अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए पवन ऊर्जा भारत की रणनीति के केंद्र में

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए पवन ऊर्जा भारत की रणनीति के केंद्र में

बेंगलुरु, 15 जून 2025: केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आज बेंगलुरु में आयोजित वैश्विक पवन दिवस सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पवन ऊर्जा भारत की अक्षय ऊर्जा रणनीति का केंद्र बिंदु है। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य स्पष्ट और महत्वाकांक्षी हैं, जिनमें 2030 तक बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से और 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करना शामिल है।

श्री जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि देश को "विनिर्माण के लिए अक्षय ऊर्जा और घरेलू खपत के लिए पारंपरिक ऊर्जा" का एक मिश्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है और पवन ऊर्जा क्षेत्र में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है।

केंद्रीय मंत्री ने पवन ऊर्जा क्षेत्र की तीन प्रमुख चुनौतियों का भी उल्लेख किया, जिनमें चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति, शुल्क प्रतिस्पर्धिता, और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भारत में पवन टर्बाइनों का उत्पादन बढ़कर 225 किलोवाट से 5.2 मेगावाट तक हो गया है, जो न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी है।

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श्री जोशी ने यह भी कहा कि पवन ऊर्जा की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए एक समन्वित राष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सरकार पवन ऊर्जा के लिए मध्य प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे नए राज्यों में विस्तार कर रही है और अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है।

इस कार्यक्रम में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्यों को सम्मानित किया गया। कर्नाटक ने 1331.48 मेगावाट की पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि के साथ पहले स्थान पर अपना नाम दर्ज किया।

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