नवोन्मेषी जल स्त्रोतों का प्रबंधन परियोजना "तमारा" का समर्थन

 नवोन्मेषी जल स्त्रोतों का प्रबंधन परियोजना

नई दिल्ली-जिस तरह से दुनिया घटते जल संसाधनों के प्रबंधन की चुनौतियों से जूझ रही है, इस वजह से भारत सरकार के प्रयास और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। महत्वपूर्ण पहलों में से एक अमृत 2.0 मिशन है, जिसका विशिष्ट लक्ष्य उपयोगी जल निकायों को संरक्षित करना और चक्रीय जल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। यह मिशन, शहरी नियोजन रणनीतियों में सुधार करते हुए जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने और पानी की बर्बादी को कम करने के दोहरे उद्देश्य को पूरा करता है। यह नीली अर्थव्यवस्था की अवधारणा के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की बेहतरी को बनाए रखते हुए आर्थिक विकास के लिए समुद्री संसाधनों के निरंतर उपयोग पर जोर देता है।

जल स्त्रोतों का प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ओडिशा के मेसर्स बारीफ्लो लैब्स प्राइवेट लिमिटेड को "इंटेलिजेंट वॉटर बॉडी मैनेजमेंट सिस्टम (आईडब्ल्यूएमएस) का विकास और व्यावसायीकरण- तमारा" नामक परियोजना को समर्थन दे रहा है। बोर्ड ने इस परियोजना के लिए कुल परियोजना लागत 150.00 लाख रुपये में से 89.00 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की है।

इस परियोजना के नवाचार के केंद्र में पानी की गुणवत्ता का प्रबंधन करने के लिए सेंसर और आईओटी-आधारित तकनीक के साथ उन्नत एक स्मार्ट वातन प्रणाली (एरेशन सिस्टम) है। यह आधुनिक विज़न न केवल जल और अपशिष्ट जल के शोधन के मौजूदा तरीकों में सुधार करता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि जल स्त्रोतों और जलीय कृषि तालाब सभी के लिए स्वच्छ और स्वस्थ रहें।

इसके मूल में, परियोजना एक एआई और आईओटी-आधारित प्रणाली पेश करती है जो जल स्त्रोतों की स्थिति की निगरानी करने के अलावा और भी बहुत कुछ करती है- यह उनकी बेहतरी में सक्रिय रूप से योगदान देती है। इस व्यापक प्रणाली में कई प्रमुख तत्व शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

स्मार्ट सेडिमेंट एरेशन सिस्टम: यह नवोन्मेष जल में डिफ्यूज़र एरेटर को ऊपर और नीचे ले जाने के लिए रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करता है। यह जलाशयों के तल तक अधिक ऑक्सीजन लाने में मदद करता है। इस प्रणाली का वास्तविक दुनिया की स्थितियों में परीक्षण किया गया है और यह ताजे और खारे पानी दोनों में अच्छी तरह से काम करती है।

स्मार्ट जलवायु-केंद्रित जल गुणवत्ता निगरानी प्रणाली: यह प्रणाली जल स्त्रोतों में घूमती है और नीचे से सतह तक पानी की गुणवत्ता की जांच करती है। यह कंप्यूटर सिमुलेशन द्वारा पहचाने गए महत्वपूर्ण बिंदुओं का अनुसरण करता है। यह पानी में पोषक तत्वों के स्तर और उसमें ऑक्सीजन की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है।

स्मार्ट वीड हार्वेस्टर सिस्टम (प्लाशबोट): यह प्रणाली जल स्त्रोतों से अनावश्यक पौधों को हटा देती है। इसमें पौधों को ढूंढने, हटाने, खत्म और स्थानांतरित करने के लिए अलग-अलग भाग होते हैं। यह सुचारु रूप से काम करने के लिए स्मार्ट नेविगेशन का उपयोग करता है।

संचार प्रणाली और डेटा सुरक्षा: यह प्रणाली उपकरणों के बीच डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिए एक विशेष प्रकार की तकनीक का उपयोग करती है। यह डेटा को सुरक्षित रखता है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया गया है कि यह अच्छी तरह से काम करता है।

इस परियोजना का विज़न एक ऐसी प्रणाली में रोबोट, आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने पर आधारित है जो मौसम की स्थिति और पानी की गुणवत्ता को समझती है। यह स्मार्ट सिस्टम ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के स्तर पर भी नज़र रखता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पानी जलीय जीवन के लिए अच्छा है। यह व्यावहारिक समाधान जल निकायों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के सचिव, आईपी एंड टीएएफएस श्री राजेश कुमार पाठक ने उल्लेख किया कि, “इस परियोजना का समर्थन करके, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड हमारे पर्यावरण की रक्षा करने वाले सकारात्मक परिवर्तनों को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है। तमारा को समर्थन देने का बोर्ड का दृष्टिकोण हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य को बढ़ावा देने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह परियोजना नमामि गंगे और जल शक्ति अभियान जैसी सरकार की अन्य सफल पहलों के अनुरूप है जो भारत के जल निकायों को पुनर्जीवित करने और उनका संरक्षण करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। कंपनी का लक्ष्य पारिस्थितिक लचीलेपन को प्राथमिकता देते हुए लोगों के लिए जल-सुरक्षित भविष्य प्रदान करने के भारत के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करना है।

 

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