गूगल ने किया दुनिया के सबसे बड़े कॉर्पोरेट जलविद्युत समझौते पर हस्ताक्षर
दो वर्षों में करेगा ₹2 लाख करोड़ से अधिक का निवेश
तकनीकी दिग्गज गूगल ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और अपने डेटा केंद्रों को स्वच्छ ऊर्जा से संचालित करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े कॉर्पोरेट जलविद्युत समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कंपनी अमेरिका में 3 गीगावाट जलविद्युत खरीदने पर सहमत हुई है, जिसकी कुल लागत 3 बिलियन डॉलर (लगभग ₹25,000 करोड़) आंकी गई है।
यह सौदा ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के साथ हुआ है, जिसमें पेंसिल्वेनिया राज्य के दो जलविद्युत संयंत्रों से आने वाले बिजली की आपूर्ति 20 वर्षों तक सुनिश्चित की गई है।
एआई और क्लाउड के लिए स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत
गूगल अगले दो वर्षों में 25 बिलियन डॉलर (₹2 लाख करोड़ से अधिक) का निवेश अमेरिका के पूर्वी राज्यों में अपने डेटा केंद्रों के विस्तार में करेगा। इन डेटा केंद्रों की बिजली खपत बहुत अधिक होती है, खासकर जब वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे ऊर्जा-गहन तकनीकी क्षेत्रों में काम कर रहे हों।
भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह एक प्रेरक मॉडल हो सकता है कि कैसे निजी कंपनियां भी जलवायु लक्ष्य हासिल करने में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं।
AI से ग्रिड प्रबंधन
गूगल पीजेएम ग्रिड ऑपरेटर के साथ मिलकर AI की मदद से ग्रिड संचालन में सुधार कर रहा है। भारत में भी AI आधारित ऊर्जा प्रबंधन को अपनाने की आवश्यकता है, खासकर जब गर्मी और औद्योगिक गतिविधियों के कारण लोड बढ़ रहा है।
गूगल के पिछले प्रयोग
पिछले एक साल में गूगल ने अमेरिका में उन्नत परमाणु ऊर्जा और कार्बन-मुक्त भू-तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में कई समझौते किए हैं। इससे संकेत मिलता है कि कंपनी हर स्तर पर नवीन, स्वच्छ और दीर्घकालिक ऊर्जा समाधानों को अपनाने के लिए तत्पर है।
गूगल का यह कदम सिर्फ अमेरिका नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है कि तकनीकी विकास और पर्यावरणीय जिम्मेदारी साथ चल सकते हैं। भारत में भी यदि ऐसे कॉर्पोरेट निवेशों को बढ़ावा दिया जाए, तो स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति में तेजी लाई जा सकती है।