बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के विकास से कार्बन उत्सर्जन में कमी होने की आशा
नई दिल्ली-केंद्रीय विद्युत व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने यह जानकारी दी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 06.09.2023 को आयोजित अपनी बैठक में 4,000 मेगावाट की क्षमता के साथ बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) के विकास के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण (वीजीएफ) की योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत 3 साल (2023-24 से 2025-26) की अवधि के दौरान परियोजनाओं को मंजूरी दी जाएगी। इस धनराशि का वितरण 5 किश्तों में 2030-31 तक किया जाएगा। 4,000 मेगावाट की बीईएसएस क्षमता के विकास के लिए 2023-26 की अवधि के दौरान बीईएसएस प्रणाली की लागत 2.40 करोड़ रुपये से 2.20 करोड़ करोड़ रुपये/मेगावाट की सीमा में होने का अनुमान है। यह 3,760 करोड़ रुपये के बजट समर्थन के साथ 9,400 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत में परिवर्तित हो जाती है।
केंद्र सरकार बीईएसएस के लिए पूंजीगत लागत का 40 प्रतिशत की सीमा तक वीजीएफ प्रदान करेगी। बीईएसएस के विकास के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं का चयन बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। इसका संचालन कार्यान्वयन एजेंसी (एजेंसियों) योजना और बोली दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुरूप करेगी।
4,000 मेगावाट की बीईएसएस क्षमता के विकास से हर साल कार्बन उत्सर्जन में लगभग 1.3 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) की कमी होने की उम्मीद है। ऐसा बीईएसएस को नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) से चार्ज करने पर संभव होगा।
विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) और अन्य लाभार्थियों द्वारा उपयोग के लिए अधिक मांग की अवधि के दौरान 4,000 मेगावाट तक विद्युत उपलब्ध होगी। यह उनके विशिष्ट उपयोग पैटर्न पर निर्भर होगा।
यह जानकारी केंद्रीय विद्युत व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी है।