निधि नारंग के कार्यकाल पर लगा विराम, संघर्ष समिति ने की जांच की मांग
बिजलीकर्मियों ने मुख्यमंत्री को बताया 'जनहित का रक्षक'
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में निदेशक वित्त एवं निजीकरण हेतु टेंडर मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष श्री निधि नारंग का कार्यकाल न बढ़ाने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जताया है। साथ ही संघर्ष समिति ने मांग की है कि श्री नारंग द्वारा निजीकरण से जुड़े लिए गए सभी निर्णयों को तत्काल निरस्त किया जाए।
संघर्ष समिति का आरोप है कि श्री नारंग के कार्यकाल में निजीकरण के नाम पर भारी वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं, जिनकी उच्च स्तरीय जांच जरूरी है। समिति का कहना है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए तैयार किए गए दस्तावेज़ एक बड़े घोटाले की ओर संकेत करते हैं, जिसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि जहां एक ओर ऊर्जा मंत्री कर्मचारियों पर फर्जी आरोप लगा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री का यह निर्णय कर्मचारियों और जनहित को लेकर सकारात्मक संकेत देता है। इससे यह उम्मीद जगी है कि निजीकरण की वर्तमान प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री की नज़र है।
ग्रांट थॉर्टन को लेकर भी उठे सवाल
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण प्रक्रिया में ग्रांट थॉर्टन की विवादास्पद नियुक्ति भी संदेह के घेरे में है। समिति के अनुसार, झूठा शपथ पत्र देने की बात स्वीकारने के बावजूद ग्रांट थॉर्टन को कंसल्टेंट के तौर पर बरकरार रखा गया और श्री निधि नारंग ने उन्हें क्लीन चिट भी दी। यह पूरी प्रक्रिया चुनिंदा निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से की गई, ऐसा समिति का दावा है।
कार्यालय सील करने की मांग
समिति ने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को पत्र भेजकर मांग की है कि निदेशक वित्त श्री निधि नारंग का कार्यालय तत्काल सील किया जाए। समिति को सूचना मिली है कि श्री नारंग अपने कार्यालय से कई गोपनीय दस्तावेजों की फोटोकॉपी करा रहे हैं और उन्हें बाहर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। यदि यह सच है तो यह बहुत गंभीर मामला है और पावर कॉरपोरेशन की गोपनीयता को प्रभावित कर सकता है।
प्रदेशव्यापी प्रदर्शन जारी, 245वां दिन
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 245वें दिन बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, अनपरा और पिपरी सहित दर्जनों जिलों में आयोजित किए गए।
संघर्ष समिति ने सरकार से मांग की है कि पावर कारपोरेशन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए श्री नारंग के कार्यकाल के सभी वित्तीय और निजीकरण से जुड़े निर्णयों की स्वतंत्र जांच कराई जाए, जिससे राज्य की ऊर्जा व्यवस्था को निजी हितों से बचाया जा सके।