भारतीय रेलवे की साइलो लोडिंग से थर्मल प्लांट में कोयले का रिकॉर्ड स्टॉक
ऊर्जा सुरक्षा को मिली मजबूती
भारतीय रेलवे और कोयला मंत्रालय की साझेदारी से कोयला आपूर्ति शृंखला को मिली नई गति, जिससे देश के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले का भंडारण 61.3 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है। यह स्टॉक 25 दिनों की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, जो गर्मी के चरम मौसम और आगामी मानसून के दौरान बिजली उत्पादन में किसी भी बाधा से बचाव के लिए एक अहम रणनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है।
साइलो लोडिंग ने बदली तस्वीर
रेलवे द्वारा कोयले की साइलो लोडिंग प्रक्रिया को तेज करने से कोयले की आपूर्ति की गुणवत्ता और गति दोनों में सुधार आया है। साइलो लोडिंग वह मशीनीकृत तकनीक है, जिसमें कोयले को सीधे स्टोरेज साइलो से रेलवे वैगनों में लोड किया जाता है, न कि पारंपरिक तरीकों जैसे मैनुअल शॉवलिंग या फ्रंट-एंड लोडर से। इससे कोयले के आकार की एकरूपता बनी रहती है, बिजली संयंत्रों में बड़े पत्थरों की शिकायतें समाप्त होती हैं, और वैगनों को नुकसान कम होता है। साथ ही यह प्रणाली मौसम से अप्रभावित संचालन को संभव बनाती है।
29% तक पहुंची साइलो आधारित लोडिंग
2025-26 में अब तक साइलो से कोयला लोडिंग का हिस्सा 29% तक पहुंच गया है, जो कि 2022-23 में केवल 18.8% था। यह आंकड़ा लॉजिस्टिक्स आधुनिकीकरण में भारत की उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाता है।
ऊर्जा मंत्रियों की समीक्षा बैठक
24 जून को कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी और रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक में साइलो इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और मल्टी-मिनिस्ट्री कोऑर्डिनेशन पर गहन चर्चा हुई। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि खदान से लेकर संयंत्र तक कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालयों के बीच समन्वय आवश्यक है।
मानसून के पूर्व बनी ऊर्जा सुरक्षा की मजबूत दीवार
कोयले का यह सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा भंडारण न केवल गर्मी के दिनों में बिजली कटौती से सुरक्षा कवच बनेगा, बल्कि मानसून के मौसम में कोयला खनन और परिवहन में आने वाली बाधाओं से निपटने के लिए एक रणनीतिक स्टॉक भी है।