विद्युत नियामक आयोग पर कॉरपोरेट दबाव का आरोप
निजीकरण की जल्दबाज़ी पर भड़के बिजली कर्मचारी
उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के निजीकरण को लेकर चल रहे विवाद में मंगलवार को एक और बड़ा मोड़ आ गया, जब विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों बिजली कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के मुख्यालय पर मौन प्रदर्शन किया।संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए तैयार आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग से जल्दबाजी में अभिमत देने के लिए निजी घरानों और पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा दबाव बनाया जा रहा है।
कर्मचारियों ने हाथों में “कॉरपोरेट के दबाव में निजीकरण स्वीकार्य नहीं” जैसी तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और नियामक आयोग को चेताया कि वह निजी हितों के बजाय जनहित में निर्णय ले।
त्यागपत्र और ट्रांसफर घोटाले की गूंज
संघर्ष समिति ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को लेकर इस कदर जल्दबाजी में है कि वह नैतिक और प्रशासनिक मर्यादाएं तक तोड़ने को तैयार है। समिति के अनुसार, पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष और निदेशक (वित्त) द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि वे गलत और पक्षपातपूर्ण संस्तुति पर हस्ताक्षर करें, ताकि नियामक आयोग से जल्दबाजी में निजीकरण के पक्ष में अभिमत प्राप्त किया जा सके।
संघर्ष समिति ने दावा किया है कि इस अनुचित दबाव और अनैतिक कार्यशैली से क्षुब्ध होकर पावर कारपोरेशन के डायरेक्टर (फंड) ने अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। त्यागपत्र की यह घटना यह दर्शाती है कि उच्च स्तर पर भी निजीकरण को लेकर असहमति और आंतरिक कलह उत्पन्न हो चुकी है।
इसी बीच वाराणसी में ट्रांसफर घोटाले को लेकर बिजली कर्मचारियों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। हजारों की संख्या में हुए ट्रांसफर और उसमें लेनदेन की बात सामने आने के बाद कर्मचारियों ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू कर दिया है।
घबराए प्रबंधन ने मुख्य द्वार पर ताला लगवा दिया, लेकिन कर्मचारी गेट पर ही डटे रहे।
प्रदेश भर में विरोध की लहर
वाराणसी के साथ-साथ आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, झांसी, नोएडा, गाजियाबाद, अनपरा, ओबरा समेत प्रदेश के कई शहरों में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण और ट्रांसफर आदेशों के विरोध में प्रदर्शन किया।
बिजली महापंचायत में होगा बड़ा खुलासा
संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि 22 जून को लखनऊ में आयोजित बिजली महापंचायत में न केवल निजीकरण से उपभोक्ताओं और किसानों को होने वाले नुकसान पर चर्चा होगी, बल्कि इसके पीछे छिपे ‘मेगा घोटाले’ का भी पर्दाफाश किया जाएगा।
बिजली कर्मचारियों के प्रदर्शन और आरोपों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र का निजीकरण सिर्फ प्रशासनिक मसला नहीं रह गया है, यह अब राजनीतिक और जन-सरोकार का मुद्दा बनता जा रहा है। अब देखना यह है कि विद्युत नियामक आयोग और राज्य सरकार इस जनआक्रोश का किस तरह जवाब देती है।