भारत में खनन क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार: खान मंत्री जी. किशन रेड्डी
नीलामी, NCMM और आत्मनिर्भरता की ओर
भारत का खनन क्षेत्र बीते 11 वर्षों में एक अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुज़रा है। कभी पुराने और जटिल नियमों में उलझा यह क्षेत्र अब पारदर्शी नीलामी, तेजी से मंजूरी, राज्यों के साथ गहन सहयोग और टेक्नोलॉजी इनेबलमेंट के जरिए पूरी तरह से नया रूप ले चुका है। केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने हाल ही में एक लेख के माध्यम से इन परिवर्तनों की रूपरेखा और महत्व को विस्तार से रखा।
खनन में पारदर्शिता और निजी भागीदारी की शुरुआत
2015 में खान एवं खनिज विकास एवं विनियमन अधिनियम (MMDR Act) में संशोधन के बाद से, भारत ने नीलामी आधारित प्रणाली के माध्यम से अब तक 500 से अधिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी की है। यह व्यवस्था न केवल राजस्व में भारी बढ़ोतरी लाई है (₹4 लाख करोड़ से अधिक), बल्कि निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित कर एक स्थिर निवेश वातावरण भी निर्मित किया है।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम: पोटाश और रणनीतिक खनिजों की खोज
हाल ही में भारत ने अपने पहले पोटाश ब्लॉक की नीलामी कर कृषि उर्वरकों में आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम उठाया। साथ ही लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे रणनीतिक खनिजों की खोज और उत्पादन पर ज़ोर दिया जा रहा है।
KABIL (Khanij Bidesh India Ltd) के माध्यम से भारत अर्जेंटीना और अन्य देशों में लिथियम खदानें अधिग्रहण कर रहा है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिल रही है।
प्रौद्योगिकी और अनुसंधान पर ज़ोर
खनन क्षेत्र को भविष्य के लिए तैयार करने हेतु ड्रोन सर्वेक्षण, खनन टेनमेंट प्रणाली, फेसलेस रिटर्न फाइलिंग, और राष्ट्रीय भूविज्ञान डेटा भंडार जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किए गए हैं।
इसके अलावा, स्टार्टअप्स और MSMEs को अन्वेषण और खनिज प्रसंस्करण में R&D के लिए सीधी वित्तीय सहायता दी जा रही है – यह पहली बार है जब सरकार ने इस क्षेत्र में स्टार्टअप इकोसिस्टम को खुला समर्थन दिया है।
केंद्र-राज्य सहकारी संघवाद की नई मिसाल
खानों की नीलामी से राज्यों को राजस्व प्राप्ति में भारी वृद्धि हुई है, और खनन मंत्री सम्मेलन, राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट, राज्य खनन सूचकांक जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच गहरा संवाद और सहयोग स्थापित हुआ है।
जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) के तहत विकास कार्यों में स्थानीय भागीदारी बढ़ी है, जिससे खनिज क्षेत्रों के विकास में सामाजिक समावेशन और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित हो रहा है।
भविष्य की दिशा: एनसीएमएम और ऑफशोर माइनिंग
राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM) की शुरुआत के साथ, भारत अब रणनीतिक खनिजों की वैश्विक होड़ में अपनी जगह बना रहा है। अपतटीय खनन (offshore mining) में भी भारत की पहली प्रविष्टि वैश्विक संसाधन श्रृंखला में देश की स्थिति को सुदृढ़ कर रही है।