ऊर्जा निगमों के चर्चित चेयरमैन एम् देवराज हटाए गये
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड सहित कई ऊर्जा निगमों के चेयरमैन रहे प्रमुख सचिव एम देवराज का तबादला प्रदेश की योगी सरकार ने कर दिया है।पिछले दो वर्षों से ऊर्जा क्षेत्र में कई बदलाव में मुख्य भूमिका निभा रहे चेयरमैन के तबादले को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। आईएएस एम देवराज को प्राविधिक शिक्षा विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है। वरिष्ठ आईएएस आशीष गोयल को यूपीपीसीएल का नया चेयरमैन बनाया गया है। आशीष गोयल हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे हैं।
देवराज लगातार चर्चा में रहे
ट्रेड यूनियनों से सीधी टक्कर के कारण देवराज लगातार चर्चा में रहे। खासकर प्रदेश के उर्जा मंत्री एके शर्मा के साथ उनके अनबन जग जाहिर थे।विधुत कर्मियों की हड़ताल के दौरान उनके ऊपर हुए मुकदमे वापसी की सार्वजनिक घोषणा में उर्जा मंत्री की काफी छीछालेदर हुयी थी।देश भर की मीडिया के सामने ऊर्जा मंत्री ने ट्रेड यूनियनों के नेताओं के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नहीं करने की घोषणा की थी।लेकिन इसके बावजूद उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के तमाम नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।इसके अलावा उन्हें निलंबित करते हुए दूसरे परियोजनाओं से संबंद्धित कर दिया गया।इस दमनात्मक कार्यवाही के कारण विद्युत कर्मियों में योगी सरकार की काफी किरकिरी हो रही थी।
ईआरपी घोटाला रहा चर्चा में
निवर्तमान चेयरमैन एम् देवराज के कार्यकाल के दौरान बिजली निगमों में ईआरपी प्रणाली लागू कराने हेतु लगभग 700 करोड़ रू का खर्च काफी चर्चा में रहा। यह खर्च अन्य प्रदेशों की तुलना में कई गुना अधिक था। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में लगभग 90 करोड़ रूपये, आंध्रप्रदेश में लगभग 25 करोड़, तमिलनाडु में लगभग 40 करोड़ ईआरपी में खर्च किये गये थे । तमाम ट्रेड यूनियनों ने इसे बड़ा भ्रष्टाचार बताया था।ट्रेड यूनियनों ने वर्ष 2021 के सितम्बर एवं अक्टूबर माह में उत्पन्न कोयला संकट के दौरान कोल इण्डिया लिमिटेड को कोयले बकाये के भुगतान हेतु उत्पादन निगम को मात्र कुछ करोड़ रूपये भी नहीं दिए गए थे जबकि इस दौरान उत्पन्न किये गये कथित तौर पर कृत्रिम बिजली संकट के दौरान एनर्जी एक्सचेंज से 20-21 रू0 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी गयी। इसी प्रकार 2020 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन निजी कंपनी के स्मार्ट मीटर के खराब होने पर लाखों उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति ठप करने की दोषी निजी कम्पनी पर चेयरमैन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी थी। बड़ी संख्या में सलाहकारों की नियुक्ति के मामले में भी एम् देवराज चर्चा में रहे।