केवल सूर्य की ऊर्जा से ग्रीन हाइड्रोजन!
भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी छलांग, बना दुनिया में अग्रणी बनने की नींव
भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (CeNS) के वैज्ञानिकों ने ऐसा अगली पीढ़ी का उपकरण विकसित किया है जो केवल सौर ऊर्जा से पानी को विभाजित करके हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) बना सकता है वो भी बिना किसी जीवाश्म ईंधन या महंगे संसाधन के।
क्या है यह खोज?
इस तकनीक के मूल में है सिलिकॉन-आधारित एन-आई-पी हेटेरोजंक्शन फोटोएनोड, जिसे वैज्ञानिकों ने बेहद उन्नत मैग्नेट्रॉन स्पटरिंग प्रक्रिया से तैयार किया है। यह तकनीक न केवल प्रभावी चार्ज सेपरेशन को सक्षम बनाती है, बल्कि कम ऊर्जा नुकसान के साथ बेहतर स्थायित्व भी प्रदान करती है।

मुख्य विशेषताएं:
केवल सूर्य की ऊर्जा पर आधारित
जल अणुओं का कुशल विभाजन
980 mV तक का सतह फोटोवोल्टेज
10 घंटे तक निरंतर काम करने की क्षमता
25 सेमी² बड़े क्षेत्र में सफल प्रदर्शन
महज 4% प्रदर्शन में गिरावट जो कि अभूतपूर्व है
इसका क्या मतलब है भारत और दुनिया के लिए?
यह डिवाइस न केवल घर और उद्योगों के लिए ग्रीन एनर्जी सॉल्यूशन के दरवाजे खोलता है, बल्कि भारत को वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन नेतृत्व की दिशा में एक मजबूत दावेदार भी बनाता है। कम लागत, उच्च दक्षता और लंबे समय तक चलने वाली यह तकनीक कार्बन-न्यूट्रल फ्यूचर की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
वैज्ञानिकों की राय
प्रोजेक्ट लीड डॉ. आशुतोष के. सिंह ने कहा "हमने स्मार्ट मटेरियल्स का उपयोग कर एक ऐसा डिवाइस बनाया है जो स्केलेबल, टिकाऊ और सस्ती हाइड्रोजन उत्पादन प्रणाली की ओर बढ़ने में भारत की मदद करेगा। यह केवल एक शुरुआत है।"PIB Delhi