शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिए बिजली का सार्वजनिक क्षेत्र में रहना आवश्यक
निजीकरण के विरोध में तिरंगा लेकर निकले बिजली कर्मी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि विजन डॉक्यूमेंट 2047 में बिजली की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी, इसलिए इसे सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखना बेहद जरूरी है। समिति ने चेतावनी दी कि यदि बिजली का निजीकरण हुआ तो प्रदेश लालटेन युग में चला जाएगा।
"अंग्रेजों भारत छोड़ो" आंदोलन की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को प्रदेशभर में बिजली कर्मियों ने "कार्पोरेट घरानों – सार्वजनिक क्षेत्र में पावर सेक्टर छोड़ो" अभियान की शुरुआत की। सभी जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मचारियों ने तिरंगा रैलियां निकालकर निजीकरण का विरोध किया।
संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले आठ वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली व्यवस्था में सतत सुधार हुआ है। एटी एंड सी हानियां 41% से घटकर 15% तक आ गई हैं, जो राष्ट्रीय मानक है। पहले महाराष्ट्र सबसे अधिक बिजली आपूर्ति करता था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक उपभोक्ताओं को सर्वाधिक बिजली देने वाला राज्य बन गया है।
संघर्ष समिति ने कहा कि अमर शहीदों के सपनों के भारत में बिजली को मौलिक अधिकार बनाना चाहिए। किसानों, गरीबों और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराना सार्वजनिक क्षेत्र में ही संभव है, जबकि निजी कंपनियों के लिए बिजली महज एक व्यापार है।
अभियान के तहत 8 से 15 अगस्त तक किसानों और उपभोक्ताओं को निजीकरण से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाएगा। राजधानी लखनऊ में रेजिडेंसी परिसर में आयोजित सभा में सैकड़ों बिजली कर्मियों ने तिरंगा लहराया और काकोरी क्रांति के अमर शहीदों पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद रैली के रूप में शहीद स्मारक पहुंचे, जहां श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम का समापन हुआ।