निजीकरण या भ्रष्टाचार? संघर्ष समिति के निशाने पर बिजली निगम के अफसर
उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों का आंदोलन अपने 251वें दिन में प्रवेश कर गया है, और अब यह संघर्ष एक नई दिशा में बढ़ता दिख रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने निदेशक (वित्त) निधि नारंग और पॉवर कारपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल पर निजीकरण की प्रक्रिया में आंकड़ों की हेराफेरी कर, निजी घरानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश का आरोप लगाया है। समिति का कहना है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण को आगे बढ़ाने के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल) दस्तावेज़ों में घाटे के आंकड़े जानबूझकर बढ़ा-चढ़ा कर दिखाए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच टकराव अब नीतिगत स्तर पर पहुंच चुका है। एक तरफ कर्मचारी संघ निजीकरण को आम जनता और कर्मचारियों के लिए हानिकारक बता रहा है, वहीं दूसरी ओर पावर कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ अधिकारी इसे वित्तीय सुधार की दिशा में आवश्यक कदम मान रहे हैं।
पर सवाल यह है कि अगर आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ हुई है, तो वास्तविक पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित होगी? और क्या ऐसे में निजीकरण का फ़ैसला वास्तव में जनहित में होगा या कुछ खास कॉर्पोरेट हितों को साधने की रणनीति है?
संघर्ष समिति के मुख्य आरोप
निजीकरण के पक्ष में ‘झूठे घाटे’ का प्रचार
समिति का दावा है कि पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. गोयल और निदेशक निधि नारंग ने नियामक आयोग और शासन को यह दर्शाने की कोशिश की कि दोनों वितरण निगम भारी घाटे में हैं, जबकि सच्चाई इससे अलग है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभागों पर बकाया राशि और सब्सिडी को भी घाटे में जोड़ा गया है ताकि निजीकरण का आधार मजबूत दिखाया जा सके।
AT&C हानियों के आंकड़ों में हेराफेरी
समिति ने कहा कि AT&C (Aggregate Technical and Commercial) हानियों को भी जानबूझकर उच्च स्तर पर दिखाया जा रहा है, जबकि सरकार स्वयं यह दावा करती रही है कि 2017 के 41% से घटाकर 2023 तक यह हानियां 16% से नीचे लाई गई थीं। अब निजीकरण के पक्ष में इन आंकड़ों को फिर से उलट-पलट कर पेश किया जा रहा है।
निजी नलकूपों की बिजली खपत को कम आंका गया
ग्रामीण इलाकों में किसानों के निजी नलकूपों को मुफ्त बिजली दी जाती है। संघर्ष समिति का कहना है कि इन नलकूपों की वास्तविक खपत कम दिखाकर AT&C हानियों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है, जिससे निजीकरण की ज़रूरत को ज़रूरी ठहराया जा सके।
निधि नारंग और ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट पर मिलीभगत के आरोप
संघर्ष समिति ने आरएफपी दस्तावेज़ तैयार करने में निदेशक निधि नारंग और निजी कंसल्टेंसी फर्म "ग्रांट थॉर्टन" की साठगांठ का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इन्हीं विवादास्पद दस्तावेज़ों के आधार पर निगमों को निजी हाथों में देने की कोशिश हो रही है। समिति ने मुख्य सचिव से अपील की है कि इन दस्तावेज़ों को मंजूरी न दी जाए और नियामक आयोग को कोई निर्णय लेने से पहले बिजली कर्मियों का पक्ष भी सुना जाए।
आगरा-कानपुर का उदाहरण देकर चेतावनी
समिति ने चेताया कि आगरा और कानपुर में पहले हुए निजीकरण के दौरान भी इसी तरह की रणनीति अपनाई गई थी। AT&C हानियों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया और निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। समिति ने कहा कि कैग (CAG) की रिपोर्ट में इस विषय में गंभीर टिप्पणियां की गई थीं। इसके बावजूद आगरा फ्रेंचाइजी को आज तक रद्द नहीं किया गया, जिससे स्पष्ट है कि वर्तमान प्रबंधन निजी कंपनियों के प्रति नरम रवैया अपनाए हुए है।
प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन
251वें दिन भी आंदोलन की धार में कोई कमी नहीं आई है। लखनऊ के साथ-साथ वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, अलीगढ़, बरेली, झांसी, मुजफ्फरनगर, नोएडा, गाजियाबाद और अनपरा सहित राज्य के दर्जनों जनपदों में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ उनकी नौकरियों की नहीं, बल्कि बिजली उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा करने की लड़ाई है।
मुख्य सचिव से अपील
संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्य सचिव से मांग की है कि निजीकरण से संबंधित आरएफपी दस्तावेजों को तत्काल प्रभाव से खारिज किया जाए।डॉ. आशीष गोयल और निधि नारंग की भूमिका की निष्पक्ष जांच करवाई जाए, और यदि हितों का टकराव सामने आए, तो इनके खिलाफ कार्रवाई हो।