हिमालय की बर्फीली चोटियों पर 'ज़हरीले बादल'! अब बादलों से बरस रहा है कैंसर का खतरा

हिमालय में मंडरा रहे ज़हरीले बादल! बोस संस्थान की रिपोर्ट ने खोला खतरे का राज

क्या आपने कभी सोचा है कि पहाड़ों पर बहते बादल जो अब तक ताजगी और शुद्धता के प्रतीक माने जाते थे अब आपके लिए ज़हर बन सकते हैं? जी हां, हिमालय के बादल अब सिर्फ पानी नहीं, बल्कि ज़हरीली धातुओं का तूफान लेकर आ रहे हैं।

बोस इंस्टीट्यूट का चौंकाने वाला खुलासा
कोलकाता स्थित बोस संस्थान ने एक रिसर्च में पाया है कि पूर्वी हिमालय की ऊंचाइयों पर मंडराते बादल तांबा, कैडमियम, क्रोमियम और जिंक जैसी ज़हरीली धातुओं से भर गए हैं। ये बादल अब न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरा बन चुके हैं, बल्कि बच्चों के लिए तो 30% ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं।

ये बादल कहां से ला रहे हैं ज़हर?

बादल कोई साधारण "फ्लोटिंग वाटर वाष्प" नहीं रहे। वैज्ञानिकों के मुताबिक, निचले प्रदूषित शहरों से उठने वाला धातु युक्त धुंआ इन बादलों के साथ यात्रा करता है और उसे हिमालय के सबसे ऊंचे क्षेत्रों तक पहुंचा देता है। यानी जो ज़हर शहरों में निकला, वो अब बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर बिखर रहा है।

सबसे बड़ा खतरा सांस लेना!

आप सोचेंगे कि बादल सिर्फ बारिश करते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बादलों में मौजूद ज़हरीली धातुएं हवा में घुलकर आपके फेफड़ों तक पहुंचती हैं। और इसका सीधा असर कैंसर, त्वचा रोग और विकास संबंधी विकार। डराने वाली बात ये है कि बच्चों में यह खतरा वयस्कों की तुलना में कहीं ज्यादा है।

अब बारिश भी नहीं रही भरोसेमंद

पहाड़ी इलाकों में जो पानी हम सबसे शुद्ध मानते थे, वह अब धातुओं से मिश्रित एक रासायनिक मिश्रण बन चुका है। सोचिए जो पानी झरनों और नदियों के रूप में नीचे आता है, वह अब बीमारियों का घर बन सकता है।

कुछ रोचक आंकड़े

पूर्वी हिमालय के बादलों में धातुएं 40-60% ज्यादा पाई गईं
बच्चों को धातुजन्य बीमारियों का 30% ज्यादा खतरा
प्रदूषण का प्रमुख स्रोत: औद्योगिक उत्सर्जन और भारी यातायात

कहां छपी यह रिसर्च?

इस पूरे अध्ययन को "Environmental Advances" नामक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है और यह आने वाले समय में वायुमंडलीय प्रदूषण पर शोध का नया अध्याय खोलता है।

लेकिन थोड़ी राहत भी...

भारत के बादलों में अभी भी चीन, अमेरिका और पाकिस्तान जैसे देशों की तुलना में काफी कम प्रदूषण पाया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमें अभी भी खुद को बचाने का समय मिला है अगर हम जागरूक हों। 

सोचिए जब बादल ही ज़हर बन जाएं, तो क्या बचता है शुद्ध?

अब वक्त है प्रदूषण के खिलाफ सख्त कदम उठाने का, औद्योगिक नीतियों को सुधारने का और हिमालय को बचाने का। क्योंकि अगर बादल ही ज़हरीले हो गए, तो न आसमान सुरक्षित रहेगा, न ज़मीन। 

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