देश में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से कुल 172.72 गीगावाट बिजली की क्षमता

देश में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से कुल 172.72 गीगावाट बिजली की क्षमता

नई दिल्ली,2 जनवरी 2023-सीओपी26 में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावाट बिजली क्षमता हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। देश में 31.10.2022 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से कुल 172.72 गीगावाट बिजली की क्षमता प्राप्त की जा चुकी है। इसमें 119.09 गीगावाट  नवीकरणीय ऊर्जा, 46.85 गीगावाट बड़ी हाइड्रो और 6.78 गीगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता शामिल है। इसकी देश में कुल स्थापित उत्पादन क्षमता में 42.26% हिस्सा है यानी 31.10.2022 तक 408.71 गीगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता हासिल की जा चुकी है।

आरईएन अक्षय 2022 वैश्विक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता (बड़े हाइड्रो सहित) में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है और सौर ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है। जनवरी से अक्टूबर 2022 की अवधि के दौरान कुल 14.21 गीगावाट अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षमता में बढ़ोतरी हुई जबकि जनवरी से अक्टूबर 2021 की इसी अवधि में 11.9 गीगावाट की क्षमता की वृद्धि हुई थी। जनवरी से सितंबर 2022 की अवधि नवीकरणीय ऊर्जा से कुल 151.94 बीयू की बिजली उत्पन्न हुई है। जबकि जनवरी से सितंबर 2021 की अवधि में 128.95 बीयू की बिजली उत्पन्न हुई।

आरटीएस पर प्रक्रिया को सरलीकृत करना: कार्यान्वयन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय पोर्टल (solarrooftop.gov.in) विकसित किया है, जिसमें देश के किसी भी हिस्से से कोई भी आवासीय उपभोक्ता डिस्कॉम द्वारा निविदा को अंतिम रूप देने और वेंडरों को सूचीबद्ध करने की प्रतीक्षा किए बिना रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन कर सकता है।

अंतरराज्यीय जीईसी चरण- II (आईएनएसटीएस जीईसी-II) योजना को जनवरी 2022 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। 10750 सीकेएम अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन लाइनें और 27500 एमवीए सब-स्टेशन को मार्च 2026 की निर्धारित समय-सीमा में योजना को शुरू करने का लक्ष्य है।

19,500 करोड़ रुपये की स्वीकृति के साथ 'उच्च दक्षता सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम' पर प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (ट्रांच II) लॉन्च की गई है।

गुजरात के मोढेरा शहर और सूर्य मंदिर का सोलराइजेशन: 09.10.2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में भारत का पहला बैटरी स्टोरेज और सौर ऊर्जा आधारित 'सूर्यग्राम' - "मोढ़ेरा" राष्ट्र को समर्पित किया। मंत्रालय द्वारा सौर सेल और मॉड्यूल पर बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) को हटा दिया गया था।

राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम: राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम जिसमें निम्नलिखित उप-योजनाएं शामिल हैं, को 2.11.2022 को लॉन्च किया गया था:

  1. अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम (शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट/अवशेषों से ऊर्जा पर कार्यक्रम)
  2. बायोमास कार्यक्रम (ब्रिकेट्स और पेलेट्स के निर्माण और उद्योगों में बायोमास (गैर खोई) आधारित कोजेनरेशन को बढ़ावा देने के लिए योजना।
  3. बायोगैस कार्यक्रम: बायोगैस संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए।

मानव संसाधन विकास योजना के तहत वायुमित्र और जलमित्र कौशल विकास कार्यक्रम 2022 में शुरू किया गया। इरेडा में 1500 करोड़ रुपये और एसईसीआई में 1000 करोड़ रुपए निवेश किया गया।

  1. सोलर पार्क योजनाः

बड़े पैमाने पर ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा परियोजनाओं की सुविधा के लिए मार्च 2024 तक 40 जीडब्ल्यू क्षमता की लक्ष्य क्षमता के साथ "सौर पार्क और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास" की एक योजना लागू की जा रही है। सौर पार्क सौर ऊर्जा डेवलपर्स को एक प्लग और प्ले मॉडल प्रदान करते हैं। इसमें सभी वैधानिक मंजूरी के साथ भूमि, बिजली निकासी सुविधाओं, सड़क संपर्क, पानी की सुविधा आदि जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। 31-10-2022 तक, 14 राज्यों में 39.28 जीडब्ल्यू की संचयी क्षमता वाले 56 सोलर पार्क स्वीकृत किए गए हैं। 17 पार्कों में 10 गीगावॉट से अधिक की कुल क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं और शेष पार्क कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। जनवरी से अक्टूबर, 2022 की अवधि के दौरान विभिन्न सौर पार्कों में 832 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं चालू की गई हैं।

  1. पीएम-कुसुम योजनाः

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम): ऊर्जा और जल सुरक्षा प्रदान करने के लिए कृषि क्षेत्र को डीज़ल मुक्त करने और सौर ऊर्जा का उत्पादन करके किसानों के लिए अतिरिक्त आय उत्पन्न करने के लिए सरकार ने किसानों के लिए पीएम-कुसुम योजना शुरू की। योजना में तीन घटक शामिल हैं:

  • घटक ए: 10,000 मेगावाट विकेंद्रीकृत ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 2 मेगावाट तक है।
  • घटक बी: 20 लाख स्टैंडअलोन सौर ऊर्जा संचालित कृषि पंपों की स्थापना
  • घटक सी: 15 लाख मौजूदा ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सोलराइजेशन

योजना का लक्ष्य 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ 30.8 जीडब्ल्यू सौर क्षमता को जोड़ना है। वर्ष 2022 के दौरान योजना के कार्यान्वयन में प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

  • व्यय विभाग ने निम्नलिखित संशोधनों के साथ योजना को 31.03.2026 तक विस्तारित करने के एमएनआरई के प्रस्ताव को मंजूरी दी:

 

    • योजना के घटक-बी और घटक-सी के तहत, केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) 15 एचपी तक की पंप क्षमता के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों, उत्तराखंड राज्यों में किसानों के लिए व्यक्तिगत उपलब्ध होगी और हिमाचल प्रदेश और अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप के द्वीप केंद्र शासित प्रदेश और सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च जल तालिका क्षेत्रों में क्लस्टर / सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं में प्रत्येक किसान के लिए, कुल आवंटन के 10% के प्रतिबंध के अधीन होगा। शेष मात्रा के लिए वर्तमान प्रावधान रहेगा जब तक कि उसका अधिक्रमण न किया जाए।
    • घटक-सी के तहत फीडर सोलराइजेशन परियोजनाओं के लिए सोलर सेल के लिए घरेलू सामग्री की आवश्यकता की शर्त को हटा दिया गया है, जिसके लिए कार्यान्वयन कंपनी को 20.06.2023 तक कार्य दिया गया है।

 

  • संचयी रूप से घटक-ए के तहत छोटे सौर ऊर्जा संयंत्रों की लगभग 4886 मेगावाट क्षमता, घटक-बी के तहत 8.07 लाख स्टैंडअलोन सौर पंप और घटक-सी के दो प्रकारों के तहत 25.43 लाख ग्रिड से जुड़े पंपों का सोलराइजेशन विभिन्न राज्यों में आवंटित किया गया है।
  • 31.10.2022 तक घटक-बी के तहत 1.52 लाख से अधिक स्टैंड-अलोन सौर पंप स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 2022 के दौरान कुल 79,418 पंप स्थापित किए गए हैं। घटक-ए के तहत 73.45 मेगावाट संचयी क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 48.2 मेगावाट को 2022 के दौरान स्थापित किया गया है।
  • कॉम्पोनेंट-सी के तहत फीडर लेवल सोलराइजेशन वैरिएंट का कार्यान्वयन, जिसे दिसंबर, 2020 में पेश किया गया था। कॉम्पोनेंट-सी के तहत 15 लाख पंपों के सोलराइजेशन के कुल लक्ष्य के मुकाबले, फीडर सोलराइजेशन सब-कंपोनेंट के तहत 57 लाख से अधिक पंपों की मांग प्राप्त हुई है। राजस्थान, गुजरात, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने 2022 के दौरान फीडर सोलराइजेशन के तहत निविदाएं जारी की हैं।
  1. सोलर रूफटॉपः

18.11.2022 तक प्रगति:

संचयी स्थापित क्षमता (सीएफए के साथ या बिना)

7.2 जीडब्ल्यू

अनुमानित निवेश *

35000 करोड़ रुपए

केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) के लिए स्वीकृत क्षमता

लगभग 5.5 जीडब्ल्यू (यानी चरण I के तहत 2.1 जीडब्ल्यू और चरण II के तहत 3.4 जीडब्ल्यू)

सीएफए के साथ स्थापित क्षमता

2.838 जीडब्ल्यू (यानी चरण I के तहत 1.350 जीडब्ल्यू और चरण II के तहत 1.488 जीडब्ल्यू)

सीएफए की राशि और प्रदान किए गए प्रोत्साहन

4623.97 करोड़ रुपये

 

वर्ष 2022 में प्रगति:

वर्ष 2022 में स्थापित क्षमता (सीएफए के साथ या बिना)

1.33 जीडब्ल्यू

अनुमानित निवेश*

6100 करोड़ रुपये

सीएफए सपोर्ट के साथ स्थापित क्षमता

0.31 जीडब्ल्यू

सीएफए की राशि और प्रदान किए गए प्रोत्साहन

1051.6 करोड़ रुपये

* अनुमानित निवेश की गणना वार्षिक बेंचमार्क दर और उस वर्ष स्थापित क्षमता के आधार पर की गई है।

रूफटॉप सौर कार्यक्रम के दूसरे चरण की समय-सीमा को 31.03.2026 तक बढ़ा दिया गया है।

रूफटॉप सोलर (आरटीएस) पर सरलीकृत प्रक्रिया: कार्यान्वयन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय पोर्टल (solarrooftop.gov.in) विकसित किया है, जिसमें देश के किसी भी हिस्से से कोई भी आवासीय उपभोक्ता डिस्कॉम द्वारा निविदा को अंतिम रूप दिए जाने की प्रतीक्षा किए बिना रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन कर सकता है और पैनल विक्रेताओं के लिए सब्सिडी तय है और पूरे देश के लिए समान है। 30 जुलाई 2022 को इसकी शुरुआत के बाद से राष्ट्रीय पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की कुल संख्या 117 मेगावाट सौर क्षमता के लिए है और 18 मेगावाट से अधिक परियोजनाओं की व्यवहार्यता प्रदान की गई है।

  1. ऑफ-ग्रिड सोलरः

ऑफ-ग्रिड डिसेंट्रलाइज्ड और सोलर पीवी एप्लिकेशन प्रोग्राम फेज III: सौर स्ट्रीट लाइट, सौर अध्ययन लैंप और सौर ऊर्जा पैक के लिए ऑफ-ग्रिड डिसेंट्रलाइज्ड और सोलर पीवी एप्लिकेशन प्रोग्राम फेज III 31.03.2021 तक उपलब्ध था। चालू वर्ष में कुल 56,670 नग सोलर स्टडी लैंप वितरित किए गए। राज्य नोडल एजेंसियों (एसएनए) की रिपोर्ट के अनुसार कार्यक्रम की स्थापना के समापन के दौरान 1.46 लाख से अधिक सौर स्ट्रीट लाइटें स्थापित की गईं, 9.71 लाख सौर अध्ययन लैंप वितरित किए गए और 2.5 मेगावाट सौर ऊर्जा पैक स्थापित किए गए।

अटल ज्योति योजना (अजय) चरण- II: एमपीलैड फंड से 25% फंड योगदान के साथ सौर स्ट्रीट लाइट की स्थापना के लिए अजय फेज-II योजना को 1 अप्रैल 2020 से बंद कर दिया गया था क्योंकि सरकार ने अगले दो वर्षों के लिए एमपीलैड फंड को निलंबित करने का फैसला किया था। अर्थात 2020-21 और 2021-22। चालू वर्ष में कुल 14,176 सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं। कार्यक्रम की स्थापना के समापन के दौरान 1.37 लाख से अधिक सौर स्ट्रीट लाइटें स्थापित की गईं।

मंत्रालय ने 14.02.2022 को डीआरई (विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा) लाइवलीहुड एप्लिकेशन्स के प्रचार के लिए एक ढांचा जारी किया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों सहित देश में स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के लिए डीआरई तक व्यापक पहुंच के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की सुविधा प्रदान करना है।

  1. ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर:

अक्षय ऊर्जा निकासी की सुविधा और भविष्य की आवश्यकताओं के लिए ग्रिड को फिर से आकार देने के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) परियोजनाएं शुरू की गई हैं। योजना का पहला घटक 3200 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) ट्रांसमिशन लाइनों और 17,000 एमवीए क्षमता उप-स्टेशनों की लक्ष्य क्षमता के साथ अंतर-राज्यीय जीईसी मार्च 2020 में पूरा किया गया था। दूसरा घटक - इंट्रा-स्टेट जीईसी की लक्ष्य क्षमता के साथ मार्च 2023 तक 9700 सीकेएम ट्रांसमिशन लाइनें और 22,600 एमवीए क्षमता वाले सब-स्टेशनों के पूरा होने की उम्मीद है। 10.31.2022 तक  8651 सीकेएम इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण किया गया है और 19558 एमवीए इंट्रा-स्टेट सबस्टेशनों को स्थापित किया गया है।

कैलेंडर वर्ष के दौरान कुल 183 सीकेएम ट्रांसमिशन लाइनें चालू की गई हैं और 4930 एमवीए क्षमता के सबस्टेशन चार्ज किए गए हैं।

उपरोक्त के अलावा इंट्रा-स्टेट जीईसी चरण- II (इनएसटीएस जीईसी- II) योजना जनवरी 2022 में सीसीईए द्वारा अनुमोदित की गई थी। मार्च 2026 कर कुल लक्ष्य 10,750 सीकेएम इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन लाइनें और 27,500 एमवीए उप-स्टेशन स्थापित करना निर्धारित समय सीमा के साथ है। इंट्रा-स्टेट जीईसी चरण- II योजना वर्तमान में 7 राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिल नाडु और उत्तर प्रदेश की स्टेट ट्रांसमिशन यूटिलीटिज  द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। 12031.33 करोड़ रुपये की अनुमानित परियोजना एमएनआरई से केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ 3970.34 करोड़ (यानी परियोजना लागत का 33%) परियोजनाएं लगभग निकासी के लिए स्थापित की जा रही हैं। उपरोक्त 7 राज्यों में 20 जीडब्ल्यू की अक्षय बिजली वर्तमान में राज्य पैकेज तैयार कर रहे हैं और परियोजनाओं को लागू करने के लिए निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया में हैं।

  1. वायु ऊर्जा:

जनवरी से अक्टूबर 2022 की अवधि के दौरान 1761.28 मेगावाट की कुल क्षमता वृद्धि हासिल की गई है।

  • कोविड-19 से जुड़ी रियायतें:
    • कोविड-19 के कारण छूट देने के लिए एसईसीआई ट्रेंच-II से ट्रेंच-VIII के तहत 10 एमडब्ल्यू या अधिक क्षमता वाली पवन ऊर्जा परियोजनाओं की आंशिक कमीशनिंग को 31 मार्च, 2023 तक अनुमति दी गई है।
    • दूसरी बार कोविड-19 उभरने के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण पवन ऊर्जा परियोजना विकासकर्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए, पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए निर्धारित कमीशनिंग तिथि में 3 (तीन) महीने तक का अतिरिक्त समय विस्तार प्रदान किया गया है।
  • अन्य उपलब्धियां
    • ग्रिड से जुड़ी पवन सौर हाइब्रिड परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए दिशा-निर्देशों में संशोधन।
      1. संशोधन दिनांक 09.03.2022: खरीददारों के अधिकृत प्रतिनिधियों को खरीददारों की ओर से बोली लगाने की प्रक्रिया संचालित करने की अनुमति है। हाईब्रिड परियोजनाओं को चालू करने का कार्यक्रम 18 माह से बढ़ाकर 24 माह किया गया।
      2. संशोधन दिनांक 02.11.2022: एलटीए परिचालन में देरी के कारण कमीशनिंग में देरी से संबंधित प्रावधान को युक्तिसंगत बनाया गया है।
    • एमएनआरई की सिफारिश के आधार पर, वित्त मंत्रालय की अधिसूचना संख्या 02/2022-सीमा शुल्क दिनांक 01.02.2022 द्वारा कई पवन टरबाइन घटकों के लिए रियायती सीमा शुल्क लाभ (सीसीडीसी) को 31.03.2023 तक बढ़ा दिया गया है।
    • हितधारकों के परामर्श के लिए पवन ऊर्जा परियोजनाओं, 2022 के लिए मसौदा राष्ट्रीय पुनर्शक्तिकरण नीति जारी की गई है। रिपॉवरिंग नीति का उद्देश्य परियोजना क्षेत्र के प्रति वर्ग किमी ऊर्जा (kWh) को अधिकतम करके और नवीनतम अत्याधुनिक तटवर्ती पवन टरबाइन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके पवन ऊर्जा संसाधन का इष्टतम उपयोग है।
  • अपटीय हवाएं
    • अपतटीय पवन ऊर्जा के लिए व्यापार मॉडल सहित रणनीति पत्र जारी किया गया है। यह 2030 तक अपतटीय पवन ऊर्जा लक्ष्य के 30 जीडब्ल्यू को प्राप्त करने के लिए रोडमैप प्रदान करता है। प्रारंभिक 3 जीडब्ल्यू अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 14283 करोड़ रुपये की वीजीएफ योजना के लिए एक अवधारणा नोट व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय को सैद्धांतिक अनुमोदन के लिए भेजा गया है। वित्त वर्ष 2029-30 तक 37 गीगावॉट क्षमता के लिए अपतटीय पवन ऊर्जा ब्लॉकों की बोली लगाने के लिए एक ट्रैजेक्ट्री जारी की गई है। ड्राफ्ट ऑफशोर विंड एनर्जी लीज रूल्स, 2022 को अंतिम रूप दे दिया गया है और कानूनी जांच के लिए भेज दिया गया है। अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए मसौदा संविदात्मक दस्तावेजों को अंतिम रूप दे दिया गया है और हितधारकों के परामर्श लिए जा रहे हैं।
  1. बॉयोएनर्जी:

मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित जैव-ऊर्जा योजनाओं का कार्यान्वयन किया जा रहा है:

  • शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट/अवशेषों से ऊर्जा पर कार्यक्रम।
  • वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए देश में उद्योगों में ब्रिकेट और पेलेट और बायोमास (गैर-खोई) आधारित सह-उत्पादन के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना।
  • बायोगैस पावर (ऑफ-ग्रिड) उत्पादन और थर्मल अनुप्रयोग कार्यक्रम (बीपीजीटीपी)
  • नया राष्ट्रीय बायोगैस और जैविक खाद कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी)

2022 के वर्ष में 30 मेगावाट की कुल क्षमता प्राप्त की गई है। 31.10.2022 तक, बायोमास बिजली और सह-उत्पादन परियोजनाओं की संचयी स्थापित क्षमता लगभग 9.4 जीडब्ल्यू (खोई और IPP) और 0.77 GW (गैर-खोई) थी, अपशिष्ट ऊर्जा परियोजनाओं की क्षमता 223.14 मेगावाट (ग्रिड से जुड़ी) और 272.09 मेगावाट (ऑफ-ग्रिड) थी।

01.01.2022 से 31.10.2022 तक की अवधि के दौरान स्थापित की गई डब्ल्यूटीई परियोजनाओं की क्षमता 61.12 मेगावाट है, जिसमें 24 मेगावाट (ग्रिड जुड़ा हुआ) और 37.12 मेगावाट (ऑफ-ग्रिड) है।

  1. प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई)स्कीमः

उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए 19,500 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना (ट्रांच- II) का अनुमोदन और जारी करना:

दिनांक 21.09.2022 को कैबिनेट की मंजूरी के बाद नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 30.09.2022 को 'उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम' पर उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ट्रांच II) के कार्यान्वयन के लिए योजना दिशानिर्देश जारी किए हैं। 19,500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ट्रांच-II के परिणामस्वरूप लगभग 65 गीगावाट पूर्णत:/आंशिक रूप से एकीकृत सौर पीवी विनिर्माण स्थापित करने की उम्मीद है।

  1. मोढेरा, गुजरात के सूर्य-मंदिर और शहर का सोलराइजेशन:

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 09.10.2022 को भारत का पहला बैटरी स्टोरेज और सौर ऊर्जा आधारित 'सूर्यग्राम' - गुजरात में "मोधेरा", चौबीसों घंटे अक्षय ऊर्जा आपूर्ति के साथ, संयुक्त रूप से स्थापित एमएनआरई और सरकार के प्रयास से राष्ट्र को समर्पित किया। गुजरात का मोढेरा भारत का पहला आधुनिक गांव है जो: (i)मेगावाट स्केल बैटरी स्टोरेज द्वारा संचालित है; (ii) सौर आधारित ईवी चार्जिंग स्टेशन होना; (iii) सभी व्यवहार्य घरेलू और सरकारी भवनों पर सौर छतों के साथ शुद्ध बिजली उत्पादक, खपत से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा पैदा करना, इस प्रकार ग्रीनिंग ग्रिड और ग्रामीणों को भुगतान करना।

 

    1. मानव संसाधन विभाग:

 

मानव संसाधन विकास योजना अल्पावधि प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम, फेलोशिप, इंटर्नशिप, आरई और नवीकरणीय ऊर्जा कुर्सी के लिए प्रयोगशाला उन्नयन के लिए काम करती है।

कुल 4363 सूर्यमित्रों को अप्रैल 2021 से अक्टूबर 2022 तक कुल मिलाकर 51529 संख्या में प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षित सूर्यमित्रों में से 26967 सूर्यमित्र कार्यक्रम के तहत वित्तीय वर्ष 2015-16 से अक्टूबर, 2022 तक सूर्यमित्रों को रोजगार मिला।

मंत्रालय ने 1700 से अधिक विकसित करने के लक्ष्य के साथ लघु जल विद्युत परियोजनाओं के रखरखाव के लिए तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने के लिए जल-उर्जामित्र कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है। कुशल जनशक्ति की 5 वर्ष की अवधि के लिए अर्थात वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की इस कार्यक्रम का समन्वय कर रहा है।

वायुमित्र कौशल विकास कार्यक्रम (वीएसडीपी) (चरण -1) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (एनआईडब्ल्यूई), चेन्नई को विकसित करने के लक्ष्य के साथ वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 की अवधि के दौरान 5000 से अधिक प्रशिक्षुओं को पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए कुशल और प्रशिक्षित जनशक्ति बनाने का कार्य सौंपते हुए शुरू किया गया है।

    1. नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन:

15 अगस्त 2021 को स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में माननीय प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की और भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य बताया।

एमएनआरई तदनुसार प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने, भारत को ऊर्जा स्वतंत्र बनाने और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करने के उद्देश्यों के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन विकसित कर रहा है। व्यय वित्त समिति ने अप्रैल 2022 में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन पर प्रस्ताव को मंजूरी दी।

विद्युत मंत्रालय ने ग्रीन ओपन एक्सेस नियमों के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए सुविधाजनक ओपन एक्सेस और नवीकरणीय ऊर्जा के बैंकिंग के प्रावधानों को अधिसूचित किया।

ग्रीन हाइड्रोजन के लिए विनियमों, संहिताओं और मानक ढांचे के विकास के लिए सचिव, एमएनआरई की अध्यक्षता में कार्यदल का गठन किया गया है। समूह ने सभी प्रासंगिक मानकों और विनियमों का मानचित्रण और अंतर विश्लेषण किया है।

ग्रीन हाइड्रोजन के लिए विनियमों, संहिताओं और मानक ढांचे के विकास के लिए सचिव, एमएनआरई की अध्यक्षता में कार्यदल का गठन किया गया है। समूह ने सभी प्रासंगिक मानकों और विनियमों का मानचित्रण और अंतर विश्लेषण किया है।

मंत्रालय ने हितधारक परामर्श लिया और ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव ईंधन को प्रमाणित करने के लिए नियमों पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के विचारों को सामने रखा। ब्रुसेल्स में हमारे दूतावास के माध्यम से नवीकरणीय ईंधन पर यूरोपीय संघ के विनिर्देशों पर विस्तृत टिप्पणियां प्रदान की गईं। इसके परिणामस्वरूप यूरोपीय संघ के विनिर्देशों में छूट मिली।

ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के लिए ड्राफ्ट बोली दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। मॉडल दिशानिर्देश उपयोगी होंगे, खासकर शुरुआत में ग्रीन अमोनिया के लिए बोली लगाने के लिए।

अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूके सहित कई देशों के साथ हाइड्रोजन पर द्विपक्षीय सहयोग गतिविधियां शुरू की गई हैं। हाइड्रोजन पर टास्क फोर्स का गठन अमेरिका और जर्मनी के साथ किया गया है और भारत क्वाड में हाइड्रोजन पर सक्रिय तकनीकी सहयोग का नेतृत्व कर रहा है। एमएनआरई भारत के जी-20 प्रेसीडेंसी के लिए एनर्जी ट्रांजिशन वर्किंग ग्रुप के तहत हाइड्रोजन ट्रैक का भी नेतृत्व कर रहा है।

    1. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) भारत के माननीय प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा 30.11.2015 को पेरिस, फ्रांस में शुरू किया गया। 06.12.2017 को 15 देशों द्वारा आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन के साथ आईएसए भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन बन गया।

15.07.2020 को एक संशोधन लागू हुआ, जो संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्यों को आईएसए में शामिल होने के लिए उष्णकटिबंधीय से परे सहित सक्षम बनाता है। 30.11.2021 तक 110 देशों ने आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से 90 देशों ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की पांचवीं सभा 18.10.2022 को आयोजित की गई थी। भारत और फ्रांस को अक्टूबर-2022 से अक्टूबर-2024 की अवधि के लिए लगातार तीसरे दो साल के कार्यकाल के लिए आईएसए विधानसभा के अध्यक्ष और सह-अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया है।

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