यूपी के सोनभद्र में अवैध बालू खनन से मछुआरा समाज सड़कों पर
निषाद पार्टी ने इसे प्रशासन और बालू माफियाओं का गठजोड़ बताया
सोनभद्र,30 दिसंबर 2022-अवैध खनन के लिए कुख्यात सोनभद्र में सरेआम चल रहे अवैध बालू खनन के कारण बड़ी आबादी परेशान हो उठी है। अवैध खनन के कारण पारम्परिक धंधे को लगी चोट से घायल मछुआरा समुदाय आंदोलन की राह पर है। प्रदेश सरकार में सहयोगी निषाद पार्टी भी सोनभद्र में हो रहे सरेआम अवैध बालू खनन के खिलाफ खुल कर सामने आ गयी है। निषाद पार्टी ने इसे स्थानीय प्रशासन और बालू माफियाओं का गठजोड़ बताया है। सोनभद्र के जुगैल थानांतर्गत अगोरी में सोन नदी के तट पर निषाद राज सेवा समिति के बैनर तले हुए धरना प्रदर्शन के दौरान प्रशासन भी चौकन्ना दिखाई पड़ा। जुगैल,चोपन सहित कई थानों की पुलिस और पीएसी मौके पर मौजूद रही। प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर ट्रकों का आवगमन अपुष्ट कारणों से बंद दिखाई पड़ा।
निषाद पार्टी के प्रांतीय पदाधिकारी दयाशंकर निषाद एवं जिलाध्यक्ष रोहित बिन्द ने कहा कि स्थानीय प्रशासन और माफियाओं के गठजोड़ के कारण सोन नदी को जमकर लूटा जा रहा है। जिससे योगी सरकार की छवि को तगड़ा झटका लगा है। कहा कि मामले से वे मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे।
समिति ने कहा कि न्यू इंडिया मिनरल्स के द्वारा आराजी सं० 824 के खण्ड सं0-1, 2, 3 पर बड़े पैमाने पर अवैध खनन व परिवहन किया जा रहा है। सोन नदी की अविरल धारा को बोंधकर उसमें लिफ्टिंग मशीन व बड़ी-बड़ी नावों का बालू खनन करने में उपयोग किया जा रहा है। जिसके कारण गाँव के लोगों का आना-जाना पूर्ण रूप से बन्द हो गया है। आये दिन गाय व भैस पानी पीने के चक्कर में लिफ्टिंग मशीन के द्वारा उपजे दलदल में फँसकर दम तोड़ दे रही है। अपनी आवंटित लीज क्षेत्र को छोड़कर अवैध हिस्से में रात -दिन बालू का खनन कार्य कराया जा रहा है।
महत्वपूर्ण मत्स्य सम्पदा योजना में रिवर रैचिंग के तहत लाखो-लाख रूपये की नदी में मछली छोड़ी जा रही है। जिससे गरीब मछुआरा अपना जीविकोपार्जन करे, पर नदी में बाँध एवं लिफ्टिंग मशीन होने के कारण मछुआरा समाज भूखमरी के कगार पर है। लिफ्टिंग मशीन के ही कारण जलीय जीव-जन्तुओं का बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है। जिनकी वजह से पर्यावरण का भी दोहन किया जा रहा है।
इस दौरान तहसीलदार सुशील कुमार को ज्ञापन सौंपा गया। समिति के अध्यक्ष जितेंद्र निषाद ने ज्ञापन में मांग किया कि महलपुर से बिजौरा तक नियमित रूप से पानी का छिड़काव हो। बच्चों के स्कूल जाने के वक्त ट्रको परिचालन बन्द हों। नदी से लिफ्टिंग मशीन / सक्शन मशीन हटवाया जाय। नदी से बाँध रपटा झाड़ी, बोल्डर हटवाया जाय। ट्रको को रोड से हटवाया जाय तथा समुचित पार्किंग की व्यवस्था की जाय। अनुबन्ध के अनुसार 60 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाय।
www.thepowertime.com ने पूर्व में ही नदी सहित उसपर आश्रित आबादी को हो रहे नुक्सान को सामने लाया था। जिसे आप इस लिंक में पढ़ और देख सकते हैं।
https://www.thepowertime.com/article/1781/zero-tolerance-claim-failed-in-sonbhadra