सोन रत्न संतूर वादक प० रविन्द्र नाथ पाण्डेय का हुआ था निधन
By संजय यादव
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वाराणसी -उत्तर प्रदेश के गिने चुने संतूर वादकों में एक सोनरत्न प० रविन्द्र नाथ पाण्डेय का 27 अप्रैल 2016 में 80 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.वाराणसी स्थित एक चिकित्सालय में उन्होंने अंतिम सांस ली थी .उनके निधन से पूर्वांचल में संगीत का एक महान युग समाप्त हो गया था.उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में गंगा तट पर किया गया.निधन से कुछ दिन पूर्व ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा था.12 मई 1936 को यूपी के सोनभद्र जनपद के शाहगंज में जन्मे पंडित जी ने 1964 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातक एवं 1966 में वहीं से मास्टर डिग्री प्राप्त की.संगीत के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें संगीत के महान विभूतियों के करीब लाया.शास्त्रीय संगीत के महान विभूति पं० ओंकारनाथ ठाकुर के शिष्य के तौर पर उन्होंने शास्त्रीय गायन की बारीकियां सीखी.बनारस घराने के प० पारसनाथ मिश्र एवं प० अमरनाथ मिश्र महंत से उन्होंने तबला और पखावज की शिक्षा ली.उन्होंने प० बलवंत राय भट्ट,जे एस केवलानी एवं डा0 लालमणि मिश्र से संतूर वादन की शिक्षा ली.इसके अलावा उन्होंने प० शिव प्रसाद से ध्रुपद और धमाल सीखा.सन 1969 में वे तत्कालीन सिंचाई विभाग के ओबरा इंटर कालेज में बतौर संगीत शिक्षक नियुक्त हुए.उन्होंने अपना सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम सन 1979 में रवीन्द्रालय लखनऊ में प्रस्तुत किया था.उनकी विशिष्ट प्रतिभा को देखते हुए आकाशवाणी इलाहाबाद ने उन्हें उच्च श्रेणी के कलाकार के रूप में मान्यता दी थी.आकाशवाणी के साथ उन्होंने दूरदर्शन के माध्यम से पूरे देश में एक बड़ा श्रोता वर्ग बना लिया था. आकाशवाणी दिल्ली के राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रस्तुति के साथ वाराणसी,इलाहाबाद,लखनऊ,अलवर,सीकर(राजस्थान),देहरादून,बम्बई एवं गोरखपुर रेडियो स्टेशनों के साथ ताज महोत्सव,अमृत महोत्सव एवं विन्ध्य महोत्सवों में वे लगातार संतूर वादन एवं गायन करते थे.खासकर रेडियो स्टेशनों पर उनकी प्रस्तुतियों के लिए आकाशवाणी प्रशासन लगातार उनके संपर्क में रहता था.वे कई वर्षों तक भारतीय संगीत शिक्षण संस्थान के प्राचार्य के साथ प्रयाग संगीत समिति के स्थानीय मुख्य प्रभारी भी रहे.
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