सरकार के विज्ञापन से भड़के बिजली कर्मी
विरोध दिवस से जेल भरो आंदोलन की ओर
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की योजना के खिलाफ आज प्रदेश भर के बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर प्रांतव्यापी विरोध दिवस मनाया। यह प्रदर्शन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आयोजित किया गया। सभी जनपदों और परियोजनाओं पर हुए इन विरोध प्रदर्शनों में स्वेच्छा से जेल जाने वाले कर्मचारियों की सूचियाँ भी तैयार की गईं।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में प्रकाशित विज्ञापन, जिसमें निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को मिलने वाले लाभ बताए गए हैं, ने कर्मचारियों और अभियंताओं में तीव्र आक्रोश पैदा किया है।
संघर्ष समिति ने उठाए कई गंभीर सवाल
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि निजीकरण के पहले समिति को तथ्यों सहित अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए। उनका कहना है कि अगर निजीकरण के बाद बिजली आपूर्ति का प्रबंधन 'विश्वसनीय' होगा, तो यह खुद साबित करता है कि पिछले 22 वर्षों से ऊर्जा निगमों का आईएएस प्रबंधन अविश्वसनीय रहा है।
उन्होंने ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा के उस बयान पर भी सवाल खड़े किए, जिसमें कहा गया था कि निजीकरण से बेहतर प्रबंधन और तकनीक आएगी। समिति ने पूछा कि जब आईएएस अधिकारी खुद ऊर्जा मंत्री हैं, तो क्या यह स्वीकारोक्ति नहीं है कि आईएएस प्रबंधन विफल रहा?
ग्रांट थॉर्टन पर भी घेराबंदी
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि निजीकरण की पूरी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की बू है। अमेरिका में दंडित और झूठा शपथ पत्र देने वाली फर्म ग्रांट थॉर्टन को ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त किया गया, जो हितों के टकराव के बावजूद नियुक्त हुई। इसके बाद पॉवर कारपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग को सेवा विस्तार देकर आरएफपी दस्तावेज तैयार कराया गया, जिसे विद्युत नियामक आयोग ने आपत्तियों सहित लौटा दिया।
फिर भी सरकार ने विज्ञापन के माध्यम से निजीकरण के फायदे गिनाने शुरू कर दिए, जिससे स्पष्ट होता है कि नियामक स्वीकृति के बिना ही प्रचार अभियान चलाया जा रहा है।
प्रदेशभर में प्रदर्शन
आज वाराणसी, आगरा, कानपुर, मेरठ, गोरखपुर, अयोध्या, नोएडा, झांसी, अनपरा, ओबरा समेत तमाम जिलों में बिजली कर्मियों ने व्यापक प्रदर्शन किया। लाइनों में खड़े होकर कर्मचारियों ने जेल जाने की सहमति दी और सरकार को चेतावनी दी कि अगर निजीकरण का टेंडर जारी किया गया तो प्रदेश भर में जेल भरो आंदोलन की शुरुआत होगी।
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