टेस्ला ₹100 में पहुँचा देगी 87 किमी तक
"सिर्फ ₹1.14 में 1 किमी? टेस्ला की चाल से हिल सकता है पूरा ऑटो मार्केट!"
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बढ़ती मांग और सरकार की हरित ऊर्जा नीति के बीच टेस्ला ने भारतीय बाजार में प्रवेश की तैयारी तेज़ कर दी है। हालांकि कंपनी की गाड़ियाँ अभी तक सीधे तौर पर उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन दो मॉडल्स को लेकर चर्चाएँ तेज़ हैं। चर्चा का मुख्य विषय है इन गाड़ियों की "प्रति किलोमीटर ऊर्जा लागत", जो इसे आम भारतीय के लिए 'गेम चेंजर' बना सकती है।
कंपनी ने मुंबई के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में अपना पहला शोरूम शुरू करते हुए Model Y की बिक्री का आगाज़ किया है जो कि चीन से आयातित है। भारतीय बाजार में टेस्ला ने दो वेरिएंट्स पेश किए हैं—Model Y RWD (पिछले पहियों वाली ड्राइव) जिसकी एक्स-शोरूम कीमत ₹60 लाख रखी गई है, और Model Y Long Range AWD (ऑल-व्हील ड्राइव) जिसकी कीमत ₹68 लाख है। इन कीमतों को लेकर आम उपभोक्ताओं में उत्साह के साथ-साथ मिश्रित प्रतिक्रियाएं भी देखी जा रही हैं।
पहली डिलीवरी 2025 की तीसरी तिमाही (Q3) से शुरू होने की संभावना है। टेस्ला जल्दी ही दिल्ली और बेंगलुरु में भी शोरूम खोलने की योजना बना रही है।
पेट्रोल के मुकाबले बिजली कितनी सस्ती?
अगर आप लखनऊ या जयपुर जैसे किसी औसत भारतीय शहर में रहते हैं, तो वहां की घरेलू बिजली दरें लगभग ₹7 से ₹10 प्रति यूनिट (kWh) होती हैं। टेस्ला की लोकप्रिय इलेक्ट्रिक कारें जैसे मॉडल 3 और मॉडल Y आम तौर पर प्रति यूनिट बिजली में लगभग 6 से 8 किमी चलती हैं। यदि हम औसतन मानें कि एक यूनिट से 7 किमी दूरी तय होती है और बिजली दर ₹8 प्रति यूनिट है, तो टेस्ला को 1 किमी चलाने में मात्र ₹1.14 खर्च आता है।
इसके उलट अगर पेट्रोल कार की बात करें जो 15 किमी प्रति लीटर का माइलेज देती है और पेट्रोल की कीमत ₹100 प्रति लीटर हो, तो उसका प्रति किलोमीटर खर्च ₹6.66 पड़ता है। इसका मतलब है कि पेट्रोल कार की तुलना में टेस्ला को चलाना 5 गुना तक सस्ता हो सकता है।
यह तुलना न केवल आर्थिक लाभ दिखाती है, बल्कि भविष्य की मोबिलिटी को लेकर जागरूकता भी बढ़ाती है। जब पेट्रोल पर चलने वाली कारें आपकी जेब से ₹100 में सिर्फ 15 किमी चलती हैं, वहीं टेस्ला लगभग ₹16 में 100 किमी से भी ज़्यादा का सफर तय कर सकती है। यही कारण है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर शिफ्ट करना केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, आपकी जेब के लिए भी फायदेमंद है।
चार्जिंग में कितनी बिजली लगेगी?
मॉडल 3 की बैटरी क्षमता लगभग 60 kWh है, जिससे यह एक बार चार्ज होकर 500-550 किमी चल सकती है। यानी फुल चार्ज पर बिजली की खपत होगी करीब 60 यूनिट, जिसकी लागत ₹480 से ₹600 के बीच होगी (स्थान के अनुसार)। इसे तुलना करें पेट्रोल कार से तो इतनी दूरी तय करने में ₹3,500 से अधिक खर्च हो सकते हैं।
बड़े और छोटे शहरों में अलग-अलग लाभ
बड़े शहरों में बिजली दरें भले थोड़ी अधिक हों, लेकिन सार्वजनिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर है। वहीं, छोटे शहरों में जहां बिजली सस्ती है, वहां घर में चार्जिंग सुविधाएं होना ज़्यादा आसान है। इसका मतलब है कि टेस्ला की कारें दोनों जगह अलग-अलग कारणों से लाभकारी साबित हो सकती हैं।
सीमा शुल्क न हो तो कितना सस्ता हो सकता है टेस्ला?
फिलहाल भारत में EV के आयात पर लगभग 70% का सीमा शुल्क है। इससे टेस्ला की गाड़ियाँ बहुत महंगी हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, जिसकी अमेरिकी कीमत $40,000 (लगभग ₹33 लाख) है, वह भारत में ऑन-रोड करीब ₹60 लाख तक पड़ सकती है। यदि ये शुल्क हटा दिया जाए तो कीमत घटकर ₹35-40 लाख तक आ सकती है, जिससे यह मर्सिडीज या BMW जैसी लक्ज़री ब्रांड्स से प्रतिस्पर्धा करने के बजाय, EV मार्केट में मध्यम वर्ग को भी टारगेट कर सकेगी।
सरकार एक नई नीति पर विचार कर रही है जिसमें कंपनियों को 15% कस्टम ड्यूटी की छूट मिलेगी, अगर वे भारत में ₹4000 करोड़ (लगभग $500 मिलियन) का निवेश कर स्थानीय निर्माण शुरू करें।
ऊर्जा संरक्षण की नई उम्मीद
ऊर्जा संकट और बढ़ती ईंधन कीमतों के बीच टेस्ला जैसी इलेक्ट्रिक कारें ऊर्जा संरक्षण की नई उम्मीद बनकर उभरी हैं। भारत में सिर्फ ₹100 की बिजली में 87 किलोमीटर तक चलने की क्षमता न केवल निजी वाहन खर्चों को घटाती है, बल्कि पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम कर स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देती है। यह न सिर्फ जेब के लिए फायदेमंद है, बल्कि देश के ऊर्जा आयात बोझ और कार्बन उत्सर्जन को भी घटाने की दिशा में एक अहम कदम है।
भविष्य की योजना
टेस्ला आने वाले वर्षों में भारत में अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करने की योजना बना रही है। कंपनी 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में अपनी लोकप्रिय सेडान Model 3 को लॉन्च कर सकती है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹50 से ₹60 लाख के बीच होगी। इसके अलावा, 2026 में टेस्ला के लक्ज़री सेगमेंट की Model S और Model X कारें भी भारतीय सड़कों पर उतर सकती हैं, जिनकी कीमत ₹1.2 करोड़ से ₹2 करोड़ तक हो सकती है। कंपनी एक सस्ते इलेक्ट्रिक वाहन (EV) पर भी विचार कर रही है जिसकी कीमत ₹25 लाख से कम हो सकती है, लेकिन इसकी लॉन्चिंग भारत की EV नीतियों पर निर्भर होगी।
भारत के EV बाजार में क्रांति
भारत सरकार 'मेक इन इंडिया' को प्राथमिकता देती है, इसलिए टेस्ला से यही उम्मीद की जा रही है कि वह स्थानीय निर्माण शुरू करे। इसके बदले सरकार सीमा शुल्क में राहत दे सकती है। यदि ऐसा होता है, तो भारत के EV बाजार में क्रांति आ सकती है।
टेस्ला की कारें न केवल तकनीकी रूप से आधुनिक हैं, बल्कि उनकी प्रति किलोमीटर ऊर्जा लागत भी अविश्वसनीय रूप से कम है। अगर भारत में इनकी कीमतें सीमा शुल्क में राहत के साथ संतुलित की जाती हैं, और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होता है, तो ये गाड़ियाँ भारतीय परिवहन की दिशा ही बदल सकती हैं। आने वाले वर्षों में टेस्ला का भारत में प्रवेश न केवल तकनीकी बदलाव लाएगा, बल्कि उपभोक्ताओं को सस्ते, स्वच्छ और स्मार्ट विकल्प भी प्रदान करेगा।
टेस्ला भारत में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए तेलंगाना, गुजरात, और अन्य राज्यों से बात कर रही है। कुछ रिपोर्टों में रिलायंस जैसी भारतीय कंपनियों से साझेदारी की संभावना भी बताई गई है।
टेस्ला ने भारत में आधिकारिक रूप से प्रवेश कर लिया है, लेकिन वर्तमान में यह केवल प्रीमियम खरीदारों को लक्षित कर रही है। यदि कंपनी भारत में निर्माण शुरू करती है और करों में छूट मिलती है, तो आने वाले वर्षों में टेस्ला की गाड़ियाँ और अधिक लोगों के लिए सुलभ हो सकती हैं।