अल्ज़ाइमर के इलाज की नई उम्मीद: भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा संभावित ब्रेकथ्रू!

“Hope for Alzheimer’s: Breakthrough from India”

क्या अल्ज़ाइमर अब लाइलाज नहीं रहेगा? जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (JNCASR), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease - AD) के संभावित इलाज की दिशा में एक नई क्रांतिकारी खोज की है, जो लाखों रोगियों और उनके परिवारों के लिए आशा की किरण बन सकती है।

NA और प्राकृतिक तत्वों से होगा इलाज?

शोधकर्ताओं ने RNA के एक खास रूप miRNA-7a और एक प्राकृतिक यौगिक HonoKioL पर आधारित इलाज के संभावित रास्ते खोले हैं। यह इलाज मस्तिष्क की सूजन (neuroinflammation) और ferrroptosis (iron आधारित कोशिका मृत्यु) जैसे घातक बदलावों को नियंत्रित कर सकता है, जो अल्ज़ाइमर रोग की जड़ में हैं।

बायोमार्कर भी मिलेगा, इलाज भी!

शोध में पता चला कि miRNA-7a एक प्रोटीन KLF4 को नियंत्रित करता है, जो रोग को फैलाने वाले कई जीन अभिव्यक्तियों में अहम भूमिका निभाता है। इससे अल्ज़ाइमर की पहचान शुरुआती चरण में ही संभव हो सकती है, यानी इलाज शुरू होने से पहले ही रोग का संकेत मिल सकता है।

मैगनोलिया के पेड़ से मिला समाधान!

इस इलाज में उपयोग किया गया प्राकृतिक यौगिक HonoKioL, मैगनोलिया पेड़ की छाल से निकाला जाता है, जो मस्तिष्क में पहुंचने की क्षमता रखता है और KLF4 को निशाना बनाकर अल्ज़ाइमर के प्रभाव को कम करता है।

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चित्र: एडी विकृति विज्ञान और चिकित्सीय लक्ष्य में एमआईआर-7ए-केएलएफ4 एक्सिस की भूमिका को दर्शाने वाला योजनाबद्ध निरूपण

 

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

"यह खोज अल्जाइमर के इलाज में एक नई क्रांति ला सकती है। miRNA-7a और KLF4 के बीच की जैविक कड़ी को निशाना बनाकर न्यूरोनल क्षति को रोका जा सकता है।"
प्रो. गिरीश गंगाधरन, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन

"हमने miRNA को संशोधित करके KLF4 को दबाया और रोग संबंधी असर को कम किया। यह इलाज एक दिन रोग की प्रगति को रोक सकता है।"
प्रो. थिमैया गोविंदराजू, जेएनसीएएसआर

क्या यह इलाज जल्द उपलब्ध होगा?

अभी यह शोध माउस मॉडल पर आधारित है और NAR Molecular Medicine जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यदि यह तकनीक मानव परीक्षण में भी सुरक्षित और प्रभावी सिद्ध होती है, तो यह दवा बाजार में आ सकती है और अल्ज़ाइमर के उपचार में पहला वास्तविक उपचार विकल्प बन सकती है।

क्यों है यह खोज ज़रूरी?

1.अल्ज़ाइमर डिमेंशिया के 70–80% मामलों के लिए ज़िम्मेदार

2.मृत्यु का 5वां सबसे बड़ा कारण

3.वर्तमान दवाएं केवल अस्थायी राहत देती हैं

4.हर साल बढ़ता सामाजिक-आर्थिक बोझ

अल्जाइमर की जड़ पर वार: शोध के प्रमुख तत्व
  • miRNA-7a की भूमिका की खोज

  • KLF4 नामक प्रोटीन को नियंत्रित करने की क्षमता

  • Neuroinflammation और Ferroptosis को रोकना

  • HonoKioL जैसे प्राकृतिक यौगिक का उपयोग

  • नए बायोमार्कर की पहचान से शुरुआती निदान में मदद

यह खोज न केवल अल्ज़ाइमर के इलाज की नई दिशा दिखा रही है, बल्कि यह अन्य न्यूरो-डिजेनेरेटिव और न्यूरो-इन्फ्लेमेटरी बीमारियों के इलाज के लिए भी मार्ग प्रशस्त कर सकती है। यदि सब कुछ सफल रहा, तो यह भारत द्वारा वैश्विक स्तर पर दिया गया एक बड़ा चिकित्सा योगदान होगा।

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