कुछ ही मिनटों में अस्थमा बन सकता है जानलेवा- डॉ रवि आनंद

ओबरा बिजली घर के पास अस्थमा और प्रदूषण पर डॉ रवि आनंद का इंटरव्यू

देश में अस्थमा के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों, जैसे कि कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र (coal-based power plants), कोयला खदानें (coal mines) और सीमेंट फैक्ट्रियाँ (cement factories) – इन इलाकों में वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी रोग, खासकर अस्थमा, तेजी से फैल रहा है। यह एक स्वास्थ्य आपात स्थिति का संकेत है जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।

वायु प्रदूषण के स्रोत

कोयला आधारित बिजली घर से भारी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), पर्टिकुलेट मैटर (PM2.5/PM10) उत्सर्जन हो रहा है। उड़ती राख (Fly Ash) का फैलाव और बिना फिल्टर के चिमनियों से निकलता धुआं चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहा है। 

कोयला खदानें की खुदाई से उड़ने वाली धूल,डीजल मशीनों से निकलने वाला धुआं और विस्फोटों के कारण आस-पास की हवा में खतरनाक कण मिल रहे हैं। सीमेंट फैक्ट्रियाँ भी PM कण, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड का भारी उत्सर्जन कर रही हैं। 

बढ़ते अस्थमा के मामले

NIMHANS, ICMR और WHO जैसी संस्थाओं की रिपोर्ट बताती हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अस्थमा के मामले 3 गुना अधिक देखे जा रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों में यह रोग ज्यादा गंभीर रूप लेता है। 2024 में देशभर में अस्थमा के 4.2 करोड़ से अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें से 30% से अधिक प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्रों से थे।

अस्थमा अब केवल एक व्यक्तिगत रोग नहीं रहा, यह औद्योगिकीकरण और पर्यावरणीय लापरवाही का सामूहिक परिणाम बन चुका है। यदि अब भी नीतिगत निर्णय और स्वास्थ्य-परक योजनाएं नहीं लाई गईं, तो आने वाले वर्षों में वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा देश की सबसे बड़ी जन-स्वास्थ्य समस्या बन जाएगा।

अस्थमा को लेकर The power time ने उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में मौजूद देश के सबसे पुराने कोयला आधारित ओबरा बिजली घर के परियोजना चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ रवि आनंद से वार्ता की।  

डॉ रवि आनंद ने बताया कि अस्थमा (Asthma) एक दीर्घकालिक (chronic) रोग है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। इसमें रोगी की श्वसन नलिकाएं (airways) सूज जाती हैं, संकुचित हो जाती हैं और बलगम (mucus) का उत्पादन अधिक होने लगता है। इससे सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न, खांसी और घरघराहट (wheezing) जैसी समस्याएं होती हैं। 

अस्थमा के कारण (Causes of Asthma)

1.एलर्जी (Allergies) – धूल, परागकण, जानवरों की रूसी

2.प्रदूषण (Pollution) – वायु प्रदूषण, धुआं

3.मौसम परिवर्तन

4.ठंडी हवा या सर्दी-जुकाम

5.व्यायाम या थकान

6.तनाव और मानसिक दबाव

7.परिवार में अस्थमा का इतिहास (Genetics)

अस्थमा के लक्षण (Symptoms)

 बार-बार खांसी, खासकर रात में, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न या दर्द, सांस लेने पर सीटी जैसी आवाज़ (wheezing), थकान या व्यायाम के बाद सांस फूलना

dr ravi anand
डॉ रवि आनंद
अस्थमा के खतरे

डॉ रवि आनंद ने बताया कि अस्थमा केवल एक सांस लेने की बीमारी नहीं है, बल्कि यह जीवन की गुणवत्ता और कभी-कभी जीवन के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। 

1. सांस की गंभीर तकलीफ

अस्थमा अटैक के दौरान वायुमार्ग (एयरवे) सिकुड़ जाते हैं और बलगम जमने लगता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति कुछ ही मिनटों में जानलेवा हो सकती है।

2. बार-बार अस्पताल में भर्ती होना

अनियंत्रित अस्थमा के मरीजों को बार-बार अस्पताल जाना पड़ सकता है, खासकर संक्रमण, मौसम बदलाव या प्रदूषण बढ़ने पर।

3. स्थायी फेफड़ों की क्षति

लगातार और लंबे समय तक अनियंत्रित अस्थमा से फेफड़ों की लोच (elasticity) और कार्यक्षमता कम हो सकती है, जिससे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का खतरा बढ़ जाता है।

4. काम और पढ़ाई पर असर

अस्थमा के कारण थकान, कमजोरी और सांस फूलने की समस्या होने से व्यक्ति की कार्य क्षमता और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है।

5. दवाइयों पर निर्भरता

लंबे समय तक इनहेलर और दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे साइड इफेक्ट्स जैसे हड्डियों की कमजोरी, हार्मोनल बदलाव और इम्यूनिटी में कमी हो सकती है।

6. मानसिक स्वास्थ्य पर असर

बार-बार अटैक और स्वास्थ्य की अनिश्चितता के कारण चिंता (Anxiety) और अवसाद (Depression) की समस्या भी हो सकती है।

7. बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरा

कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग, खासकर बच्चे और बुजुर्ग, अस्थमा से जल्दी प्रभावित होते हैं और उनमें जटिलताएं अधिक होती हैं।

निदान (Diagnosis)

1.स्पाइरोमेट्री टेस्ट – फेफड़ों की कार्यक्षमता मापता है

2.पीक फ्लो मीटर – सांस छोड़ने की ताकत मापता है

3.एलर्जी टेस्ट

4.एक्स-रे या सीटी स्कैन (कुछ मामलों में)

उपचार (Treatment)
1. इनहेलर (Inhalers)
  • रिलीवर इनहेलर – त्वरित राहत देता है (जैसे: Salbutamol)

  • प्रिवेंटर इनहेलर – लंबे समय तक असर करता है (जैसे: Steroid-based)

2. नेब्युलाइज़र
  • गंभीर मामलों में दवा को भांप के रूप में दिया जाता है

3. एंटी-एलर्जिक दवाएं
4. इम्यूनोथैरेपी
  • एलर्जी के प्रति संवेदनशीलता कम करने के लिए

घरेलू उपाय व सावधानियां
  • धूल, धुआं और एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों से बचें

  • साफ-सफाई रखें

  • सर्दियों में गर्म कपड़े पहनें

  • योग और प्राणायाम (जैसे अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका)

  • गुनगुना पानी पिएं

  • डॉक्टर के परामर्श के बिना दवा बंद न करें

जरूरी जानकारी
  • अस्थमा ठीक नहीं होता, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

  • सही समय पर इनहेलर और दवाओं का उपयोग करने से मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।

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