बिजली राजस्व बकाए पर निजी घरानों की नजर

टोरेंट पावर का करार रद्द करने की मांग

बिजली राजस्व बकाया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की सरकार की कोशिशें अब सवालों के घेरे में हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने आगरा में टोरेंट पावर कंपनी के अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि निजीकरण के पीछे बिजली राजस्व बकाये की भारी-भरकम धनराशि हड़पने का खेल चल रहा है।

राजस्व बकाया बना निजीकरण की सबसे बड़ी लूट का जरिया

संघर्ष समिति का कहना है कि जब 1 अप्रैल 2010 को आगरा की बिजली व्यवस्था टोरेंट पावर को सौंपी गई, तब शहर पर करीब 2200 करोड़ रुपये का बिजली बकाया था। करार के तहत यह धनराशि वसूल कर पावर कॉरपोरेशन को लौटाई जानी थी, लेकिन 15 वर्षों में एक भी पैसा वापस नहीं किया गया।

समिति के मुताबिक पावर कॉरपोरेशन ने नए निजीकरण दस्तावेजों (RFP) में साफ-साफ लिखा है कि नई निजी कंपनियां राजस्व बकाया का सिर्फ 40% ही वसूलेंगी और वापस करेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि लगभग 40,000 करोड़ रुपये सीधे निजी कंपनियों की जेब में चले जाएंगे, और आगरा के उदाहरण को देखते हुए वो 40% भी मिलना संदिग्ध है।

कई शहरों में निजीकरण फेल, फिर भी यूपी में थोपने की तैयारी

संघर्ष समिति ने ओडिशा, नागपुर, औरंगाबाद, ग्वालियर जैसे शहरों में अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मॉडल की पूर्ण विफलता का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश में इसे लागू करने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मांग की है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में पहले से चल रहे निजीकरण प्रयोगों को तुरंत समाप्त किया जाए।

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फेशियल अटेंडेंस बना वेतन रोके जाने का नया हथियार

बिजली कर्मियों पर हो रहे उत्पीड़न की ओर भी समिति ने इशारा किया है। फेशियल अटेंडेंस प्रणाली के बहाने करीब 8000 बिजलीकर्मियों का जून माह का वेतन आज तक नहीं दिया गया, जबकि वे लगातार सेवाएं दे रहे हैं। जुलाई समाप्त होने को है और कर्मचारियों को एक भी दिन का वेतन नहीं मिला, जिसे समिति ने “अमानवीय उत्पीड़न” करार दिया है।

ऊर्जा मंत्री ने भी माना: संविदा कर्मियों की छंटनी से बिजली व्यवस्था चरमराई

संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा के उस बयान का स्वागत किया जिसमें उन्होंने कहा कि कुशल संविदा कर्मचारियों की मनमानी छंटनी से बिजली व्यवस्था बिगड़ी है। समिति ने मंत्री से मांग की है कि मार्च 2023 की हड़ताल और निजीकरण के नाम पर हटाए गए सभी संविदा कर्मचारियों की तत्काल बहाली की जाए।

प्रदेश भर में लगातार विरोध प्रदर्शन, आज 246वां दिन

संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश भर में चल रहे आंदोलन ने 246 दिन पूरे कर लिए हैं। वाराणसी, मेरठ, आगरा, कानपुर, झांसी, बरेली, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, ओबरा, अनपरा समेत 30 से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए गए।

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