ऊर्जा मंत्री का आदेश फेल,विद्युतकर्मियों पर हुयी कार्यवाही

आरोपित विद्युतकर्मियों का किया गया तबादला

ऊर्जा मंत्री का आदेश फेल,विद्युतकर्मियों पर हुयी कार्यवाही

नई दिल्ली,22 मार्च 2023-उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा निगम के चेयरमैन में मतभेद की अटकलों के बीच विद्युतकर्मियों में आक्रोश की पुनः संभावना बनते दिख रही है। जिसकी झलक 24 मार्च को लखनऊ में तमाम कर्मचारी महासंघों के विशाल प्रदर्शन में दिख सकती है। पिछले दिनों विद्युतकर्मियों की हड़ताल खत्म होने की घोषणा के दौरान ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा देश भर की मीडिया के सामने जो वायदे किये गए थे उसमे ज्यादातर पर कार्यवाही नहीं होने के कारण दोनों के बीच मतभेद खुल कर सामने आ गए हैं। खासकर विद्युतकर्मियों के ऊपर हुए मुकदमों को वापस लेने की कार्यवाही के जो निर्देश ऊर्जामंत्री ने सार्वजनिक तौर पर दिए थे,उनपर कोई अमल नहीं हुआ। हालत यह है कि आरोपित विद्युतकर्मियों पर तगड़ी विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गयी है।साथ ही मामले में चार्जशीट भी दाखिल होने की संभावना है। 

विद्युतकर्मियों पर से मुकदमा वापसी की कार्यवाही की जगह सभी का दूसरी परियोजनाओं में स्थानांतरण कर दिया गया है। बुधवार को सभी विद्युतकर्मियों को रिलीव भी कर दिया गया है। साथ ही वेतन काटे जाने की भी संभावना है। उत्तर प्रदेश राज्य विधुत उत्पादन निगम की सबसे पुरानी ओबरा परियोजना में 25 तथा सबसे बड़ी अनपरा परियोजना में 24 विद्युतकर्मियों के खिलाफ मुकदमा किया गया था। सूत्रों के अनुसार मंगलवार शाम को ही निगम मुख्यालय से कार्यवाही संबंधी आदेश जारी कर दिए गए थे। उक्त आदेश के बाद परियोजनाओं में हलचल मची हुयी है। 

ऊर्जा मंत्री ने मुकदमा वापसी का किया था एलान 

16 मार्च रात दस बजे से चल रही विद्युतकर्मियों की हड़ताल सात घंटे पहले 19 मार्च को समाप्त हो गयी थी। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा से वार्ता के बाद 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल समय के पूर्व वापस लेने की घोषणा की थी। ऊर्जा मंत्री ने संघर्ष समिति के साथ विगत 03 दिसम्बर को हुए समझौते के क्रियान्वयन और अन्य मांगों के सार्थक समाधान हेतु शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही करने की घोषणा की थी। साथ ही ऊर्जा मंत्री ने इस आन्दोलन के फलस्वरूप बिजली कर्मियों के विरूद्ध की गयी समस्त दमनात्मक कार्यवाहियों निलम्बन, निष्कासन, एफआईआर आदि वापस लेने हेतु ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एम देवराज को निर्देश जारी कर दिये थे। 

 

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ओबरा में इन नेताओं पर हुआ है मुकदमा  

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उच्च न्यायालय के निर्णय का इन्तजार 

सूत्रों के अनुसार माना जा रहा है कि उच्च न्यायालय में हड़ताल के खिलाफ दायर याचिका के निर्णय का इन्तजार किया जा रहा है। उच्च न्यायालय के निर्णय नहीं आने के कारण ऊर्जा मंत्री के आदेशों का पालन कराने में देरी की जा रही है।  अगर न्यायालय का आदेश विद्युतकर्मियों के खिलाफ आया तो ऊर्जा विभाग के सामने उहापोह की स्थिति पैदा हो सकती है।जिसको देखते हुए ही ऊर्जा मंत्री के आदेशों को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिख रही है। हालांकि उच्च न्यायालय का निर्णय आने से पहले ही विद्युतकर्मियों के खिलाफ शुरू हुयी विभागीय कार्यवाही भी कई संकेत दे रही।      

 

 

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