बालू खनन को लेकर यूपी के आदिवासियों ने खोला मोर्चा
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सोनभद्र,15 फरवरी 2023-देश के सबसे पिछड़े जनपदों में शुमार आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र अवैध बालू खनन के लिए पहले से ही कुख्यात रहा है। नदियों के बीचो-बीच हो रहे अवैध बालू खनन ने जहाँ नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है वहीँ भारी बेरोजगारी झेल रहे जनपद को और कठिन स्थिति में ला खड़ा किया है। अवैध बालू खनन को लेकर आँखें मूंदे जिला प्रशासन के निरंकुशता ने बेरोजगार आदिवासियों को उग्रता के लिए मजबूर कर दिया है। प्रशासन के अघोषित अनुमति के बीच नियम विरुद्ध धड़ल्ले से चल रहे मशीनों से खनन ने बड़ी समस्या पैदा की है। नवंबर 2021 से सोनभद्र में सोन नदी में शुरू हुए बालू खनन में अपेक्षित रोजगार नहीं मिलने के कारण आदिवासी अब प्रशासन और बालू खनन कर्ताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते दिख रहे हैं।
बुधवार को तीर-धनुष के साथ एकत्रित हो रहे आदिवासियों ने शासन प्रशासन को बड़ा संकेत दे दिया है। पहले से घोषित कार्यक्रम के तहत सोन नदी के किनारे मौजूद अगोरी किले पर आदिवासी एकत्रित होने लगे थे। आंदोलन को लेकर अचानक हरकत में आये पुलिस प्रशासन ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे दो नेताओं को पहले ही उनके घरों से उठा ले गयी। एकत्रित हो रहे लोगों को पुलिस किसी तरह समझा बुझाकर शांत करते हुए उन्हें घर भेजा। पूर्व सूचना के आधार पर सजग हुयी पुलिस ने मामले को फिलहाल तो शांत कर दिया है लेकिन आने वाले दिनों में बेरोजगारी का मुद्दा शासन प्रशासन के लिए सिरदर्द बन सकता है। ख़ास कर खुले आम नियम विरुद्ध नदियों के बीच हो रहे बालू खनन से प्रदेश की योगी सरकार की प्रतिष्ठा को तगड़ा झटका लग सकता है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिनके पास खनन मंत्रालय भी है,पूर्व में कई मौकों पर अवैध खनन को लेकर कड़ा ब्यान दिया है लेकिन इसका धरातल पर ख़ास प्रभाव नहीं दिख रहा है। जिसके कारण योगी आदित्यनाथ की छवि को लेकर सवाल उठने की संभावना है।
ये है पूरा मामला
सोनभद्र जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर जुगैल थाना क्षेत्र के अंतर्गत सोन और रेणुका नदियों में बालू खनन किया जा रहा है। जिसमें नियम विरुद्ध बड़ी-बड़ी मशीनें और नाव द्वारा बालू निकालकर लोडिंग और परिवहन किया जा रहा है।बालू खनन से पहले हुयी लोक सुनवाई में अपेक्षित संख्यां में रोजगार की बात ग्रामीणों को बताया गया था,लेकिन बालू खनन शुरू होते ही जिला प्रशासन तय मानकों का पालन कराने में पूरी तरह नाकाम रहा।पिछले एक वर्ष के दौरान कई बार बेरोजगार ग्रामीणों ने आंदोलन की राह पकड़ी लेकिन प्रशासन अपेक्षित रोजगार दिलाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। अभी तक सोन नदी में चल रही खदानों में मजदूरों की उपेक्षा की गयी। पिछले कुछ महीनों से रेणुका नदी में खेवंधा में चालू हुई बालू खदान में भी मजदूरों की उपेक्षा की जा रही है।
सोमवार को ही रामसूरत बैगा और तारकेश्वर गुप्ता ने जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से प्रशासन को अवगत कराया था कि मजदूर बुधवार को सुबह 8 बजे से ग्राम पंचायत खरहरा के टोला पादिडाड़ से हजारों की संख्या में तीर धनुष और तगाड़ी फरसा लेकर पैदल ही अगोरी किला पर इकट्ठा हो कर बालू खनन क्षेत्र में जायेंगे। इसके बाद स्थानीय प्रशासन में खलबली मच गयी। मंगलवार से ही पुलिस सहित ख़ुफ़िया विभाग सक्रिय हो गया था।
बुधवार सुबह सभी मजदूर अगोरी किला पर इकट्ठा हुए तो दोनों नेताओं को अगोरी किला पर न पाकर बेचैन हो गए। जब पता चला कि दोनों नेताओं को जुगैल पुलिस सुबह ही घर से जुगैल थाना ले गई है तब सभी मजदूर उग्र हो गए। नाराज मजदूर ट्रैक्टर ट्राली और ऑटो में सवार होकर जुगैल थाने जाने लगे। जब जुगैल पुलिस को सूचना हुई की सभी मजदूर जुगैल थाना का घेराव करने जा रहे हैं तो थाना प्रभारी विनोद सोनकर ने जोरबा चौराहे पर सभी मजदूरों को रोककर उन्हें शांत कराया। पुलिस ने मजदूरों से लगभग दो दर्जन तीर और आधा दर्जन धनुष अपने कब्जे में ले लिया।तारकेश्वर गुप्ता की पत्नी ने बताया कि हमारे पति को जुगैल पुलिस ने जबरन जुगैल थाना ले गयी और जब हमलोग जुगैल थाना जा रहे हैं तो रास्ते में रोककर बताया कि दोनों नेता को ओबरा भेजा गया है।
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