अगर ये टेंडर निकला तो देशभर की जेलें भर जाएंगी–बिजली महापंचायत का ऐलान
बिजली निजीकरण के खिलाफ ऐतिहासिक महापंचायत,रेल, बिजली, किसान और कर्मचारी एकजुट
लखनऊ | 22 जून 2025-उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर है। लखनऊ में आयोजित बिजली महापंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया गया अथवा टेंडर जारी किया गया, तो बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, अभियंताओं, रेल कर्मचारियों, राज्य कर्मचारियों, किसानों, उपभोक्ताओं और विभिन्न संगठनों द्वारा अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
संघर्ष में अब सभी वर्ग होंगे शामिल
इस ऐतिहासिक महापंचायत में ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्र, संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल, उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा, पावर इंजीनियर्स और डिप्लोमा फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी महासंघ, शिक्षक संगठनों और श्रमिक संगठनों ने निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों के साथ खड़े होने का एलान किया।
किसानों और उपभोक्ताओं का समर्थन
डॉ. दर्शन पाल और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के रमानाथ झा ने ऑनलाइन संबोधन में बिजली कर्मियों को किसान संगठनों की ओर से पूर्ण समर्थन देने का वादा किया।
किसान एकता केन्द्र, अखिल भारतीय किसान सभा, जय किसान आंदोलन, किसान संग्राम समिति जैसे संगठन भी इस महापंचायत में शामिल रहे। सभी ने चेतावनी दी कि यदि कर्मचारियों का दमन किया गया तो किसान और उपभोक्ता संगठन सड़क पर उतर आएंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा मामला
महापंचायत में कहा गया कि बिजली क्षेत्र का निजीकरण राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू-कश्मीर में सरकारी बिजली कर्मियों ने सीमावर्ती इलाकों में बिजली आपूर्ति बनाए रखी, जो निजी कंपनियों के लिए संभव नहीं होता।
निजीकरण के खिलाफ साझा संघर्ष का शंखनाद
महापंचायत में विभिन्न राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय संगठनों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया और बिजली कर्मियों को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की। प्रमुख वक्ताओं में शामिल रहे:
⦁ शिव गोपाल मिश्र – राष्ट्रीय महामंत्री, ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन
⦁ डॉ. दर्शन पाल – राष्ट्रीय अध्यक्ष, संयुक्त किसान मोर्चा
⦁ अवधेश कुमार वर्मा – अध्यक्ष, उपभोक्ता परिषद
⦁ रमानाथ झा – कार्यकारी निदेशक, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया
⦁ सुदीप दत्त – संयोजक, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स
⦁ आर. के. त्रिवेदी – अध्यक्ष, ऑल इंडिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन
⦁ ए. के. जैन – ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन
⦁ पी. रत्नाकर राव – सेक्रेटरी जनरल, AIPF
⦁ सुभाष लाम्बा – अध्यक्ष, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ
⦁ वाई. के. अरोड़ा – यूनाइटेड बैंक फोरम
⦁ वाई. एस. लोहित – अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय
⦁ डॉ. आशीष मित्तल – महासचिव, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा
⦁ मुकुट सिंह – महासचिव, अखिल भारतीय किसान सभा
⦁ जय प्रकाश – प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान महासभा
⦁ अनुज टिकारा – किसान एकता केन्द्र
⦁ भारत सिंह – अध्यक्ष, किसान सभा उत्तर प्रदेश
⦁ सत्यदेव पाल – किसान संग्राम समिति
⦁ शशिकान्त – राष्ट्रीय महासचिव, क्रांतिकारी किसान यूनियन
⦁ संजय कुमार एवं राजनंत यादव – जय किसान आंदोलन
⦁ अफलातून – किसान मजदूर परिषद
⦁ चौधरी राजेन्द्र – किसान नेता
⦁ के. आर. यादव – बीएसएनएल इम्प्लॉइज यूनियन
⦁ अफीफ सिद्दीकी – उप्र राज्य कर्मचारी महासंघ
⦁ प्रेमनाथ राय – महामंत्री, सीटू उप्र
⦁ अजहर सबा – महामंत्री, उप्र भवन निर्माण
⦁ रीना त्रिपाठी – शिक्षक नेता
⦁ विजय बन्धु – अटेवा
⦁ सतीश पाण्डेय, शशि कुमार मिश्रा, एस. पी. तिवारी, हरिशरण मिश्रा, मनोज पाण्डेय, अमरनाथ यादव, सुरजीत सिंह निरंजन – राज्य कर्मचारी प्रतिनिधि
इंजीनियर और तकनीकी संगठनों की भागीदारी
⦁ आर. पी. केन – अध्यक्ष, उप्र पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन
⦁ सतनाम सिंह – संरक्षक, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन
⦁ अजय कुमार – अध्यक्ष
⦁ बलबीर यादव – महासचिव
⦁ अवधेश कुमार यादव, जी. बी. पटेल, जय प्रकाश – वरिष्ठ पदाधिकारी
संघर्ष समिति के प्रमुख नेता
संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी. के. दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर. वाई. शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, आर. बी. सिंह, मो. वसीम, मायाशंकर तिवारी, रामचरण सिंह, श्रीचंद, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए. के. श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, के. एस. रावत, राम निवास त्यागी, प्रेम नाथ राय, शशिकांत श्रीवास्तव, मो. इलियास, रफीक अहमद, पी. एस. बाजपेई, जी. पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, विशंभर सिंह आदि नेताओं ने भी आंदोलन के लिए एकजुटता दिखाई।
आंदोलन की विस्तृत रणनीति
⦁ 02 जुलाई 2025: सभी जिलों व परियोजनाओं में किसान-उपभोक्ता संगठनों के साथ संयुक्त प्रदर्शन
⦁ 09 जुलाई 2025: 27 लाख बिजली कर्मचारी राष्ट्रव्यापी एक दिवसीय हड़ताल करेंगे
⦁ टेण्डर जारी होते ही: उत्तर प्रदेश में अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार व जेल भरो आंदोलन
⦁ सभी जनपदों में किसान-उपभोक्ता संगठन पूरी भागीदारी निभाएंगे
यह आंदोलन अब एक विभागीय विरोध नहीं, बल्कि जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध जन संघर्ष बन चुका है। किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों, शिक्षकों और आम उपभोक्ताओं का समर्थन इसे एक ऐतिहासिक जनांदोलन का स्वरूप देने की ओर अग्रसर कर रहा है। यदि सरकार ने इसे अनदेखा किया, तो प्रदेश भर में बिजली सहित कई सरकारी सेवाएं प्रभावित होने की स्थिति आ सकती है।
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