मंगल ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र-आयनमंडल संबंध को डिकोड करने से भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में मदद
भारतीय शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह के क्रस्टल चुंबकीय क्षेत्र और उसके आयनमंडल पर इसके प्रभावों का गहन अध्ययन किया है। यह अध्ययन भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। मंगल ग्रह, जो अपना वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र नहीं रखता है, उसके दक्षिणी गोलार्ध में क्रस्टल चुंबकीय क्षेत्र बिखरे हुए पाए गए हैं। इन क्षेत्रों का प्रभाव दिन के समय प्रबल रहता है, जबकि रात के समय यह प्रभाव लगभग न के बराबर हो जाता है।
भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (आईआईजी) के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के आयनमंडल पर क्रस्टल चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव को दिन और रात के आधार पर अध्ययन किया। इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि दिन के समय क्रस्टल क्षेत्र आयनमंडल को नियंत्रित करते हैं, जो उत्तरी गोलार्ध की तुलना में दक्षिणी गोलार्ध में अधिक प्रबल होता है। इस प्रभाव का मौसम या सूर्य-मंगल की दूरी से कोई संबंध नहीं होता।
इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने नासा के एमएवीईएन उपग्रह के लगभग 8 वर्षों के डेटा का उपयोग किया। यह उपग्रह 2014 से मंगल की परिक्रमा कर रहा है। इस अध्ययन से प्राप्त जानकारी भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है, विशेष रूप से जब बात अंतरिक्ष में चुंबकीय परिरक्षण की होती है।