पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत निगमों का निजीकरण रद्द करने की मांग
निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों की तिरंगा रैली
उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था में लगातार सुधार के बावजूद सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) के निजीकरण के फैसले के खिलाफ आज प्रदेशभर में बिजली कर्मियों ने तिरंगा रैली निकाली। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर यह प्रदर्शन आयोजित हुआ, जिसमें बिजली कर्मियों ने स्पष्ट कहा – निजीकरण का फैसला तुरंत रद्द करो, पावर सेक्टर को सार्वजनिक क्षेत्र में ही बनाए रखना जरूरी है।
लखनऊ में काकोरी क्रांति स्मारक तक निकाली गई रैली
राजधानी लखनऊ में बिजली कर्मी राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल पर एकत्र हुए और हाथों में तिरंगा लेकर जीपीओ पार्क स्थित काकोरी क्रांति स्मारक तक रैली निकाली। यह कार्यक्रम काकोरी क्रांति के 100 वर्ष पूरे होने पर 8 अगस्त से शुरू हुए ‘तिरंगा सभा अभियान’ के समापन के अवसर पर आयोजित किया गया।
निजीकरण से सरकार पर बढ़ेगा बोझ
संघर्ष समिति के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि अवैध रूप से नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन की मदद से पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल और निदेशक वित्त निधि नारंग ने निजीकरण का दस्तावेज तैयार कराया है।
दस्तावेज के अनुसार, निजीकरण के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार को निजी कंपनियों को सस्ती दर पर बिजली देनी होगी और उन्हें वित्तीय मदद भी करनी पड़ेगी। समिति ने सवाल उठाया – जब सरकार को पूरा आर्थिक बोझ उठाना ही है, तो ऐसे निजीकरण से प्रदेश को क्या लाभ होगा?
‘घाटा दिखाना झूठा तर्क’
समिति ने कहा कि घाटे का हवाला देकर निजीकरण को सही ठहराना गलत है। किसानों, बुनकरों को दी जाने वाली सब्सिडी और सरकारी विभागों के बिजली बिल बकाया को भी घाटे में शामिल कर दिखाया जा रहा है, जबकि यह वास्तविक घाटा नहीं है।
एटी एंड सी हानियां राष्ट्रीय मानक पर
पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली कर्मियों के प्रयासों से पिछले 8 वर्षों में एटी एंड सी हानियां 42% से घटकर 15% पर आ गई हैं, जो राष्ट्रीय मानक है। चालू वित्तीय वर्ष में इसमें और कमी आने की संभावना है। ऐसे में निजीकरण का कोई औचित्य नहीं है।
प्रदेशभर में गूंजा ‘निजीकरण बंद करो’ का नारा
आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में बड़े पैमाने पर तिरंगा रैलियां निकाली गईं।
बिजली कर्मियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था “निजीकरण का निर्णय निरस्त करो” और “विकसित भारत के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में पावर सेक्टर बनाए रखना जरूरी है”।