यूपी में अडानी से 25 हजार करोड़ का टेंडर छिना

हजारो करोड़ के भ्रष्टाचार के लग रहे थे आरोप

यूपी में अडानी से 25 हजार करोड़ का टेंडर छिना

 
नई दिल्ली,6 फरवरी 2023-पिछले कुछ दिनों से अडानी ग्रुप को लग रहे झटकों का सिलसिला फिलहाल जारी है। वैश्विक तौर पर चर्चा में आये अडानी ग्रुप को अब भाजपा शाषित उत्तर प्रदेश में जोरदार झटका लगा है। यूपी में स्मार्ट मीटर खरीदारी का अडानी ग्रुप को मिला टेंडर निरस्त कर दिया गया है। पिछले कई माह से इस टेंडर को लेकर उत्तर प्रदेश उपभोक्ता परिषद एवं ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने मोर्चा खोल रखा था। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में मामला भी दाखिल किया था। लेकिन योगी सरकार मामले पर शिथिलता बनाये हुए थी। इस बीच हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप की विश्वसनीयता को तगड़ा झटका दिया है।
बदलते परिस्थिति के बीच अब  उप्र की मध्यांचल डिस्काम ने स्मार्ट मीटर खरीद के टेंडर रद्द कर दिए हैं। मध्यांचल डिस्कॉम के इस निर्णय के बाद तमाम आक्रोशित संगठनों ने फैसले का स्वागत किया है।  साथ ही स्मार्ट मीटर खरीद के सभी टेण्डर रद्द किये जाने की मांग की है। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने निजी कंपनियों पर गुटबंदी का आरोप भी लगाया है।  
 फेडरेशन ने आरोप लगाया है की एक विशेष निजी कंपनी  को टेंडर दिए जाने की मुहिम चल रही थी और टेंडर डालने वाली सभी निजी कंपनियों ने इस हेतु गुटबंदी कर ली थी। 
     ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने आज बताया की उत्तर प्रदेश में 25000 करोड़ रु खर्च करके ढाई करोड़ स्मार्ट मीटर खरीदने का उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने निर्णय लिया था। प्रारंभ से ही फेडरेशन इसका विरोध कर रही थी। 
      जब  टेंडर खोले गये तो मध्यांचल डिस्कॉम के टेंडर में सबसे कम दाम अदानी के थे। अदानी ने लगभग 10 हजार रु प्रति मीटर के दाम कोट किए थे जो आरईसी के स्टैंडर्ड बिडिंग  मापदंडों के अनुसार निर्धारित 6 हजार रु प्रति मीटर से कहीं अधिक थे। इसी आधार पर मध्यांचल डिस्कॉम ने अदानी को टेंडर देने के बजाय पूरी टेंडर प्रक्रिया  को निरस्त कर दिया है जो स्वागत योग्य है।
      उन्होंने माँग की की कि उप्र के सभी डिस्कॉम में  इसी आधार पर टेंडर प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जानी चाहिए। उनका कहना है की चार कंपनियों अदानी, जीएमआर,एल एन्ड टी, इंटेलीस्मार्ट इंफ़्रा ने टेंडर डाले थे और आपस की मिलीभगत करके उन्होंने टेंडर डालने की प्रक्रिया में  गुटबंदी कर ली थी। उन्होंने मांग की कि  अनावश्यक तौर पर स्मार्ट मीटर पर 25 हजार करोड़ रु खर्च करने के बजाय इसे उत्तर प्रदेश के डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को सुदृढ़  करने में खर्च किया जाए तो बिजली की चोरी रोकने में बड़ी मदद मिलेगी और अनावश्यक अपव्यय भी बचेगा।

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