हर राज्य में फॉरेस्ट फायर फाइटिंग मैकेनिज्म मजबूत हो-पीएम मोदी

जितनी तेजी से एनवायरमेंट क्लीयरेंस मिलेगी, विकास भी उतनी ही तेजी से होगा

हर राज्य में फॉरेस्ट फायर फाइटिंग मैकेनिज्म मजबूत हो-पीएम मोदी

नई दिल्ली,23 सितंबर 2022-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुजरात के एकता नगर में पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने एकता नगर में आयोजित पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत तेजी से विकसित होती इकोनॉमी भी है, और निरंतर अपनी इकोलॉजी को भी मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा, "हमारे वन कवर में वृद्धि हुई है और आर्द्रभूमि का दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है।"

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2070 के नेट जीरो लक्ष्य की ओर सबका ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि भारत ने साल 2070 तक  नेट जीरो का लक्ष्य रखा है। अब देश का फोकस ग्रीन ग्रोथ पर है, ग्रीन जॉब्स पर है। उन्होंने कहा कि इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, हर राज्य के पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका बहुत बड़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं सभी पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह करूंगा कि राज्यों में सर्कुलर इकोनॉमी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दें।" श्री मोदी ने कहा कि इससे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और एकल उपयोग वाली प्लास्टिक से मुक्ति के हमारे अभियान को भी ताकत मिलेगी।

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पर्यावरण मंत्रालयों की भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस भूमिका को सीमित तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि लंबे समय तक पर्यावरण मंत्रालय एक नियामक के रूप में ही अधिक देखा गया है। हालांकि, प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि पर्यावरण मंत्रालय की भूमिका नियामक के बजाय पर्यावरण को प्रोत्साहित करने के रूप में अधिक है।"

उन्होंने राज्यों से वाहन स्क्रैपिंग नीति, और जैव ईंधन उपायों जैसे एथेनॉल मिश्रण आदि उपायों को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए कहा। उन्होंने इन उपायों को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ राज्यों के बीच सहयोग कायम करने का आह्वान किया।

पश्चिमी दुनिया में जंगल की आग की चिंताजनक दर पर ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वाइल्ड-फायर की वजह से वैश्विक उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी भले ही नगण्य हो, लेकिन हमें अभी से जागरूक होना होगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हर राज्य में फायर फाइटिंग मैकेनिज्म मजबूत हो, टेक्नोलॉजी आधारित हो, ये बहुत जरूरी है। श्री मोदी ने हमारे वन रक्षकों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया, जब जंगल में आग बुझाने की बात हो तो विशेष जोर दिया जाना चाहिए।

एनवायरमेंट क्लीयरेंस प्राप्त करने में आने वाली जटिलताओं की ओर इशारा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना, देश का विकास, देशवासियों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास सफल नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री ने सरदार सरोवर बांध का उदाहरण दिया जिसे 1961 में पंडित नेहरू द्वारा शुरू किया गया था।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण के नाम पर की जा रही साजिशों के कारण इसके निर्माण को पूरा करने में दशकों लग गए। प्रधानमंत्री ने विभिन्न वैश्विक संगठनों और फाउंडेशनों से करोड़ों रुपये लेकर भारत के विकास में बाधा डालने में शहरी नक्सलियों की भूमिका को भी चिन्हित किया। प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों की साजिशों की ओर भी इशारा किया जिसके चलते विश्व बैंक ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने के लिए कर्ज देने से इनकार कर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा, “इन साजिशों को विफल करने में कुछ समय लगा, लेकिन गुजरात के लोग विजयी हुए। बांध को पर्यावरण के लिए खतरा बताया जा रहा था और आज वही बांध पर्यावरण की रक्षा का पर्याय बन गया है।”

प्रधानमंत्री ने सभी से अपने-अपने राज्यों में शहरी नक्सलियों के ऐसे समूहों से सतर्क रहने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने दोहराते हुए कहा कि एनवायरमेंट क्लीयरेंस के लिए 6000 से अधिक प्रस्ताव और फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए 6500 आवेदन राज्यों के पास पड़े हैं। उन्होंने कहा, “राज्यों द्वारा हर उपयुक्त प्रस्ताव को जल्द से जल्द मंजूरी देने का प्रयास किया जाना चाहिए। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस देरी की वजह से हजारों करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अटक जाएंगे।”

प्रधानमंत्री ने काम के माहौल में बदलाव लाने की जरूरत पर भी जोर दिया ताकि लंबित मामलों की संख्या कम हो और मंजूरी में तेजी लाई जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि एनवायरमेंट क्लीयरेंस देने में हम नियमों का भी ध्यान रखते हैं और उस क्षेत्र के लोगों के विकास को भी प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा, "यह इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों के लिए एक जीत की स्थिति है।

" उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारी कोशिश होनी चाहिए कि पर्यावरण के नाम पर ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के कार्य में कोई बाधा पैदा न होने दी जाए। हमें यह याद रखना होगा कि जितनी तेजी से एनवायरमेंट क्लीयरेंस मिलेगी, विकास भी उतनी ही तेजी से होगा।

 

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