मुंबई में जी-20 के व्यापार और निवेश कार्य दल की बैठक
मुंबई,29 मार्च 2023-केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने आज मुंबई में जी-20 के व्यापार और निवेश कार्य दल की आरंभिक बैठक को संबोधित किया। उपस्थित गणमान्यजनों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने वैश्विक व्यापार और वाणिज्य के लिए अपार अवसर सृजित करके भारत को उम्मीदों का देश बना दिया है। मंत्री महोदय ने बताया कि सरकार ने व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए दो प्रमुख पहलुओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, अर्थात एक मजबूत वित्तीय नेटवर्क का निर्माण करना और विकास में परिवेश आधारित दृष्टिकोण अपनाना।
मंत्री ने जी20 की इस बैठक में बताया कि भारत से समग्र निर्यात के साथ-साथ निवेश में भी दमदार तेजी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 1990 के 0.5 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018 में 1.7 प्रतिशत हो गई और वर्ष 2022 में 2.1 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई। अप्रैल-दिसंबर 2022 में भारत से 568.57 अरब डॉलर का कुल निर्यात होने का अनुमान लगाया गया। यह भारत सरकार द्वारा अत्यंत सक्रिय और एकीकृत विकास दृष्टिकोण अपनाने की बदौलत ही संभव हो पाया।’
मंत्री ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता में व्यापक विकास के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त माहौल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अनगिनत विकासशील देश यूपीआई, ओडीओपी और आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसी पहलों से लाभान्वित हो सकते हैं। इन कार्यक्रमों के तहत भारतीय राज्य स्वदेशी उत्पादों के माध्यम से व्यापार को बढ़ावा देते हैं, अन्य देश भी अपने-अपने यहां के अनूठे उत्पादों को बढ़ावा दे सकते हैं।’
मंत्री ने कहा कि भारत का संदेश ‘विशिष्ट पहचान के साथ विकास’ को बढ़ावा देना है, ताकि देशों को यह पता चल सके कि उनकी कौन-कौन सी जरूरतें और विशिष्टताएं उनके लिए अनूठी हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि इससे महज कुछ लोगों के बीच ही ऋणों के केंद्रित हो जाने को रोकने और समान वितरण सुनिश्चित करने एवं सभी के लिए अवसरों को बढ़ावा देने में काफी मदद मिलेगी।’
एक सुदृढ़ वित्तीय नेटवर्क का निर्माण करना
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने आम जनता के लिए ऋण, बचत और निवेश वृद्धि के अपार अवसरों वाले एक सुदृढ़ वित्तीय परिवेश के निर्माण को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, ‘इस दिशा में पहला बड़ा कदम जन धन योजना के तहत बैंक खाते खोलकर बैंकिंग सेवाओं तक सभी लोगों की पहुंच को सुनिश्चित करना था। अब तक तकरीबन 47.8 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं। इसके अलावा इन बैंकिंग खातों को सरकार द्वारा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से तरह-तरह के लाभों के हस्तांतरण से जोड़ा गया।’ मंत्री महोदय ने कहा कि इन खातों ने नागरिकों के लिए ऋणों और निवेश तक उनकी पहुंच के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में कार्य किया।
मंत्री ने जी20 की बैठक में बताया कि भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली यानी यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए देश में खुदरा भुगतान का पूर्ण रूप से कायापलट हो गया है। उन्होंने कहा, ‘निर्बाध रूप से सीमा पार लेन-देन को संभव करने के उपायों के बीच यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) वैश्विक स्तर पर आकर्षक होता जा रहा है। इससे धन हस्तांतरण और प्रेषण भुगतान की लागत कम हो रही है। यूपीआई ने दिसंबर 2022 में 12.82 ट्रिलियन रुपये के 7.82 अरब से भी अधिक लेन-देन दर्ज किए जो कि वर्ष 2016 में लॉन्च होने के बाद से लेकर अब तक का यह एक नया रिकॉर्ड है।’
मंत्री ने कहा कि समग्र रूप से बढ़ी हुई जमा वृद्धि और सक्रिय वित्तीय परिवेश से कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के लिए सस्ती पूंजी की उपलब्धता में काफी मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘आज भारतीय स्टार्ट-अप परिवेश कुल 107 यूनिकॉर्न के साथ पूरी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा परिवेश है।’ हाल ही में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारतीय रुपये के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयास भी किए हैं। भारतीय बैंकिंग नियामक ने विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते (एसआरवीए) खोलकर 18 देशों के घरेलू और विदेशी अधिकृत डीलर (एडी) बैंकों को मंजूरी दी है।
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मंत्री ने बताया कि पूंजी बाजार और निवेश सेवा उद्योग पिछले 5 वर्षों में, विशेष रूप से महामारी के बाद के दौर में कई गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहा, ‘शेयर बाजार में 142 लाख नए व्यक्तिगत निवेशकों के शामिल होने से खुदरा भागीदारी काफी बढ़ गई है। यही नहीं, समय के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों का निवेश निरंतर बना रहा है। अकेले 2022 में घरेलू निवेशकों की संख्या में सालाना 32% से अधिक की वृद्धि हुई। खुदरा निवेशकों की वरीयता में इस बदलाव का मुख्य कारण बढ़ी हुई वित्तीय साक्षरता जैसे कारक हैं। निवेश की कम लागत और ढेर सारे निवेश विकल्पों की उपलब्धता ही निवेश में दमदार वृद्धि का एक प्रमुख कारण है।’
मंत्री ने देश में निवेश के माहौल को और बेहतर बनाने के लिए भारत में एक पारदर्शी और उदार एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नीति बनाने के सरकारी प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘पिछले 20 वर्षों में एफडीआई प्रवाह में 20 गुना वृद्धि के साथ भारत एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में उभर कर सामने आया है। अप्रैल 2000 से लेकर मार्च 2022 तक देश में कुल एफडीआई प्रवाह 847 अरब डॉलर का हुआ था। यह एफडीआई 101 देशों से आया है और देश के 31 केंद्र शासित प्रदेशों एवं राज्यों और 57 क्षेत्रों में निवेश किया गया है।’
विकास के लिए परिवेश आधारित दृष्टिकोण
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि भारत में व्यापार और वाणिज्य में वृद्धि का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि विकास के लिए परिवेश आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया है। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने प्रमुख निर्माता या उत्पादक से लेकर अंतिम उपयोगकर्ताओं तक मूल्य श्रृंखला के सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। सरकार ने ‘कारोबार करने में आसानी’ सुनिश्चित करने पर ध्यान देने के साथ ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं भी शुरू कीं। सरकार ने कारोबार करने में आसानी के लिए अतिव्यापी और जटिल अनुपालन को हटाने के साथ-साथ नियमन और लाइसेंसिंग को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया। 39,000 से अधिक अनुपालन कम कर दिए गए हैं और 3,400 से अधिक कानूनी प्रावधानों को अपराधों की श्रेणी से हटा दिया गया है। इसके अतिरिक्त, एक स्थिर और पारदर्शी कराधान प्रणाली लाई गई है। व्यापार में सुविधा के लिए सीमा शुल्क और अन्य अप्रत्यक्ष कर दरों को सरल अनुपालन और फेसलेस आकलन के साथ युक्तिसंगत बनाया गया है।’
मंत्री ने बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में घरेलू समन्वय और प्रावधानों के कार्यान्वयन दोनों को सुविधाजनक बनाने के लिए व्यापार सुविधा पर एक राष्ट्रीय समिति (एनसीटीएफ) गठित की गई थी। उन्होंने कहा, ‘2017-2020 के लिए राष्ट्रीय व्यापार सुविधा कार्य योजना (एनटीएफएपी), जिसमें सुचारू व्यापार के लिए किसी भी अंतर को कम करने के लिए विशिष्ट गतिविधियां शामिल हैं, को भी पेश किया गया है। योजना का मानचित्रण डब्ल्यूटीओ व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) की सामग्री के साथ किया गया है और कारोबार करने में आसानी के नीतिगत उद्देश्यों के साथ जोड़ा गया है। उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना के माध्यम से सरकार ने फार्मा, ऑटोमोबाइल और व्हाइट गुड्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत में विनिर्माण को प्रोत्साहित किया। यह योजना 14 प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों के लिए शुरू की गई, जिसमें कुल 3 ट्रिलियन रुपये का परिव्यय शामिल था।
मंत्री ने कहा कि एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल 'मेक इन इंडिया' विजन का एक और उदाहरण है। उन्होंने कहा, ‘सरकारी ई-मार्केटप्लेस पोर्टल पर ओडीओपी उत्पादों की 200 से अधिक उत्पाद श्रेणियां हैं। संपूर्ण उद्योग मूल्य श्रृंखला को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अर्थव्यवस्था में छोटे और मध्यम उद्यमों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। ये उद्यम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे देश के सकल घरेलू उत्पाद में 30% से अधिक और राष्ट्रीय निर्यात का 50% योगदान करते हैं और 113 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं।’
मंत्री ने कहा कि एमएसएमई द्वारा सामना की जाने वाली तरलता के मुद्दों को सुलझाने के लिए ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) प्रणाली एक गेमचेंजर है, जो कई फाइनेंसरों द्वारा इनवॉयस डिस्काउंटिंग के माध्यम से कॉर्पोरेट खरीदारों की ओर से एमएसएमई के ट्रेड रिसीवेबल्स की डिस्काउंटिंग की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “इससे अर्थव्यवस्था में व्यापार और रोजगार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कई एमएसएमई को बहुत सारी बड़ी कंपनियों की ओर से उनका भुगतान नहीं मिला। लेकिन इन बड़ी कंपनियों को एमएसएमई के साथ काम करने पर कर लाभ मिलेगा। इसलिए इस बजट में सरकार ने फैसला किया कि इस तरह के लाभों का दावा करने वाली बड़ी कंपनियां एमएसएमई को भुगतान कर देने के बाद ही उन्हें प्राप्त करेंगी।’
मंत्री महोदय ने कहा कि व्यापार के समग्र विकास और सुचारू आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने पीपीपी मॉडल के तहत बुनियादी ढांचे में निवेश पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा, "सरकार ने चालू वर्ष के बजट में अपने प्रभावकारी पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर 13.7 लाख करोड़ रुपये कर दिया है, जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 4.5% है। पिछले साल 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश परिव्यय था जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 3.3% था। महामारी के दौरान भी 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर पैकेज को इस तरह से तैयार किया गया था कि घरेलू मांग में मदद मिली है, बड़े पैमाने पर नकद हस्तांतरण करने के बजाय कंपनियों को रोजगार सृजित करने और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है। इससे भारत को रिकवरी के बाद महंगाई को नियंत्रण में रखने में मदद मिली है।‘’
मंत्री ने बताया कि सरकार ने देश में व्यापार बुनियादी ढांचे के एकीकृत विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा, “सड़क, रेलवे, जलमार्ग, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना जैसे बहु-मोडल बुनियादी ढांचे के पूरक विकास के लिए बुनियादी ढांचागत परियोजनाएं तैयार की गई हैं। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति को भी इस तरह संरेखित किया गया है कि लॉजिस्टिक्स लागत को सकल घरेलू उत्पाद के वर्तमान 13% से घटाकर 7.5% कर दिया गया है, जिससे भारतीय निर्यात के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना आसान हो गया है।’
मंत्री ने कहा कि देश में व्यापार और वाणिज्य को बढ़ाने में डिजिटल अवसंरचना का विकास एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। उन्होंने कहा, "डिजिटलीकरण के उपायों से हाई-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता, डिजिटल पहचान के निर्माण और सरकारी सेवाओं तक निर्बाध एकीकृत पहुंच के माध्यम से नागरिकों का व्यापक विकास हुआ है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), जो भारत के लिए अपनी निर्यात-सफलता के लिए जानी जाती है, का उपयोग वित्तीय सेवाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से विकास करने के लिए किया जा रहा है।’
राज्य मंत्री (वित्त) ने कपड़ा मंत्रालय, केंद्रीय कुटीर उद्योग एम्पोरियम, भारतीय चाय बोर्ड, मसाला बोर्ड, भारतीय कॉफी बोर्ड और एपीडा द्वारा लगाए गए स्टालों का भी दौरा किया, जिन्हें जी-20 के टीआईडब्ल्यूजी के प्रतिनिधियों और अतिथियों के लिए 'अनुभव क्षेत्र' के रूप में स्थापित किया गया था।