अपतटीय खनिज ब्लॉकों की नीलामी के लिए प्रारूप नियम प्रकाशित
नई दिल्ली-खान मंत्रालय अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002 [ओएएमडीआर अधिनियम] की व्यवस्था करता है। यह अधिनियम भारत के प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्रों में खनिज संसाधनों के विकास तथा विनियमन और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों का प्रावधान करता है।
ओएएमडीआर अधिनियम में हाल ही में संशोधन किया गया है, जो 17 अगस्त 2023 से प्रभावी है और जिसने अपतटीय क्षेत्रों में परिचालन अधिकारों के आवंटन के तरीकों में पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण नीलामी प्रक्रिया शुरू की। इसके अलावा, इस संशोधित अधिनियम में, खनन प्रभावित व्यक्तियों के लिए काम करने और अन्वेषण बढ़ाने, तथा किसी भी आपदा की स्थिति में राहत प्रदान करने आदि के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना का प्रावधान किया गया है। संशोधित अधिनियम में विवेकाधीन नवीनीकरण की प्रक्रिया को भी हटा दिया है, इसने पचास वर्षों की एक समान पट्टा अवधि प्रदान की गई है, यह समग्र लाइसेंस की शुरुआत करता है, इसमें विभिन्न परिचालन अधिकारों की क्षेत्र सीमाओं के लिए प्रावधान किया गया है तथा इसमें समग्र लाइसेंस और उत्पादन पट्टे आदि के आसान हस्तांतरण के लिए भी प्रावधान है।
इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने खनिज चूना-मिट्टी और पॉली मेटालिक नोड्यूल्स के लिए भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में, यानी प्रादेशिक जल (12 समुद्री मील) से परे कुछ ब्लॉकों की पहचान की है। इस संबंध में, मंत्रालय ने परियोजनाओं के साथ किसी भी अधिव्यापन से बचने के लिए परिचालन अधिकार प्रदान करने के लिए अपतटीय ब्लॉकों की उपलब्धता के लिए संबंधित मंत्रालयों/विभाग से टिप्पणियां/इनपुट मांगी है।
संशोधित अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए, मंत्रालय ने दो प्रारूप नियम तैयार किए हैं: (i) अपतटीय क्षेत्र खनिज नीलामी नियम और (ii) अपतटीय क्षेत्र खनिज संसाधनों के अस्तित्व के नियम। उक्त प्रारूप नियम हितधारकों से 30 दिनों की अवधि के भीतर, यानी 25 जनवरी 2024 तक टिप्पणियां मांगने के लिए 26 दिसंबर 2023 को मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट https://mines.gov.in/webportal/home पर अपलोड कर दिए गए हैं।