कोयले के साथ जैव ईंधन के प्रयोग से कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी

 कोयले के साथ जैव ईंधन के प्रयोग से कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी

नई दिल्ली,3 अक्टूबर 2022-एक समय में जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को जलाने की प्रक्रिया से ताप बिजली उत्पादन में कार्बनडाइक्‍साइड फुटप्रिंट में कमी आई है।इसको लेकर विधुत मंत्रालय काफी गंभीर हुआ है। खासकर पराली जलाने को लेकर पिछले कुछ वर्षों के दौरान बनी कुख्यात स्थिति ने बड़ी चिंता पैदा की है।

सोमवार को केंद्रीय विद्युत और एनआरई मंत्री आरके सिंह ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के साथ थर्मल पावर प्लांटों में बायोमास छर्रों की सह-फायरिंग पर एक अंतर-मंत्रालयी बैठक की सह-अध्यक्षता की।

ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास छर्रों को सह-फायरिंग के लाभ

विधुत मंत्री आरके सिंह ने पूर्व में संसद में थर्मल पावर स्टेशन (टीपीएस) में बायोमास को-फायरिंग के कई फायदे बताये थे। बताया था कि जैव ईंधन के प्रयोग से बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले कोयले की मात्रा में कमी के परिणामस्वरूप CO2 उत्सर्जन में बचत होती है। इससे ऊर्जा क्षेत्र की कोयले पर निर्भरता भी कम होगी। देश भर में टीपीएस में 5 फीसदी को-फायरिंग की मांग को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की नीति लागू होने और आपूर्ति श्रृंखला के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए की गई कई पहलों के साथ, निकट भविष्य में पेलेट / ब्रिकेट निर्माण क्षमता बढ़ने की उम्मीद है।

35 ताप विद्युत संयंत्रों में हो रहा जैव ईधन का प्रयोग 

24 जुलाई 2022 तक 55335 मेगावाट की संचयी क्षमता वाले देश के 35 ताप विद्युत संयंत्रों में लगभग 80525 मीट्रिक टन जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को एक समय में जलाया गया। एक समय में जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को जलाने वाले संयंत्रों की संख्या लगभग एक वर्ष की अवधि में चौगुनी हो गई । इन संयंत्रों में से 14 एनटीपीसी के हैं, राज्य और निजी क्षेत्र के 21 बिजली संयंत्र भी हैं। इन सभी के परिणामस्वरूप ताप बिजली उत्पादन में कार्बनडाइक्‍साइड फुटप्रिंट में 1 लाख मीट्रिक टन की कमी आई है। वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक, देश में केवल 7 बिजली संयंत्रों ने जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को एक समय में जलाया था।

विद्युत मंत्रालय ने ताप बिजली संयंत्रों में जैव ईंधन के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन (समर्थ के रूप में पुनर्नामित) शुरू किया, जो ताप बिजली संयंत्रों में जैव ईंधन कचरे को जीवाश्‍म ईंधन के साथ एक समय पर जलाने का प्रावधान करता है, जो हरित बिजली उत्पादन के अवसर के लिए पराली जलाने की चुनौतियों को बदलने और किसानों और छोटे उद्यमियों के लिए आय सृजन का प्रयास करता है। समर्थ ताप बिजली संयंत्रों को जैव ईंधन और जीवाश्‍म ईंधन को एक समय में जलाने के सुचारू परिवर्तन को सक्षम बनाने में आने वाली समस्याओं को हल करने में अग्रणी रहा है।

जैव ईंधन खरीद पक्ष पर, 40 से अधिक संयंत्रों द्वारा बड़ी संख्या में नई निविदाएं मंगाई गई हैं। लगभग 248.16 लाख मीट्रिक टन जैव ईंधन निविदाएं निविदा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें से लगभग 120 लाख मीट्रिक टन दिए जाने के तहत हैं जबकि 13 लाख मीट्रिक टन जैव ईंधन निविदाओं के लिए पहले ही ऑर्डर दिया जा चुका है।

 

Related Posts

Latest News

जल विद्युत क्षमता के दोहन से भारत की ऊर्जा जरूरतों को लगेगा पंख जल विद्युत क्षमता के दोहन से भारत की ऊर्जा जरूरतों को लगेगा पंख
जल विद्युत क्षमता का दोहन न केवल पर्यावरण के लिए हितकारी है बल्कि यह ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा...
उत्तर प्रदेश व चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में 06 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन
यूपी सरकार ने बिजलीकर्मियों की संभावित हड़ताल से निपटने की रणनीति बनाई
कौड़ियों के मोल बिजली विभाग की अरबों-खरबों की परिसम्पत्तियाँ बेचने की चल रही साजिश
हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट पारेषण से कम होगा लाइन लॉस
2029-30 तक 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य
कोयला श्रमिकों के कल्याण में सुधार के लिए प्रतिबद्धता
68 हजार बिजली कर्मचारियों पर लटक रही छंटनी की तलवार
बिजली का निजीकरण कल्याणकारी राज्य के विरुद्ध - एआईपीएफ
हाइड्रो श्रेणी की स्वदेश में विकसित सतही हाइड्रोकाइनेटिक टरबाइन प्रौद्योगिकी को मान्यता