तटीय राज्यों में ₹3,088 करोड़ के चक्रवात-रोधी बिजली कार्य

चक्रवात-रोधी बिजली कार्य

तटीय राज्यों में जलवायु-जनित आपदाओं से बिजली आपूर्ति सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले माह संसद में जानकारी दी कि महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश में ₹3,088 करोड़ के चक्रवात-रोधी कार्य स्वीकृत हैं। इसमें एचटी/एलटी भूमिगत केबलिंग, आरएमयू, एबीसी केबलिंग, जीआईएस सबस्टेशन और आपातकालीन बहाली प्रणाली (ERS) जैसे उपाय शामिल हैं। यह पैकेज आरडीएसएस (Revamped Distribution Sector Scheme) के तहत चल रहा है। 

मानक व संस्थागत ढांचा (वर्तमान स्थिति)
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की आपदा प्रबंधन योजना और तकनीकी/ग्रिड मानक तटीय क्षेत्रों के लिए अंडरग्राउंडिंग, जीआईएस सबस्टेशन और ERS के उपयोग का स्पष्ट निर्देश देते हैं। मंत्रालय की टास्क फोर्स (जून 2021) ने राज्यों को तट से 20–30 किमी पट्टी में चक्रवात-संवेदी ज़ोन चिह्नित कर नई/पुनर्निर्माण परियोजनाओं को उन्नत डिज़ाइन पैरामीटर के अनुसार बनाने को कहा है। क्षेत्रीय स्तर पर Regional Disaster Management Groups भी गठित किए जा रहे हैं। 

महाराष्ट्र—केस स्टडी (वर्तमान प्रगति)

महाराष्ट्र में ₹17,237 करोड़ के वितरण सुदृढ़ीकरण कार्यों में SCADA-DMS (मुंबई, ₹144 करोड़), आईटी/ओटी उन्नयन (₹244 करोड़) और बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटरिंग (2.35 करोड़ उपभोक्ता मीटर, 4.1 लाख DT मीटर, 29,214 फीडर मीटर) स्वीकृत हैं। ये निवेश चक्रवात के बाद तेज़ बहाली और आउटेज घटाने पर केंद्रित हैं। 

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स्मार्ट मीटरिंग—रीढ़ मज़बूत करने की दिशा (देशव्यापी तस्वीर):
आरडीएसएस के तहत 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर स्वीकृत हैं और 15 जुलाई 2025 तक 2.41 करोड़ लग चुके हैं—यह तटीय नेटवर्क में लोड-निगरानी, फॉल्ट लोकेशन और राजस्व सुरक्षा के लिए अहम है। प्रगति असमान है और समय-सीमा बढ़ाने पर भी चर्चा रही है। 

साइबर सुरक्षा—उभरती प्राथमिकता (वर्तमान व निकट भविष्य):
विद्युत क्षेत्र के लिए CSIRT-Power स्थापित हो चुका है; CEA के साइबर दिशानिर्देश लागू हैं और आयातित उपकरणों का देश के भीतर अनिवार्य परीक्षण सुनिश्चित किया गया है। सरकार ने हाल में संसद में बताया कि CEA (Cyber Security in Power Sector) विनियम को अंतिम रूप दिया जा रहा है—तटीय ग्रिड के डिजिटल संपदा की सुरक्षा के लिए यह अहम होगा। 

5 प्रमुख प्राथमिकताएँ 

1.तटीय पट्टी में 100% अंडरग्राउंडिंग/जीआईएस क्लस्टर: उच्च-जोखिम फीडरों की चरणबद्ध भूमिगत केबलिंग और जीआईएस सबस्टेशन का घनत्व बढ़ाना। (आधार: CEA मानक/टास्क फोर्स सिफारिशें)

2.ERS, मोबाइल सबस्टेशन और स्पेयर पूल: चक्रवात के बाद घंटों में बहाली के लिए Emergency Restoration Systems और महत्त्वपूर्ण स्पेयर्स का साझा क्षेत्रीय भंडार। 

3.स्मार्ट मीटरिंग की गति तेज़ करना: तटीय जिलों में प्राथमिकता से उपभोक्ता/DT/फीडर स्तर पर मीटरिंग पूरी कर रीयल-टाइम नेटवर्क विज़िबिलिटी सुनिश्चित करना।

4. क्षेत्रीय आपदा कमान और मॉक-ड्रिल्स: Regional DM Groups के नियमित अभ्यास, संचार प्रोटोकॉल और बहु-एजेंसी समन्वय।

5. कठोर साइबर नियमावली + स्थानीय परीक्षण: नए CEA साइबर विनियम के साथ एएमआई/SCADA, क्लाउड और OT सुरक्षा की अनिवार्य ऑडिट-मैट्रिक्स। 

सार

नीति, मानक और फाइनेंसिंग की आधारशिला रख दी गई है—₹3,088 करोड़ के चक्रवात-रोधी पैकेज से लेकर स्मार्ट ग्रिड/मीटरिंग और साइबर सुरक्षा तक। अगली छलांग कार्यान्वयन की गति, क्षेत्रीय आपदा-तैयारी और साइबर नियमावली के सख्त पालन से आएगी। यदि राज्य आरडीएसएस लक्ष्यों (खासकर मीटरिंग और अंडरग्राउंडिंग) को समय पर पूरा कर पाते हैं, तो तटीय भारत की बिजली आपूर्ति आने वाले चक्रवात मौसमों में तेज़-बहाली, कम आउटेज और बेहतर उपभोक्ता भरोसा जैसे ठोस परिणाम दिखा सकती है। 

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