जहरीले पौधों में छिपी है जीवन बचाने की शक्ति!
गुवाहाटी के वैज्ञानिकों की नई खोज
कभी सिर्फ ज़हर समझे जाने वाले पौधे अब बन सकते हैं नई दवाओं की नींव!
गुवाहाटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) के वैज्ञानिकों ने ऐसा चौंकाने वाला और उम्मीद से भरा खुलासा किया है, जिससे आधुनिक चिकित्सा को नया रास्ता मिल सकता है।
वैज्ञानिकों ने असम के जैव विविधता-समृद्ध क्षेत्रों में पाए जाने वाले 70 से अधिक विषैले पौधों की प्रजातियों का अध्ययन किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी पौधे पारंपरिक चिकित्सा में पहले से ही बुखार, त्वचा रोगों और यहां तक कि सांप के काटने जैसे उपचारों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अब इन्हीं पौधों में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स (प्राकृतिक यौगिकों) को वैज्ञानिक तरीके से शोध के दायरे में लाया गया है।

जहरीले यौगिकों में छिपे हैं औषधीय गुण
IASST के निदेशक प्रो. आशीष के. मुखर्जी और वरिष्ठ शोध फेलो भाग्य लखमी राजबोंगशी के नेतृत्व में शोध दल ने पाया कि ये जहरीले पौधे ऐसे फाइटोकेमिकल्स बनाते हैं जो न केवल पौधों की रक्षा करते हैं बल्कि इंसानी शरीर में भी गहरा असर डाल सकते हैं।
हालांकि इनमें से कुछ यौगिक विषैले हैं, लेकिन उन्हें सावधानीपूर्वक पृथक और संशोधित कर औषधीय उपयोग के योग्य बनाया जा सकता है। यह पूरी प्रक्रिया आधुनिक फार्माकोलॉजी की दिशा में एक नया मोड़ लेकर आ रही है।
रिसर्च पत्रिका 'Toxicon: X' में प्रकाशित अध्ययन
यह अध्ययन Elsevier की प्रतिष्ठित पत्रिका Toxicon: X में प्रकाशित हुआ है, जिसमें इन यौगिकों की चिकित्सीय संभावनाओं को वैध करने की प्रक्रिया पर भी ज़ोर दिया गया है।
शोध यह भी दिखाता है कि कैसे आदिवासी और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग आधुनिक विज्ञान में दवाओं की खोज के लिए किया जा सकता है।
क्या बन सकती हैं ये दवाएं?
विशेषज्ञों का मानना है कि इन पौधों से प्राप्त यौगिकों को यदि कठोर परीक्षणों से गुजारा जाए, तो ये कैंसर, पीलिया, त्वचा रोगों, वायरल संक्रमण जैसी बीमारियों के लिए नई जीवनरक्षक दवाएं बन सकती हैं।
लोक उपचार से वैज्ञानिक समाधान तक का सफर
IASST के शोधकर्ता मानते हैं कि लोक-उपचारों को सीधे दवाओं में बदलना संभव नहीं, लेकिन यह शोध उस लंबे वैज्ञानिक सफर का पहला मजबूत कदम है जो एक दिन FDA अनुमोदित औषधि तक पहुंच सकता है।
यह खोज बताती है कि प्रकृति में जो ज़हर है, वही सावधानी और विज्ञान के साथ जीवनदायी अमृत में बदला जा सकता है। गुवाहाटी से निकला यह शोध भारत की पारंपरिक चिकित्सा और आधुनिक विज्ञान को एक साथ जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
स्रोत - PIB Delhi