उत्तर प्रदेश में बड़े बिजली संकट की बन सकती है संभावना

प्रदेश के अनेक कर्मचारी संघों ने बिजलीकर्मियों की हड़ताल को दिया समर्थन

उत्तर प्रदेश में बड़े बिजली संकट की बन सकती है संभावना

फ़ाइल फोटो-ओबरा तापीय परियोजना में निकला मशाल जुलुस

लखनऊ,13 मार्च 2023-उत्तर प्रदेश राज्य विधुत उत्पादन निगम अंतर्गत ओबरा और अनपरा तापीय परियोजनाओं के विस्तारीकरण का अधिकार एनटीपीसी को सौंपने की प्रक्रिया को लेकर उबाल बढ़ते जा रहा है।  अगर मामले में तत्काल यूपी सरकार ने अपेक्षित हस्तक्षेप नहीं किया तो बिजलीकर्मियों की हड़ताल की पूरी संभावना है। बढ़ते तापमान के कारण बिजली की मांग में वृद्धि जारी है।अगर हड़ताल ने प्रत्यक्ष रूप लिया तो 18 मार्च तक प्रदेश में विधुत संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।सोमवार शाम को ही बिजली की अधिकतम मांग ने 19000 मेगावाट का आकड़ा पार कर लिया था। 
 
पिछले तीन वर्षों के दौरान एनटीपीसी से ही लाखों रूपये खर्च कर उत्पादन निगम द्वारा ओबरा डी और अनपरा ई की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराई जा रही थी। अब उक्त डीपीआर के आधार पर ही एनटीपीसी के साथ योगी सरकार द्वारा दोनों परियोजनाओं के निर्माण का अनुबंध करने का मामला कई संकेत दे रहा है। खासकर प्रदेश के ऊर्जा निगमों के प्रति भाजपा सरकार के रवैये ने निगमों के अस्तित्व को तगड़ा झटका लग रहा है। कभी रेलवे के बाद देश के सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाले बोर्ड रहे उत्तर प्रदेश राज्य विधुत परिषद् को वर्ष 2000 में भाजपा सरकार ने ही कई भागों में बाँट दिया था। जब बिजली को निर्माण से लेकर कंज्यूम होने तक अलग नहीं किया जा सकता है ऐसे में उसके निर्माण से जुड़े विभाग को बांटना पूरी तरह गलत साबित हुआ है। अब वर्तमान में प्रदेश की भाजपा सरकार दो दशक पूर्व स्वयं द्वारा निर्मित ऊर्जा निगमों को भी अपने निशाने पर ले लिया है। जिसके कारण बड़े आंदोलन की संभावना बनते दिख रही है।
 
बिजलीकर्मियों के आक्रोश के बीच राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारी संघों ने संयुक्त रूप से बैठक कर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आन्दोलन एवं प्रस्तावित प्रमुख पदाधिकारियों ने हड़ताल को पुरजोर समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।जिसके बाद हड़ताल के व्यापक होने की संभावना पैदा हो गयी है। अगर अन्य विभागों ने भी काम रोकने का निर्णय लिया तो प्रदेश में सरकारी कार्यों में अफरा-तफरी मच सकती है।
 
सोमवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल में आयोजित बैठक में अमरनाथ यादव, मनमोहन राजबन्सी, शिव बरन सिंह यादव, कमलेश मिश्रा, सतीश कुमार पाण्डेय, आशीष यादव, जी.एन. सिंह, एस.पी. मिश्रा, नौशाद अहमद, रिंकू राय, एन.डी. द्विवेदी, नरपत सिंह चन्द्रौल, सी.के. मंगलम, योगेन्द्र उपाध्याय, ओ.पी. तिवारी, चन्द्रशेखर, राघवेन्द्र कुमार, सैय्यद अतहर कादरी, राम कुमार धानुक, रूद्र प्रकाश वर्मा संयुक्त रूप से जारी बयान में सभी श्रम संघो के पदाधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा के साथ विगत 03 दिसम्बर को हुए लिखित समझौते का पालन कराने हेतु वे प्रभावी हस्तक्षेप करें जिससे ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन की हठवादिता के चलते बना टकराव का वातावरण समाप्त किया जा सके।
 
 
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फ़ाइल फोटो
श्रम संघों के पदाधिकारियों ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा द्वारा जारी बयान, जिसमें बिजलीकर्मियों को राजनीतिक तत्व कहा गया है, की निन्दा करते हुए बिजली कर्मियों की मांगों को समर्थन देते हुए चेतावनी दी है कि यदि शान्तिपूर्ण आन्दोलन के कारण प्रदेश भर में कहीं भी किसी भी बिजलीकर्मी का उत्पीड़न किया गया तो प्रदेश के विभिन्न विभागों एवं निगमों के लगभग 18 लाख कर्मचारी एवं अधिकारी मूकदर्शक नहीं रहेंगे और बिजलीकर्मियों के समर्थन में सड़क पर उतरने हेतु बाध्य होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
 
यूपी विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि घोषित कार्यक्रम के अनुसार 16 मार्च तक ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते का क्रियान्वयन सुनिश्चित न किया गया तो 16 मार्च कि रात्रि 10 बजे से उप्र के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियन्ता एवं निविदा/संविदा कर्मी 72 घण्टे की हड़ताल पर जाने हेतु बाध्य होंगे जिससे उत्पन्न होने वाली किसी भी परिस्थिति का पूर्ण उत्तरदायित्व ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन का होगा।
हड़ताल पर जाने के पूर्व बिजली कर्मी 14 मार्च को प्रदेश के सभी जनपदों व बिजली परियोजनाओं पर शान्तिपूर्वक मशाल जुलूस निकालेंगे। 15 मार्च को प्रातः 10 बजे से हड़ताल प्रारम्भ करने से पूर्व तक अर्थात् 16 मार्च की रात्रि 10 बजे बिजलीकर्मी कार्य बहिष्कार करेंगे।
 
 
 

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