टोरेंट पावर से पावर कॉरपोरेशन को हजारों करोड़ का नुकसान

निजीकरण मॉडल पर सवाल तेज

टोरेंट पावर से पावर कॉरपोरेशन को भारी नुकसान

आगरा में बिजली वितरण व्यवस्था के निजीकरण ने पावर कॉरपोरेशन को भारी घाटे में डाल दिया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के अनुसार, वर्ष 2010 से 2024 के बीच मेसर्स टोरेंट पावर को बिजली आपूर्ति करने में ही कॉरपोरेशन को ₹2,434 करोड़ का सीधा नुकसान हुआ है, जबकि वास्तविक हानि करीब ₹10,000 करोड़ आंकी जा रही है। समिति का कहना है कि महंगी बिजली खरीदकर सस्ती दर पर निजी कंपनी को बेचने और बकाया राजस्व की वसूली न होने से यह स्थिति पैदा हुई है।

महंगी बिजली खरीदकर सस्ते में आपूर्ति

वर्ष 2023-24 में पावर कॉरपोरेशन ने ₹5.55 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी, जिसे टोरेंट पावर को ₹4.36 प्रति यूनिट की दर से बेचा गया। इस अंतर से अकेले इसी साल ₹274 करोड़ का घाटा हुआ। वहीं आगरा के औद्योगिक उपभोक्ताओं से टोरेंट पावर ने ₹7.98 प्रति यूनिट की दर वसूलकर करीब ₹800 करोड़ का मुनाफा कमाया, जो अगर सरकारी नियंत्रण में रहता तो पावर कॉरपोरेशन को मिलता।

बकाया वसूली में भी विफलता

संघर्ष समिति के मुताबिक, वर्ष 2010 में आगरा शहर का ₹2,200 करोड़ बिजली राजस्व बकाया था, जिसे टोरेंट पावर को वसूलकर पावर कॉरपोरेशन को लौटाना था। 15 वर्ष बाद भी इस बकाया की एक भी किस्त वापस नहीं की गई, जबकि एग्रीमेंट के तहत 10% राशि कंपनी को इंसेंटिव के रूप में दी जाती रही।

ग्रेटर नोएडा और अन्य शहरों का हाल

ग्रेटर नोएडा में मेसर्स नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड पर आरोप है कि वह घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति नहीं करती। घाटे वाले क्षेत्रों की अनदेखी और अन्य शिकायतों के चलते यूपी सरकार इस कंपनी का लाइसेंस रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रही है।

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अन्य राज्यों में भी निजीकरण नाकाम

संघर्ष समिति ने उड़ीसा, मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और बिहार के कई शहरों का हवाला देते हुए बताया कि वहां अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मॉडल विफल रहा और रद्द करना पड़ा। उड़ीसा में तो यह प्रयोग तीसरी बार असफल हुआ है और नियामक आयोग 15 अगस्त के बाद टाटा पावर के खिलाफ जन सुनवाई करने वाला है।

सांसद-विधायकों से अपील

संघर्ष समिति ने प्रदेश के सभी सांसदों और विधायकों से अपील की कि वे पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय को निरस्त कराने के साथ-साथ आगरा और ग्रेटर नोएडा की बिजली व्यवस्था का सरकारी टेकओवर सुनिश्चित करें।

आंदोलन का 257वां दिन

निजीकरण के विरोध में चल रहा आंदोलन सोमवार को 257वें दिन पर पहुंच गया, जिसमें प्रदेशभर के बिजली कर्मचारियों ने जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक प्रदर्शन किया।

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