उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में स्थानांतरण को लेकर बवाल
प्रदेश की बिजली व्यवस्था हो सकती है बेपटरी ,CBI जांच की मांग
उत्तर प्रदेश में पावर कॉर्पोरेशन में बड़े पैमाने पर हुए स्थानांतरण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि तबादलों में हुए लेनदेन के आरोपों की सीबीआई से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि लगभग 1500 अभियंताओं, इतने ही जूनियर इंजीनियरों और हजारों छोटे कर्मचारियों का स्थानांतरण नीति के विपरीत किया गया है। समिति का कहना है कि इनमें से अधिकतर तबादले बिना किसी स्पष्ट नीति के किए गए हैं और इनके पीछे भारी लेनदेन और भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है।
स्थिति उस समय और तनावपूर्ण हो गई जब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक और ऊर्जा मंत्री के बीच कथित लेनदेन से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ। संघर्ष समिति ने इस वायरल ऑडियो को गंभीर बताते हुए कहा कि अब इस पूरे मामले की सीबीआई जांच आवश्यक हो गई है।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा इतने बड़े पैमाने पर स्थानांतरण किए गए हैं जिससे इस भीषण गर्मी में प्रदेश की बिजली व्यवस्था बेपटरी हो सकती है। वितरण के अभियंताओं को ट्रांसमिशन में ट्रान्सफर करना और बड़ी संख्या में प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने में ट्रांसफर करना विद्युत आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। चेयरमैन ने कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सबको कार्यमुक्त करने के आदेश दे दिए।
19 जून से वाराणसी में अनिश्चितकालीन सत्याग्रह
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा किए गए "उत्पीड़नात्मक" स्थानांतरणों के विरोध में वाराणसी के बिजली कर्मचारी 19 जून से अनिश्चितकालीन सत्याग्रह की शुरुआत करेंगे। इसके लिए एमडी को नोटिस भी दे दिया गया है जिसमें साफ कहा गया है कि अगर तबादले रद्द नहीं किए गए, तो उत्पन्न होने वाली स्थिति के लिए पूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।
संघर्ष समिति का यह भी कहना है कि स्थानांतरणों की प्रक्रिया अब “स्थानांतरण उद्योग” में तब्दील हो चुकी है और इससे मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति की सरेआम अवहेलना हो रही है। छोटे पदों पर कार्यरत महिला कर्मचारियों को भी सुदूर स्थानांतरित किया गया है, जिससे कर्मचारी वर्ग में गहरा आक्रोश है। उधर संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 203 वें दिन प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी
संघर्ष समिति के आह्वान पर लगातार 203वें दिन भी प्रदेशभर में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन जारी रखा। वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, अयोध्या, अलीगढ़, नोएडा, गाजियाबाद, झांसी, बांदा, अनपरा, ओबरा समेत दर्जनों जिलों में कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
अब यह मामला पावर कारपोरेशन प्रबंधन के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है। यदि सीबीआई जांच की सिफारिश नहीं हुई, तो संघर्ष समिति इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की बात कह चुकी है।संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्व में भी पावर कारपोरेशन में स्थानांतरण को लेकर लगे आरोपों के चलते सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया था। इसके बाद से जो भी स्थानांतरण होते हैं वह सर्वोच्च न्यायालय की हाई पावर कमेटी के सामने रखे जाते हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के मौजूदा प्रबंधन द्वारा और खासकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा किए गए स्थानांतरण आदेशों में लेनदेन की बात सामने आने के बाद संघर्ष समिति माननीय सर्वोच्च न्यायालय को भी सारे घटनाक्रम से संज्ञानित कराएगी।
यह मामला राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है, विशेष रूप से तब जब सरकार खुद को भ्रष्टाचार के विरुद्ध “जीरो टॉलरेंस” नीति का पक्षधर बताती रही है।