नई दिल्ली, 10 जून 2025: भारत ने 9 जून को रिकॉर्ड 241 गीगावाट की पीक बिजली मांग को बिना किसी कमी के पूरा कर इतिहास रच दिया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह उपलब्धि देश के मजबूत और विकसित हो रहे बिजली बुनियादी ढांचे का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भारत अब बिजली अधिशेष देश बनने की दिशा में अग्रसर है।
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश ने अब तक की सबसे अधिक 34 गीगावाट उत्पादन क्षमता जोड़ी, जिसमें 29.5 गीगावाट योगदान अक्षय ऊर्जा का रहा। देश की कुल स्थापित क्षमता अब 472.5 गीगावाट तक पहुँच गई है।
ऊर्जा भंडारण को बढ़ावा देते हुए सरकार ने 30 गीगावाट घंटे की नई बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) के लिए 5,400 करोड़ की VGF योजना मंजूर की है, जिससे 33,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। इसके अलावा ISTS शुल्क छूट की अवधि भी 30 जून 2028 तक बढ़ा दी गई है।
उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाते हुए, 2034 तक 1100 केवी की नौ लाइनें और दस सबस्टेशन तैयार किए जाएंगे, जिस पर 53,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। ट्रांसमिशन लाइनों के लिए भूमि मुआवजा भी बढ़ाकर टावर क्षेत्र के लिए 200% और ROW कॉरिडोर के लिए 30% किया गया है।
उत्तराखंड में 250 मेगावाट की टिहरी पंप स्टोरेज परियोजना की पहली इकाई भी चालू हो गई है, जिससे ग्रिड की लचीलापन क्षमता और अक्षय ऊर्जा का एकीकरण बेहतर होगा।
देश की ऊर्जा की कमी अब घटकर मात्र 0.1% रह गई है, जो एक दशक पहले 4.2% थी। सरकार का लक्ष्य ‘हर घर, हर समय बिजली’ सुनिश्चित करना है।