अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नई दिशा है भारत में वैश्विक परमाणु ऊर्जा साझेदारी केंद्र
राज्यसभा में गुरुवार को एक लिखित उत्तर के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के अधीन वैश्विक परमाणु ऊर्जा साझेदारी केंद्र (GCNEP) को देश की छठी अनुसंधान एवं विकास (R&D) इकाई के रूप में स्थापित किया गया है। यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा को सुरक्षित, संरक्षित और टिकाऊ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
GCNEP की स्थापना का उद्देश्य न केवल भारत के भीतर वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता को बढ़ाना है, बल्कि यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) समेत दुनिया भर की 17 एजेंसियों और देशों के साथ सक्रिय सहभागिता कर रहा है। केंद्र ने इन साझेदार देशों/एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) भी किए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, GCNEP वर्ष 2017 से अब तक 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन कर चुका है। इनमें से कई कार्यक्रम ऑन-कैंपस आयोजित किए गए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान और क्षमताओं का विकास करना रहा है।
GCNEP द्वारा आयोजित कार्यक्रमों का मुख्य फोकस मानव संसाधन विकास है, जिसमें परमाणु सुरक्षा, रेडियोधर्मी सामग्री की सुरक्षा, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग और टिकाऊ विकास से जुड़े मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि GCNEP के माध्यम से भारत, वैश्विक परमाणु ऊर्जा परिदृश्य में एक जिम्मेदार और अग्रणी राष्ट्र की भूमिका निभा रहा है। यह केंद्र भारत की नीति "परमाणु तकनीक का शांतिपूर्ण उपयोग" को सुदृढ़ करता है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विश्वास बढ़ाता है।
देश में तेजी से बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में GCNEP जैसी संस्थाएं आने वाले वर्षों में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और वैश्विक परमाणु सहयोग में भारत की स्थिति और अधिक सशक्त होगी।