क्योंकि वैश्विक कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने और चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही हैं।

 

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