गोद लेने के बावजूद भी बदहाल पड़े हैं विद्यालय

गोद लेने के बावजूद भी बदहाल पड़े हैं विद्यालय

फोटो-गोद लिये जाने के बावजूद बदहाल सदर ब्लॉक के कंम्हारी गांव  का प्राथमिक विद्यालय

सोनभद्र,(उप्र),15 सितंबर 2022- परिषदीय विद्यालयों को पुरानी छवि से बाहर निकालने और शिक्षा के बेहतर माहौल के लिये कायाकल्प अभियान सहित विभिन्न योजनाओ का संचालन हो रहा है। चार माह पहले सरकार ने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को भी एक-एक विद्यालय को गोद लेने को कहा था। महीनों बाद भी यह प्रक्रिया कागजो तक ही सिमट कर रह गयी है। कायाकल्प अभियान व गोद लेने के बाद भी जिले में बड़ी संख्या में परिषदीय विद्यालयों की स्थिति जर्जर है। इतना ही नही गोद लेने के बाद अधिकांश अधिकारी और जन प्रतिनिधि उन विद्यालयों में झांकने तक नही गये हैं।

सूबे की कमान दूसरी बार संभालने के बाद प्रदेश के मुखिया योगी आदित्य नाथ ने सभी अफसरों और जन प्रतिनिधियों को एक एक परिषदीय विद्यालय को गोद लेकर उसे सुविधा सम्पन्न कराने का निर्देश दिया था, ताकि किन्ही कारण वश अगर विद्यालय में कोई कमी रह गयी हो तो उसे दूर किया जा सके।इसी क्रम में सोनभद्र के शिक्षा विभाग का दावा है कि जिले के कुल 93 परिषदीय विद्यालयों को गोद लिया गया है मगर सच्चाई इससे कोसो दूर है।

खेवनहारों का इन्तजार कर रहे विद्यालय 

विभाग ने गोद लेने की प्रक्रिया को वैसे ही गोपनीय ढंग से किया ताकि किसी को इसका पता न चल सके। इतना ही नही अधिकारियों के पदनाम से विद्यालय आवंटित हुए है और स्थानांतरित होकर आये नये अधिकारी को इसका पता तक नही है। सुदूर नगवां ,चतरा,म्योरपुर , बभनी, दुद्धी, कर्मा ,कोन,घोरावल, ब्लाकों की तो बात छोडिये मुख्यालय स्थित सदर ब्लॉक पर गोद लिये विद्यालय अपने अपने ग्राही के आने का इंतज़ार ही कर रहे हैं।

कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिये 

'कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिये, कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये'। जिला मुख्यालय और बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ्तर से दो किलोमीटर दूर स्थित सदर ब्लॉक के कंम्हारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय पर यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती है । मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान , शिक्षा विभाग के कायाकल्प और मोदी सरकार के गोद लेने के अभियान को ठेंगा दिखाते मिल जायेंगे।

इन  दोनों विद्यालयों में बुनियादी सुविधा के नाम पर अपेक्षित व्यवस्था नही दिखती है।  दोनों विद्यालयों के गेट टूटे हैं , बच्चो को बजबजाती नालियों से होकर ही अन्दर जाना पड़ता है। इतना ही नहीं जर्जर हो चुकी बाउन्ड्री कभी भी हादसे को अंजाम दे सकती है। विद्यालय के आसपास लम्बी घास इन दिनों खतरे का सबब बनी हुई है।

 

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