मछली उत्पादन में भारत ने लगाई जोरदार उछाल
वैश्विक मछली उत्पादन का 8 फीसद हिस्सा भारत से
नई दिल्ली- भारत का मत्स्यपालन क्षेत्र अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। समुद्री खाद्य उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन वैश्विक स्तर पर सराहनीय है। विश्व के दूसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक देश के रूप में भारत ने 2022-23 में 175 लाख टन मछली उत्पादन कर 8% वैश्विक मछली उत्पादन में योगदान दिया। इस क्षेत्र ने भारत के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 1.09% और कृषि GVA में 6.724% का योगदान दिया है। झींगापालन में बढ़ोतरी और निर्यात में लगातार सुधार ने इस क्षेत्र को और भी सुदृढ़ किया है।
मछली उत्पादन में भारत की स्थिति
भारत वर्तमान में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। पिछले कुछ वर्षों में मछली उत्पादन और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। 2022-23 के दौरान भारत ने 175 लाख टन मछली उत्पादन किया, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा समुद्री खाद्य पदार्थों का निर्यात किया गया। सरकार की विभिन्न योजनाओं और पहलों जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY), नीली क्रांति, और अन्य ने इस क्षेत्र में परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभाई है।
सी फूड का निर्यात और उसकी स्थिति
भारत का समुद्री खाद्य (सी फूड) निर्यात पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने 17.8 लाख टन समुद्री खाद्य निर्यात किया, जिसकी कुल कीमत 60,523.89 करोड़ रुपये रही। यह पिछले दशक में समुद्री खाद्य निर्यात में 14% की औसत वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है। झींगा, भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में प्रमुख योगदानकर्ता है, जिसमें उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
झींगा उत्पादन और निर्यात में उछाल
झींगा उत्पादन में भारत ने एक नई ऊँचाई हासिल की है। पिछले एक दशक में झींगा निर्यात में लगभग 107% की वृद्धि हुई है। 2013-14 में झींगा निर्यात 19,368 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 40,013.54 करोड़ रुपये हो गया। झींगा उत्पादन और निर्यात में इस उल्लेखनीय वृद्धि ने न केवल देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है, बल्कि लाखों मछुआरों और तटीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान किए हैं।
भारत के आगामी लक्ष्य
भारत का लक्ष्य न केवल मछली उत्पादन को और बढ़ावा देना है, बल्कि वैश्विक समुद्री खाद्य बाजार में अपनी उपस्थिति को और अधिक मजबूत करना भी है। इसके लिए भारत सरकार ने मत्स्यपालन क्षेत्र में सतत, जिम्मेदार और समावेशी विकास के लिए नई नीतियों और योजनाओं की शुरुआत की है। झींगा उत्पादन और निर्यात में उन्नति के साथ, भारत अब मछलीपालन की नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
भारत सरकार की हाल की पहल, जैसे पीएमएमएसवाई और एफआईडीएफ, मत्स्यपालन क्षेत्र को और अधिक सुदृढ़ कर रही हैं। देश के झींगापालन और इसकी मूल्य श्रृंखला को सशक्त बनाने के लिए सरकारी प्रयासों का मुख्य उद्देश्य न केवल उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि तटीय क्षेत्रों और हाशिए पर पड़े समुदायों की आजीविका में सुधार करना भी है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति
भारत का समुद्री खाद्य निर्यात न केवल मात्रा में बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार कर रहा है। झींगा, मछली और अन्य समुद्री खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए निर्यात की मात्रा में वृद्धि भारत के अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत स्थिति का संकेत है। विश्व के अन्य प्रमुख देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए, भारत ने झींगा उत्पादन में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज की है, और इसके परिणामस्वरूप समुद्री खाद्य निर्यात में निरंतर वृद्धि हो रही है।
मत्स्य निर्यात में बढ़ोतरी पर हितधारक परामर्श बैठक
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह 6 सितंबर, 2024 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में झींगापालन और मूल्य श्रृंखला को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए मत्स्य निर्यात में बढ़ोतरी पर हितधारक परामर्श की अध्यक्षता करेंगे। मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय के अधीन मत्स्यपालन विभाग हितधारक परामर्श का आयोजन कर रहा है। इस हितधारक परामर्श में मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी और पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल और मत्स्यपालन, पशुपालन व डेयरी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के भी संबंधित मंत्रालयों/विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हिस्सा लेने की संभावना है।