जलवायु आर्थिक प्रबंध का दायरा, पैमाना और गति बढ़ानी होगी

जलवायु आर्थिक प्रबंध का दायरा, पैमाना और गति बढ़ानी होगी

स्थिरता का मार्ग आर्थिक प्रबंध और मानव, तकनीकी, संस्थागत और नियामक क्षमता की आवश्यकता बढ़ाता है

नई दिल्ली-पर्यावरणवन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नई दिल्‍ली में जीसीएफ तैयारी कार्यक्रम के तहत "अंडरस्‍टेंडिंग इंडियाज क्‍लाइमेट फाइनेंसिंग नीड्स एंड इट्स मोबीलाइजेशन विद फोकस ऑन ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ)" विषय पर हितधारकों की परामर्श कार्यशाला आयोजित की। यह कार्यशाला भारत में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी रणनीतियां अपनाने के लिए निवेश में तेजी लाने के लिए भारत की जलवायु आर्थिक प्रबंध आवश्यकताओं और आवश्यक निवेश के पैमाने को समझने के लिए चल रहे प्रयास का हिस्सा है।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में पर्यावरण सचिव लीना नंदनग्रीन क्‍लाइमेट फंड की क्षेत्रीय प्रबंधक अनुपा रिमल लामिछाने,  यूएनडीपी की रेजीडेंट प्रतिनिधि शोको नोडा ने भाग लिया। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने मुख्य भाषण दिया।

एमओईएफसीसी में सचिव लीना नंदन ने अपने संबोधन मेंभारत के महत्वाकांक्षी जलवायु कार्यों को पूरा करने के लिए लागत की सीमा को समझने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित कियाजो जलवायु परिवर्तन से जुड़ी रणनीतियां अपनाने के लिए जुटाए जाने वाले आवश्यक निवेश के पैमाने को इंगित करेगा और उन नीतियों की पहचान करने में भी मदद करेगा जो कम कार्बन को बढ़ावा देंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि निजी पूंजी जुटाने और उसका लाभ उठाने के लिए वित्‍तीय सहायता के सार्वजनिक स्रोत की भूमिका महत्‍वपूर्ण होगी। उन्‍होंने जलवायु आर्थिक प्रबंध के दायरेपैमाने और गति पर जोर दियाजिसे भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था की आकांक्षाओं से मेल खाने के लिए काफी बढ़ाना होगा। उन्होंने सामुदायिक स्तर की विकास परियोजनाओं पर जोर दियाजिनमें ग्रीन क्रेडिट उत्पन्न करने की क्षमता है। कार्बन बाजार से उत्‍पन्‍न ग्रीन क्रेडिट निवेश आकर्षित करने के लिए एक प्रभावी माध्यम के रूप में भी कार्य कर सकता है।

सीओपी 26 में "माइंडफुल एंड डेलीब्रेट यूटिलाइजेशनइन्‍सटेड ऑफ माइंडलेस एंड डिस्ट्रक्टिव कंजम्पशन" विषय पर माननीय प्रधानमंत्री के बयान को याद करते हुए डीईए सचिव अजय सेठ ने अपने मुख्य भाषण में कम कार्बन छोड़ने के लिए क्षेत्र की जलवायु वित्त आवश्यकताओं द्वारा क्षेत्र का आकलन करने के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों के लिए तैयार किए जाने वाले क्षेत्रीय रोडमैप में व्यवहार्यता के लिए बाहरीपन और डेल्टा शामिल किया जाना चाहिए। इक्विटी पर जोर देते हुए लेकिन कम कार्बन और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी रणनीतियां अपनाने के मार्गों की ओर विश्‍व के गुजरने में विभिन्‍नता प्रदान करने वाली साझा जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) मेंअतिसंवेदनशील क्षेत्रों और समूहों जैसे एमएसएमईलघु और मझोले किसानों और ग्रामीण समुदायों और की ओर वैश्विक संक्रमण में सामान्य लेकिन विभेदित और जलवायु लचीला मार्गकमजोर क्षेत्रों और समुदायों जैसे एमएसएमईछोटे और सीमांत किसानों और ग्रामीण समुदायों को कम कार्बन परिवर्तन से जुड़े अतिरिक्त लाभ के लिए शामिल किया जाना चाहिए।

कार्यशाला ने आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए भारत की आर्थिक प्रबंध जरूरतों और जलवायु आर्थिक प्रबंध से फायदा उठाने के आकलन के बारे में अपने दो तकनीकी सत्रों द्वारा विभिन्‍न वित्‍तीय साधनों पर ध्‍यान केन्द्रित करने के साथ जलवायु कार्यो के लिए भारत की वित्तीय आवश्यकताओं को समझने पर ध्‍यान लगाया जिसमें भारत सरकारनिजी क्षेत्रों और वित्तीय संस्थानों के गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। कार्यशाला में स्‍थायी विकास के मार्ग की दिशा में काफी हद तक बदलाव लाने के लिए अपेक्षित पूंजी जुटाने के तरीके बताए गए। कार्यशाला में वित्‍तीय साधनों की व्‍यवहार्यता पर जोर डाला गया। कार्यशाला में यह बात भी सामने आई कि स्थिरता का मार्ग आर्थिक प्रबंध और मानवतकनीकीसंस्थागत और नियामक क्षमता की आवश्यकता बढ़ाता है। वित्तीय संसाधन और कथित क्षमताएं बढ़ती जाती हैं जैसे-जैसे देश विकास के घुमावदार रास्‍ते को आगे बढ़ाता है। कार्यशाला में रीवा सौर ऊर्जा परियोजना के अनुभवों और सफलता की कहानियों और मापनीय निजी पूंजी को आकर्षित करने और बैंकेबल  प्रोजेक्‍ट सोर्सिंग तैयार करने की आवश्यकता की भी जानकारी दी गई।  भारत सरकार के प्राप्‍तकर्ता मंत्रालयों/ विभागोंनिजी क्षेत्र के हितधारकोंवित्तीय संस्थानोंजीसीएफ से मान्यता प्राप्त संस्थाओंकार्यकारी संस्थाओंकार्यान्वयन संस्थाओं और अन्य संबंधित ऑपरेटरों ने कार्यशाला में भाग लिया और अपने अनुभव और विचार साझा किए।

कार्यशाला ने अल्पकालिक प्रतिलाभ और दीर्घकालिक लचीलापन; कम लागत वाले ऊर्जा समाधान; लचीली और सुरक्षित ऊर्जा प्रणालीदक्षता और प्रतिस्‍पर्धात्‍मकताऔर एक स्थायी भविष्य के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय इक्विटी में निवेश का लाभ उठाने के तरीकों की पहचान करने पर जोर दिया। जीसीएफ सचिवालय ने जीसीएफ के तहत उपलब्ध सुविधाओं पर अपने विशेषज्ञ विचार भी प्रदान किए। इस परामर्श कार्यशाला ने प्रभावी और सुसंगत जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र और वित्तीय संस्थानों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ वचनबद्धता को मजबूत करने का प्रयास किया है।

Related Posts

Latest News

कई YouTube चैनल चलाना हो तो करना होगा ये उपाय कई YouTube चैनल चलाना हो तो करना होगा ये उपाय
एक व्यक्ति कई YouTube चैनल चला सकता है और उनसे कमाई कर सकता है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम और...
दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल मनोरंजन स्थल है लास वेगास का MSG Sphere
कोयला उत्पादन में 5.85% की वृद्धि
108 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण से ही बचेगा पत्थर खनन व्यवसाय
करोड़पतियों के संगठन की बागडोर अब अजय सिंह के हाथ में
वर्ष 2022 का दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को
मराठवाड़ा क्षेत्र में आर्थिक प्रगति को गति देगा बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र
अनचाहे संदेशों के माध्यम से उपभोक्ताओं को ऐसे ठगते हैं साइबर अपराधी
सूर्य के क्रोमोस्फीयर के असमान घूर्णन को मापने की मिली उपलब्धि
क्या इस बार भारत पैसा कमाने आ रहा है coldplay रॉक बैंड