एसईसीआई की ग्रीन अमोनिया निविदा से हरित भविष्य की ओर बड़ा कदम

भारत के उर्वरक क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने की ऐतिहासिक पहल

Green Hydrogen

भारत में हरित ऊर्जा क्रांति एक और ऐतिहासिक मोड़ पर है। सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) ने 724,000 टन वार्षिक ग्रीन अमोनिया की आपूर्ति के लिए एक ऐतिहासिक निविदा जारी की है। इस निविदा का उद्देश्य भारत के उर्वरक क्षेत्र को कार्बन मुक्त करना और ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन (SIGHT) योजना के तहत स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है।

ग्रीन अमोनिया से खाद उत्पादन का हरितरण

अमोनिया, यूरिया और अन्य नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों में एक आवश्यक घटक है, जिसका पारंपरिक उत्पादन जीवाश्म ईंधनों पर आधारित होता है। इससे भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस (GHG) का उत्सर्जन होता है।

SECI की नई टेंडर नीति के तहत अब यह उत्पादन हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा की मदद से किया जाएगा, जिससे 12 किलोग्राम CO₂/किग्रा की जगह मात्र 2 किलोग्राम CO₂/किग्रा का उत्सर्जन होगायानी लगभग 85% तक की कमी।

टेंडर की मुख्य विशेषताएं

जारी तिथि: 07 जून 2024

बोली की अंतिम तिथि: 26 जून 2025

टारगेट संयंत्र: 13 उर्वरक उत्पादन इकाइयाँ

अनुबंध अवधि: 10 वर्ष

वॉल्यूम: 724,000 टन/वर्ष ग्रीन अमोनिया

मॉडल: -रिवर्स नीलामी

वित्तीय समर्थन और पीएलआई प्रोत्साहन

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत सरकार 1533.4 करोड़ रुपये का उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) दे रही है, जिसमें पहले तीन वर्षों के लिए क्रमश: ₹8.82/kg,₹7.06/kg,₹5.30/kg की दर से सब्सिडी उपलब्ध है। साथ ही, भुगतान सुरक्षा तंत्र (Payment Security Mechanism) की मदद से आपूर्तिकर्ताओं को स्थिर नकदी प्रवाह का आश्वासन मिलेगा।

आयात निर्भरता में कमी और व्यापार घाटा कम करने की ओर कदम

भारत में प्रतिवर्ष 17-19 मिलियन टन अमोनिया की खपत होती है, जिसमें से अधिकांश आयातित प्राकृतिक गैस से तैयार किया जाता है। यह पहल केवल आयात पर निर्भरता को कम करेगी, बल्कि वैश्विक गैस कीमतों में अस्थिरता से भी राहत देगी। साथ ही यह देश को भूराजनीतिक व्यवधानों के प्रति अधिक लचीला बनाएगी।

हाइड्रोजन इकोनॉमी को मिलेगा बल

SECI की यह निविदा हाइड्रोजन बाजार की "चिकन-एंड-एग" समस्या को हल करती हैयानी मांग के साथ-साथ आपूर्ति को भी मजबूती देती है। यह सीधे-सीधे निवेशकों को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण और संबद्ध ऊर्जा अवसंरचना में बड़ा निवेश करने का संकेत देती है।

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