घाटमपुर ताप विद्युत संयंत्र इस वर्ष के अंत तक चालू हो जाएगा

घाटमपुर ताप विद्युत संयंत्र इस वर्ष के अंत तक चालू हो जाएगा

नई दिल्ली- कोयला क्षेत्र के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, कोयला मंत्रालय ने कोयला उपक्रमों को बड़े पैमाने पर विविधता लाने की सलाह दी है। इसलिए, एनएलसीआईएल ने दो ताप विद्युत संयंत्रों के निर्माण की योजना बनाई है- पहला संयंत्र कानपुर के नजदीक घाटमपुर में स्थापित किया जा रहा है, जिसकी उत्पादन क्षमता 3x660 मेगावाट है। संयंत्र की लागत 19406 करोड़ रुपये है और परियोजना कार्यान्वयन के चरण में है। संभावना है कि इस वर्ष के अंत तक पहली इकाई से उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह विद्युत संयंत्र एनएलसीआईएल और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त उद्यम के तहत स्थापित किया जा रहा है। यह विद्युत संयंत्र उत्तर प्रदेश को 1478.28 मेगावाट तथा असम को 492.72 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करेगा।

एनएलसीआईएल ने ओडिशा के तालावीरा में 3x800 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाले विद्युत संयंत्र की स्थापना करने की योजना बनाई है। यह संयंत्र 19,422 करोड़ रुपये की लागत से एनएलसीआईएल के तालावीरा कोयला खान के निकट स्थापित किया जाएगा। इस संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण और अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और निविदाएं आमंत्रित करने की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। उम्मीद हैं कि इस परियोजना का निर्माण कार्य इस वर्ष के अंत तक शुरू हो जाएगा।यह ताप विद्युत संयंत्र तमिलनाडु को 1450 मेगावाट, पुड्डुचेरी को 100 मेगावाट और केरल को 400 मेगावाट विद्युत की आपूति करेगा। 2028-29 तक इस संयंत्र के पूरे होने की उम्मीद है।

सीआईएफ ने दो विद्युत ताप संयंत्रो की स्थापना करने की योजना बनाई है। पहला संयंत्र मध्य प्रदेश सरकार के साथ संयुक्त उद्यम के तहत अमरकंटक के निकट स्थापित किया जाएगा। इस संयंत्र की क्षमता 1x660 मेगावाट होगी तथा इसकी लागत 5600 करोड़ रुपये है। यह परियोजना अनुमोदन के अंतिम चरण में है। कोल इंडिया लिमिटेड का संयुक्त उद्यम, एसईसीएल हिस्सेदारी के रूप में 857 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। एसईसीएल और मध्य प्रदेश पॉवर जेनेरेटिंग कम्पनी लिमिटेड के बीच संयुक्त उद्यम के तहत इस परियोजना को कार्यान्वित किया जाएगा। इस परियोजना पर चालू वित्त वर्ष के अंत तक काम शुरू होने की उम्मीद है और निर्माण कार्य 2028 तक पूरा होगा। परियोजना के लिए भूमि की व्यवस्था की जा चुकी है।

एक अन्य सहायक उद्यम एमसीएल ने महानदी बेसिन पॉवर लिमिटेड का गठन किया है जो इसकी पूर्ण सहायक इकाई होगी। एमसीएल अपने वसुंधरा खान स्थल के निकट इस विद्युत संयंत्र को स्थापित करने की योजना बना रहा है जिसकी उत्पादन क्षमता 2x800 मेगावाट होगी। विभिन्न राज्यों के प्राप्त अभिरूचि के अनुसार 4000 मेगावाट मूल्य के पीपीए प्रस्तावित है। इसकी अनुमानित लागत 15947 करोड़ रुपये है। अगले वर्ष के मध्य तक इस परियोजना पर कार्य शुरू होने तथा 2028 तक पूरे होने की उम्मीद है।

कोयला मंत्रालय ने सीआईएल के सभी सहायक उद्यमों को कोयला निकाले जा चुके उचित स्थलों की पहचान करने का परामर्श दिया है। इन स्थलों के लिए नए विद्युत संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि कोयला खानों के निकट विद्युत संयंत्र स्थापित करने से विद्युत उत्पादन लागत कम हो जाती है। विद्युत उत्पादन के लिए निश्चित लागत 2.5 रुपये प्रति यूनिट है जबकि परिचालन लागत 1.25 रुपये प्रति यूनिट है। इस प्रकार कोयला खानों के निकट स्थित विद्युत संयंत्रों से 4 रुपये प्रति यूनिट से भी कम लागत पर विद्युत का उत्पादन किया जा सकता है। कोयला मंत्रालय का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में कोयले की अधिशेष मात्रा उपलब्ध होगी। इसलिए सीआईएल के सहायक उद्यमों, एनसीएलसीआईएल तथा एससीसीएल को नए ताप विद्युत संयंत्रों को स्थापित करना चाहिए।

विद्युत मंत्रालय की नीतियों के अनुसार ताप विद्युत संयंत्र के साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का निर्माण भी आवश्यक है, ताकि विद्युत उत्पादन में ताप तथा सौर के समन्वय से वृद्धि की जा सके। इससे उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर बिजली आपूर्ति की सुविधा मिलेगी।

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