भारत ने सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण क्षमता में 100 गीगावाट का ऐतिहासिक आंकड़ा पार किया
भारत ने स्वीकृत मॉडल और निर्माताओं की सूची (ALMM) के अंतर्गत 100 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण क्षमता हासिल कर ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। वर्ष 2014 में यह क्षमता मात्र 2.3 गीगावाट थी, जो अब 100 गीगावाट से अधिक हो गई है।
तेज़ी से बढ़ी निर्माण क्षमता
भारत में सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण क्षमता ने पिछले वर्षों में रिकॉर्ड गति से वृद्धि की है। वर्ष 2014 में यह क्षमता केवल 2.3 गीगावाट थी, जो 2021 में बढ़कर 8.2 गीगावाट हो गई, जब ALMM की पहली सूची जारी की गई थी। इसके बाद महज़ चार वर्षों में यह क्षमता छलांग लगाते हुए 2025 में 100 गीगावाट से अधिक हो गई। निर्माण क्षमता के साथ-साथ निर्माताओं की संख्या में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है — 2021 में जहां 21 निर्माता थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 100 हो गई है, जो देशभर में कुल 123 विनिर्माण इकाइयाँ संचालित कर रहे हैं।
ALMM की शुरुआत
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ALMM आदेश 2 जनवरी 2019 को जारी किया था। 10 मार्च 2021 को पहली सूची जारी हुई, जिसमें 8.2 GW की क्षमता शामिल थी। महज़ चार वर्षों में यह बारह गुना बढ़कर 100 GW से अधिक हो गई।
मंत्रालय ने कहा कि वह नीतिगत सहयोग, बुनियादी ढांचा और नवाचार के माध्यम से इस इकोसिस्टम को और मजबूत करेगा, ताकि भारत की सौर यात्रा समावेशी, प्रतिस्पर्धी और भविष्य के लिए तैयार बनी रहे।
वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान
उच्च दक्षता वाली तकनीक, ऊर्ध्वाधर एकीकृत परिचालन और घरेलू-वैश्विक बाजारों के लिए विविध विनिर्माण क्षमता के चलते भारत अब सौर पीवी विनिर्माण में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरा है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि वह नीतिगत समर्थन, बुनियादी ढाँचा और नवाचार के माध्यम से इस इकोसिस्टम को और मजबूत करेगा, ताकि भारत की सौर यात्रा समावेशी, प्रतिस्पर्धी और भविष्य के लिए तैयार बनी रहे।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाओं से प्रेरित होकर, भारत ने एक मजबूत और आत्मनिर्भर सौर विनिर्माण इकोसिस्टम तैयार किया है। यह उपलब्धि हमें वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य की ओर मजबूती से अग्रसर करती है।