विधानसभा सत्र से पहले संघर्ष समिति ने सांसद-विधायकों को भेजा पत्र, दस्तावेज सार्वजनिक करने की मांग
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मामला
उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र से पहले विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने राज्य के सभी सांसदों और विधायकों को पत्र भेजकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की मांग की है। समिति ने आरोप लगाया है कि निजीकरण की पूरी प्रक्रिया अपारदर्शी और संदेह के घेरे में है तथा इसके पीछे "मेगा लूट" की साजिश है।
घाटे का दावा भ्रामक, दोनों निगम मुनाफे में
संघर्ष समिति के अनुसार, पावर कॉर्पोरेशन घाटे के नाम पर इन दोनों निगमों को बेचना चाह रहा है, जबकि हकीकत में ये निगम घाटे में नहीं हैं। सब्सिडी और सरकारी विभागों के बिजली राजस्व का बकाया जोड़ने के बाद वित्त वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल निगम को ₹2,253 करोड़ और दक्षिणांचल निगम को ₹3,011 करोड़ का मुनाफा हुआ है।
1 लाख करोड़ की संपत्ति 6,500 करोड़ में बेचने की तैयारी
समिति ने आरोप लगाया कि दोनों निगमों को मात्र ₹6,500 करोड़ की रिज़र्व प्राइस पर बेचने की तैयारी है, जबकि इनकी परिसंपत्तियों का मूल्य करीब ₹1 लाख करोड़ है। खास बात यह है कि 42 जिलों में फैली अरबों-खरबों रुपये की जमीन मात्र ₹1 प्रति वर्ष की लीज़ पर निजी घरानों को सौंपी जाएगी।
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के प्रावधानों की अनदेखी
संघर्ष समिति ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 131 के तहत किसी भी सरकारी विद्युत वितरण निगम को बेचने से पहले उसकी परिसंपत्तियों और रेवेन्यू पोटेंशियल का सही मूल्यांकन अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 सार्वजनिक करने की मांग
पत्र में कहा गया कि जिस ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 के आधार पर निजीकरण किया जा रहा है, वह आज तक पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है। न तो इसे भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने वेबसाइट पर डाला है और न ही राज्य सरकारों या बिजली वितरण निगमों को भेजा है। समिति ने मांग की कि यह दस्तावेज तुरंत सार्वजनिक किया जाए।
ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट चयन पर सवाल
समिति ने कहा कि निजीकरण प्रक्रिया विवादास्पद रही है। ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की निविदा में हितों के टकराव का प्रावधान हटाना ही भ्रष्टाचार की शुरुआत थी। मेसर्स ग्रांट थॉर्टन को कंसल्टेंट बनाया गया है, जबकि यह अमेरिका में $40,000 के जुर्माने का सामना कर चुकी है और अदानी पावर के लिए भी काम कर रही है।
निजीकरण से बढ़ेगी बिजली दरें
संघर्ष समिति ने चेताया कि निजीकरण के बाद बिजली दरें दो से तीन गुना तक बढ़ सकती हैं। उदाहरण देते हुए बताया गया कि मुंबई में निजी क्षेत्र में बिजली की दर ₹15.71 प्रति यूनिट है, जबकि उत्तर प्रदेश में अधिकतम घरेलू दर ₹6.50 प्रति यूनिट है।
सांसद-विधायकों से अपील
संघर्ष समिति ने सांसदों और विधायकों से अपील की कि वे अपने पद का उपयोग कर व्यापक जनहित में इस निजीकरण निर्णय को रद्द कराने के लिए पहल करें।