अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं को गति

एमएनआरई ने जारी किए संशोधित दिशा-निर्देश, सीएफए प्रक्रिया में लाया बड़ा बदलाव

अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं को गति

नई दिल्ली, 28 जून 2025 (PIB): भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने अपशिष्ट से ऊर्जा (Waste to Energy - WtE) कार्यक्रम के तहत संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं। यह कदम राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत उठाया गया है, जिसका उद्देश्य भारत में जैविक कचरे से स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन देना है।

इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य प्रदर्शन-आधारित वित्तीय सहायता प्रणाली को सरल व पारदर्शी बनाना, निवेश की सुविधा बढ़ाना, और उद्योगों के लिए व्यवसाय करना आसान बनाना है। खासतौर पर MSME क्षेत्र के लिए ये परिवर्तन बेहद मददगार साबित होंगे।

मुख्य विशेषताएं

प्रक्रियाओं में सरलता
कागजी कार्रवाई में कटौती और अनुमोदन प्रक्रियाएं सरल की गईं, जिससे CBG (कंप्रेस्ड बायोगैस), बायोगैस और बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

CFA वितरण का नया ढांचा
अब केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) को दो चरणों में जारी किया जाएगा। पहले चरण में, 50% CFA उन परियोजनाओं को जारी किया जाएगा जो बैंक गारंटी और संचालन की अनुमति (Consent to Operate) प्राप्त कर चुके हैं।शेष 50% CFA तब दिया जाएगा जब संयंत्र 80% या उससे अधिक उत्पादन प्राप्त कर लेगा।

उत्पादन आधारित प्रावधान
यदि संयंत्र निर्धारित 80% उत्पादन स्तर नहीं छू पाता, तो आनुपातिक CFA दिया जाएगा। हालांकि, यदि PLF (Plant Load Factor) 50% से कम है तो CFA नहीं मिलेगा।

निरीक्षण प्रणाली में पारदर्शिता
अब निरीक्षण SSS-NIBE (राष्ट्रीय जैव ऊर्जा संस्थान), संबंधित राज्य नोडल एजेंसियों और अनुमोदित निरीक्षण एजेंसियों के साथ संयुक्त रूप से होगा। अग्रिम CFA न लेने वाले डेवलपर्स को केवल एक बार प्रदर्शन निरीक्षण करवाना होगा।

लचीलापन बढ़ा
डेवलपर्स को अब परियोजना के कमीशनिंग की तिथि से 18 महीने या CFA अनुमोदन की तिथि से, जो भी बाद में हो, के भीतर CFA का दावा करने की सुविधा दी गई है।

सरकार की मंशा

ये संशोधन भारत के 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में एक मजबूत कदम हैं। ये दिशा-निर्देश पराली, औद्योगिक अपशिष्ट, और अन्य जैविक कचरे के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करेंगे।

नवीन दिशा-निर्देशों से वास्तविक प्रदर्शन को प्राथमिकता, वित्तीय लचीलापन, और सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत का WtE सेक्टर और सशक्त बनेगा।

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