निजीकरण का आरएफपी डॉक्यूमेंट "मेगा घोटाले" का ब्लूप्रिंट, मौन प्रदर्शन की चेतावनी
बिजली कर्मियों का आरोप
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष से मांग की है कि वह पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु तैयार किए गए आरएफपी (Request for Proposal) डॉक्यूमेंट को मंजूरी न दें और तत्काल निरस्त करें।
संघर्ष समिति का कहना है कि यह डॉक्यूमेंट निजी घरानों की मिलीभगत से तैयार किया गया है और यदि इसे रोका नहीं गया तो बिजली कर्मी नियामक आयोग के कार्यालय पर मौन प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।
संघर्ष समिति ने आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार को याद दिलाया कि 5 अक्टूबर 2020 को, जब वह पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष थे, उन्होंने समिति से एक लिखित समझौता किया था। उसमें स्पष्ट किया गया था कि बिजली कर्मियों को विश्वास में लिए बिना राज्य में किसी भी स्तर पर बिजली का निजीकरण नहीं होगा। समिति का कहना है कि मौजूदा कदम इस समझौते का खुला उल्लंघन है।
6500 करोड़ की कीमत पर 1 लाख करोड़ की संपत्ति बेचने की तैयारी
केंद्रीय पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि अवैध रूप से नियुक्त ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा बनाया गया यह आरएफपी डॉक्यूमेंट असल में निजीकरण की आड़ में एक मेगा घोटाले का दस्तावेज है।
समिति ने कहा कि इसमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की लगभग 1 लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को महज 6500 करोड़ रुपए रिजर्व प्राइस पर बेचने का प्रावधान किया गया है। इसे समिति ने “लूट का दस्तावेज” करार दिया।
आगरा में टोरेंट पावर का उदाहरण
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि इसी तरह पहले भी आगरा की बिजली व्यवस्था अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी के तहत टोरेंट पावर को सौंप दी गई थी। अब टोरेंट पावर हर साल 800 करोड़ का मुनाफा कमा रही है जबकि पावर कॉरपोरेशन को 1000 करोड़ का घाटा उठाना पड़ रहा है।
गंभीर आरोप निदेशक वित्त पर
समिति ने यह भी आरोप लगाया कि निदेशक वित्त निधि नारंग ने निजीकरण से जुड़ी 10 से अधिक फाइलों की छायाप्रति अपने पास रख ली है, जो अत्यंत गंभीर मामला है। समिति का कहना है कि जुलाई से ही वह मांग कर रही है कि उनका कमरा सील किया जाए ताकि गोपनीय दस्तावेज बाहर न ले जाए जाएं।
व्यापक जनसंपर्क अभियान
रविवार को अवकाश के दिन भी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आपसी विचार-विमर्श किया और सभी जिलों एवं परियोजनाओं में जनसंपर्क अभियान चलाकर आम जनता को निजीकरण के नाम पर हो रही लूट और घोटाले से अवगत कराया।
समिति ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि नियामक आयोग ने इस आरएफपी डॉक्यूमेंट को निरस्त नहीं किया तो बिजली कर्मी आयोग के कार्यालय पर मौन प्रदर्शन करेंगे।