उच्च प्रदर्शन वाला गैस सेंसर: वायु गुणवत्ता निगरानी में महत्वपूर्ण सफलता
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भारत में वैज्ञानिकों ने एक नई नैनो संरचना विकसित की है, जो बहुत ही कम सान्द्रता में नाइट्रोजन आक्साइड (NOx) का पता लगाने में सक्षम है। यह नवाचार शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की सटीक निगरानी के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकता है। सेंटर फार नैनो एण्ड साफट मैटर साइंसिज (CENS) के शोधकर्ताओं ने मिश्रित स्पाइनल जिंक फेराइट (ZnFe2O4) नैनोस्ट्रक्चर पर आधारित इस गैस सेंसर को विकसित किया है।
यह सेंसर नाइट्रोजन आक्साइड के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है और इसे कमरे के तापमान पर भी 30 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन) तक की निम्न सान्द्रता का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सेंसर पर्यावरण निगरानी, औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा में बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।
नाइट्रोजन आक्साइड (NOx) कैसे बनती है और इससे क्या है खतरे?
नाइट्रोजन आक्साइड मुख्यतः वाहनों के इंजन, औद्योगिक उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्पन्न होती है। यह गैस वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से बनती है, खासकर जब दहन के दौरान उच्च तापमान उत्पन्न होता है।
नाइट्रोजन आक्साइड के संपर्क में आने से सांस संबंधी समस्याएं, अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी, और हृदय संबंधी रोग हो सकते हैं। इसके अलावा, NOx वायुमंडल में मौजूद अन्य रसायनों के साथ प्रतिक्रिया कर स्मॉग और अम्लीय वर्षा का कारण भी बन सकता है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
उपलब्धि की महत्वपूर्ण बातें:
- उच्च संवेदनशीलता: ZnFe2O4 नैनोस्ट्रक्चर आधारित यह सेंसर बहुत ही कम सान्द्रता (9 पीपीबी) का भी पता लगा सकता है, जो कि सामान्यत: उपयोग किए जाने वाले सेंसरों से कहीं अधिक प्रभावी है।
- कम ऊर्जा मांग: सेंसर की कम ऊर्जा मांग इसे अधिक किफायती और आसान बनाती है, जिससे यह पर्यावरण निगरानी के लिए एक आदर्श समाधान बन सकता है।
- वास्तविक उपयोगिता: इस सेंसर की प्रयोगात्मक उपयोगिता वाहन उत्सर्जन से एकत्रित गैस नमूनों के विश्लेषण में सिद्ध हो चुकी है।
यह नई तकनीक न केवल प्रदूषण कम करने में मददगार हो सकती है, बल्कि जन स्वास्थ्य की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह अनुसंधान भविष्य में वायु गुणवत्ता की बेहतर निगरानी के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
प्रकाशन लिंक: https://doi.org/10.1016/j.cej.2024.151873
अधिक जानकारी के लिये, डा. अंगप्पणे से संपर्क करें (ईमेल: angappane[at]cens[dot]res[dot]in )
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